सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। खुले बाल , शोक और अशुद्दि की निशानी है..?.... ।। श्री यजुर्वेद और ऋग्वेद के अनुसार मकर क्या देवताओं शराब ग्रहण करते थे ?।।
आजकल माताये बहने फैशन के चलते कैसा अनर्थ कर रही है पुरा पढें
रामायण में बताया गया है, जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता सुनयना ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना।
बंधे हुए लंबे बाल आभूषण सिंगार होने के साथ साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।
ये सौभाग्य की निशानी है ,
एकांत में केवळ अपने पति के लिए इन्हें खोलना।
हजारो लाखो वर्ष पूर्व हमारे ऋषि मुनियो ने शोध कर यह अनुभव किया कि सिर के काले बाल को पिरामिड नुमा बनाकर सिर के उपरी ओर या शिखा के उपर रखने से वह सूर्य से निकली किरणो को अवशोषित करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है। जिससे चेहरे की आभा चमकदार , शरीर सुडौल व बलवान होता है।
यही कारण है कि गुरुनानक देव व अन्य सिक्ख गुरूओ ने बाल रक्षा के असाधारण महत्त्व को समझकर धर्म का एक अंग ही बना लिया। लेकिन वे कभी भी बाल को खोलकर नही रखे ,
ऋषी मुनियो व साध्वीयो ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखा। भारतीय आचार्यो ने बाल रक्षा का प्रयोग , साधना काल में ही किया इसलिय आज भी किसी लंबे अनुष्ठान , नवरात्री पर्व , श्रावण मास , तथा श्राद्ध पर्व आदि में नियम पूर्वक बाल रक्षा कर शक्ति अर्जन किया जाता है।
महिलाओं के लिए केश सवांरना अत्यंत आवश्यक है उलझे एवं बिखरे हुए बाळ अमंगलकारी कहे गए है। -
कैकेई का कोपभवन में बिखरे बालों में रुदन करना और अयोध्या का अमंगल होना।
पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री ही बाल खुले रखती है --- जैसे अशोक वाटिका में सीता
रजस्वला स्त्री , खुले बाल रखती है ,जैसे ---
चीर हरण से पूर्व द्रोपदी , उस वक्त द्रोपदी रजस्वला थी ,जब दुःशासन खींचकर लाया
तब द्रोपदी ने प्रतीज्ञा की थी कि-- मैं अपने बाल तब बाँधुंगी जब दुःसासन के रक्त से धोऊँगी ---
जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है। अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया।
महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा।
कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई।
कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।।
सौभाग्यवती स्त्री के बालों को सम्मान की निशानी कही गयी है।
दक्षिण भारतीय की कुछ महिलाएं मनन्त - संकल्प आदि के चलते बाळा जी में केश मुंडन करवा लेती हैं ।
लेकिन भारत के अन्य क्षेत्रो में ऐसी कोई प्रथा नहीं है । कोई महिला जब विधवा हो जाती हैं तभी उनके बाल छोटे करवा दिए जाते हैं। या जो विधवा महिलाये अपने पति के अस्थि विसर्जन को तीर्थ जाती है। वे ही बाल मुंडन करवाती है ।
अर्थात विधवा ही मुण्डन करवाती हैं , सौभाग्यवती नहीं।
गरुड पुराण के अनुसार बालों में काम का वास रहता है |
बालों का बार बार स्पर्श करना दोष कारक बताया गया है। क्योकि बालों को अशुध्दी माना गया है इसलिय कोई भी जप अनुष्ठान ,चूड़ाकरण , यज्ञोपवीत, आदि-२ शुभाशुभ कृत्यों में क्षौर कर्म कराया जाता है |
तथा शिखाबन्धन कर पश्चात हस्त प्रक्षालन कर शुद्ध किया जाता है।
दैनिक दिनचर्या में भी स्नान पश्चात बालों में तेल लगाने के बाद उसी हाथ से शरीर के किसी भी अंग में तेल न लगाएं हाथों को धो लें।
भोजन आदि में बाल आ जाय तो उस भोजन को ही हटा दिया जाता है।
मुण्डन या बाळ कटाने के बाद शुद्ध स्नान आवश्यक बताया गया है। बडे यज्ञ अनुष्ठान आदि में मुंडन तथा हर शुद्धिकर्म में सभी बालो (शिरस्, मुख और कक्ष) के मुण्डन का विधान हैं ।
बालों के द्वारा बहुत सा तन्त्र क्रिया होती है जैसे वशीकरण यदि कोई स्त्री खुले बाल करके निर्जन स्थान या... ऐसा स्थान जहाँ पर किसी की अकाल मृत्यु हुई है.. ऐसे स्थान से गुजरती है तो अवश्य ही प्रेत बाधा का योग बन जायेगा.।।
वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाये खुले बाल करके रहना चाहते हैं, और जब बाल खुले होगें तो आचरण भी स्वछंद ही होगा।
अनेक वैज्ञानिको जैसे इंग्लैंड के डॉ स्टैनले हैल , अमेरिका के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गिलार्ड थॉमस आदि ने पश्चिम देश के महिलाओ की बडी संख्या पर निरीक्षण के आधार पर लिखा कि केवल 4 प्रतिशत महिलाय ही शारीरिक रूप से पत्नी व माँ बनने के योग्य है शेष 96 प्रतिशत स्त्रिया , बाल कटाने के कारण पुरुष भाव को ग्रहण कर लेने के कारण माँ बनने के लिये अयोग्य है
भारतीय महिलाओ में भी इस फैशन रुपी कुप्रथा का प्रवाह शुरु हो चुका है। ....
