सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। सुंदर कहानी ।।
*क्रोध पर नियंत्रण* / *मेरा मा रिटायर्ड प्राथमिक शिक्षक ९२ वर्ष से अधिक आयु के से प्राप्त संदेश।**कृपया अंत तक पढ़िए...!*
🌹🌹 *क्रोध पर नियंत्रण*🌹🌹
एक बार एक राजा घने जंगल में भटक जाता है जहाँ उसको बहुत ही प्यास लगती है।
इधर उधर हर जगह तलाश करने पर भी उसे कहीं पानी नही मिलता।
प्यास से उसका गला सुखा जा रहा था तभी उसकी नजर एक वृक्ष पर पड़ी जहाँ एक डाली से टप टप करती थोड़ी - थोड़ी पानी की बून्द गिर रही थी।
वह राजा उस वृक्ष के पास जाकर नीचे पड़े पत्तों का दोना बनाकर उन बूंदों से दोने को भरने लगा जैसे तैसे लगभग बहुत समय लगने पर वह दोना भर गया और राजा प्रसन्न होते हुए ।
जैसे ही उस पानी को पीने के लिए दोने को मुँह के पास ऊचा करता है तब ही वहाँ सामने बैठा हुआ एक तोता टेटे की आवाज करता हुआ।
आया उस दोने को झपट्टा मार के वापस सामने की और बैठ गया उस दोने का पूरा पानी नीचे गिर गया।
राजा निराश हुआ कि बड़ी मुश्किल से पानी नसीब हुआ और वो भी इस पक्षी ने गिरा दिया लेकिन अब क्या हो सकता है।
ऐसा सोचकर वह वापस उस खाली दोने को भरने लगता है।
काफी मशक्कत के बाद वह दोना फिर भर गया और राजा पुनः हर्षचित्त होकर जैसे ही उस पानी को पीने दोने को उठाया तो वही सामने बैठा तोता टे टे करता हुआ आया और दोने को झपट्टा मार के गिराके वापस सामने बैठ गया।
अब राजा हताशा के वशीभूत हो क्रोधित हो उठा कि मुझे जोर से प्यास लगी है।
मैं इतनी मेहनत से पानी इकट्ठा कर रहा हूँ और ये दुष्ट पक्षी मेरी सारी मेहनत को आकर गिरा देता है।
अब मैं इसे नही छोड़ूंगा अब ये जब वापस आएगा तो इसे खत्म कर दूंगा।
इसप्रकार वह राजा अपने हाथ में चाबुक लेकर वापस उस दोने को भरने लगता है।
काफी समय बाद उस दोने में पानी भर जाता है तब राजा पीने के लिए उस दोने को ऊँचा करता है और वह तोता पुनः टे टे करता हुआ ।
जैसे ही उस दोने को झपट्टा मारने पास आता है वैसे ही राजा उस चाबुक को तोते के ऊपर दे मारता है और उस तोते के वहीं प्राण पखेरू उड़ जाते हैं।
तब राजा सोचता है कि इस तोते से तो पीछा छूंट गया लेकिन ऐसे बून्द - बून्द से कब वापस दोना भरूँगा और कब अपनी प्यास बुझा पाउँगा
इस लिए जहा से ये पानी टपक रहा है वहीं जाकर झट से पानी भर लूँ ऐसा सोचकर वह राजा उस डाली के पास जाता है ।
जहां से पानी टपक रहा था वहाँ जाकर जब राजा देखता है तो उसके पाँवो के नीचे की जमीन खिसक जाती है।
क्योकि उस डाली पर एक भयंकर अजगर सोया हुआ था और उस अजगर के मुँह से लार टपक रही थी राजा जिसको पानी समझ रहा था वह अजगर की जहरीली लार थी।
राजा के मन में पश्चॉत्ताप का समन्दर उठने लगता है की हे प्रभु!
मैने यह क्या कर दिया।
जो पक्षी बार बार मुझे जहर पीने से बचा रहा था क्रोध के वशीभूत होकर मैने उसे ही मार दिया।
काश मैने सन्तों के बताये उत्तम क्षमा मार्ग को धारण किया होता, अपने क्रोध पर नियंत्रण किया होता तो ये मेरे हितैषी निर्दोष पक्षी की जान नही जाती।
हे भगवान मैने अज्ञानता में कितना बड़ा पाप कर दिया?
हाय ये मेरे द्वारा क्या हो गया ऐसे घोर पाश्चाताप से प्रेरित हो वह राजा दुखी हो उठता है।
इसीलिये कहते हैं कि..
क्षमा औऱ दया धारण करने वाला सच्चा वीर होता है।
क्रोध में व्यक्ति दुसरो के साथ साथ अपने खुद का ही बहुत नुकसान कर देता है।
क्रोध वो जहर है जिसकी उत्पत्ति अज्ञानता से होती है और अंत पाश्चाताप से होता है।
इसलिए हमेशा क्रोध पर नियंत्रण रखिये।
🌹 *राधे राधे जी*🌹
*मेरा मा रिटायर्ड प्राथमिक शिक्षक ९२ वर्ष से अधिक आयु के से प्राप्त संदेश।*
*कृपया अंत तक पढ़िए...*
● *जीवन मर्यादित है और उसका जब अंत होगा, तब इस लोक की कोई भी वस्तु साथ नही जाएगी !*
● *फिर ऐसे में कंजूसी कर, पेट काट कर बचत क्यों कि जाए? आवश्यकतानुसार खर्च क्यों ना करें? जिन बातों में आनंद मिलता है, वे करना ही चाहिए।*
● *हमारे जाने के पश्चात क्या होगा, कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता छोड़ दें, क्योंकि देह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद कोई तारीफ करें, या टीका टिप्पणी करें, क्या फर्क पड़ता है?*
● *उस समय जीवन का और महत्प्रयासों से कमाए हुए धन का आनंद लेने का वक्त निकल चुका होगा।*
● *अपने बच्चों की जरूरत से अधिक फिक्र ना करें। उन्हें अपना मार्ग स्वयं खोजने दें। अपना भविष्य स्वयं बनाने दें। उनकी ईच्छा आकांक्षाओं और सपनों के गुलाम आप ना बनें।*
● *बच्चों पर प्रेम करें, उनकी परवरिश करें, उन्हें भेंट वस्तुएं भी दें, लेकिन कुछ आवश्यक खर्च स्वयं अपनी आकांक्षाओं पर भी करें।*
● *जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ कष्ट करते रहना ही जीवन नही है, यह ध्यान रखें।*
● *आप पाँच दशक पूरे कर चुके हैं, अब जीवन और आरोग्य से खिलवाड़ कर के पैसे कमाना अनुचित है, क्योंकि अब इसके बाद पैसे खर्च करके भी आप आरोग्य खरीद नही सकते।*
● *इस आयु में दो प्रश्न महत्वपूर्ण है। पैसा कमाने का कार्य कब बन्द करें; और कितने पैसे से अब बचा हुआ जीवन सुरक्षित रूप से कट जाएगा।*
● *आपके पास यदि हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन भी हो, तो भी पेट भरने के लिए कितना अनाज चाहिए? आपके पास अनेक मकान हो, तो भी रात में सोने के लिए एक ही कमरा चाहिए।*
● *एक दिन बिना आनंद के बीते, तो आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें।*
● *एक और बात, यदि आप खिलाड़ी प्रवृत्ति के और खुशमिजाज हैं, तो बीमार होने पर भी बहुत जल्द स्वस्थ होंगे और यदि सदा प्रफुल्लित रहते हैं, तो कभी बीमार ही नही होंगे।*
● *सबसे महत्वपूर्ण यह है कि, अपने आसपास जो भी अच्छाई है, शुभ है, उदात्त है, उसका आनंद लें और उसे संभालकर रखें।*
● *अपने मित्रों को कभी न भूलें। उनसे हमेशा अच्छे संबंध बनाकर रखें। अगर इसमें सफल हुए, तो हमेशा दिल से युवा रहेंगे और सबके चहेते रहेंगे।*
● *मित्र न हो, तो अकेले पड़ जाएंगे और यह अकेलापन बहुत भारी पड़ेगा।*
● *इसलिए रोज व्हाट्स एप के माध्यम से संपर्क में रहें, हँसते हँसाते रहें, एक दूसरे की तारीफ करें। जितनी आयु बची है, उतनी आनंद में व्यतीत करें।*
● *प्रेम मधुर है, उसकी लज्जत का आनंद लें।*
● *क्रोध घातक है, उसे हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दें।*
● *संकट क्षणिक होते हैं, उनका सामना करें।*
● *पर्वत शिखर के परे जाकर सूर्य वापिस आ जाता है, लेकिन दिल से दूर गए हुए प्रियजन वापिस नही आते।*
● *रिश्तों को संभालकर रखें, सभी में आदर और प्रेम बाँटें। नही तो जीवन क्षणभंगुर है, कब खत्म होगा, समझ में भी नही आएगा। इसलिए आनंद दें, आनंद लें।*
*दोस्ती और दोस्त संभाल कर रखें।*
*जितना हो सके उतना गेट टूगेदर करते रहें!*
*सबको जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण कहे।*
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