....जय श्री कृष्ण..!
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।। श्री यजुर्वेद और ऋग्वेद के अनुसार मकर क्या देवताओं शराब ग्रहण करते थे ?।।
हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि देवताओं सोमरस को ग्रहण कर रहते थे देवता शराब नहीं पीते थे।
सोमरस सोम के पौधे से प्राप्त रस था ये पौधा आज लगभग विलुप्त है,
शराब पीने को सुरापान कहा जाता था, सुरापान असुर करते थे ।
श्री यजुर्वेद और श्री ऋग्वेद में सुरापान को घृणा के तौर पर देखा गया है।
जिसे आज के टीवी सीरियल्स ने तो भगवान इंद्र को अप्सराओं से घिरा दिखाया जाता है और वो सब सोमरस पीते रहते हैं।
जिसे सामान्य जनता शराब समझती है।
सोमरस, सोम नाम की जड़ीबूटी थी जिसमें दूध और दही मिलाकर ग्रहण किया जाता था, इससे व्यक्ति बलशाली और बुद्धिमान बनता था।
जब यज्ञ होते थे तो सबसे पहले अग्नि को आहुति सोमरस से दी जाती थी।
श्री यजुर्वेद और श्री ऋग्वेद में सोमरस पान के लिए अग्नि और इंद्र का सैकड़ों बार आह्वान किया गया है।
आप जिस इंद्र देवता को सोचकर अपने मन में टीवी सीरियल की छवि बनाते हैं वास्तव में वैसा कुछ नहीं था।
जब वेदों की रचना की गयी तो अग्नि देवता, इंद्र देवता, रुद्र देवता आदि इन्हीं सब का महत्व लिखा गया है।
मन में वहम मत पालिये...
कहीं पढ़ रहा था, किसी ने पोस्ट किया था कि देवता भी सोमरस पीते थे तो हम भी पीयेंगे तो अचानक मन में आया तो लिख दिया।
आज का चरणामृत / पंचामृत सोमरस की तर्ज पर ही बनाया जाता है बस प्रकृति ने सोम जड़ीबूटी हमसे छीन ली।
तो एक बात दिमाग में बैठा लीजिये, सोमरस नशा करने की चीज नहीं थी।
आपको सोमरस का गलत अर्थ पता है अगर आप उसे शराब समझते हैं।
शराब को शराब कहिए सोमरस नहीं।
सोमरस का अपमान मत करिए, सोमरस उस समय का चरणामृत / पंचामृत था।
एक गांवमें मेला लगा था ।
एक व्यक्ति उनके तीन पुत्रो को लेकर मेला दिखाने जा रहा था ।
बारह साल का लड़का आगे आगे चल रहा था ।
पांच सालके लड़के का हाथ उनके पिता ने पकड़ रखा था और एक साल के छोटे लड़के को अपने सीने से लगाया हुआ था ।
मेले में बहोत ही भीड़ थी ।
सोचो अगर कोई घटना घटी ओर मेलेमें भगदड़ मची यो क्या हो सकता है ?
आगे आगे अकेला चलनेवाला युवा लड़का बिछड़ सकता है ।
हाथ पकड़ के चल रहा लड़का भीड़ की भगदड़ में घायल हो सकता है ।
पर जो सीने से लगया छोटा है वो पूर्ण सलामत है ।
सिर्फ ज्ञान की उपासना बड़ा लड़का है , सिर्फ कर्मयोगी पांच साल का लड़का है और भक्तिमे समर्पित वो एक साल का बच्चा है जिन्हें भगवान ने अपने सीने से लगाया है ।
ये जीवन भी एक मेला ही है ।
अभिमान रहित भक्ति करते करते छोटे बालक बनकर सम्पूर्ण ईश्वर को समर्पित हो जाना है तब ईश्वर आपको मिलने , सिने से लगाने केलिए दौड़े आते है ।
ईश्वर की बनाई इस सृष्टि के जीवमात्र केलिए जब दया भाव होगा और दान , पुण्य , सद्कर्म करेंगे तो ईश्वर के प्रिय बन जाएंगे ।
सृष्टि का सर्जनहार परमपिता निर्गुण ब्रह्म मेरे अंदर ही है , मेरे मे ही बसते है ।
में उनका ही अंश हु ये भाव होजाना ही सद्ज्ञान है ।
अनेक समस्याओं से मुक्ति पाने केलिए हम पूजा अनुष्ठान करते है पर एकबार सत्य का स्वीकार करले की पूर्व जन्मों के संचित कर्मफल अनुसार ही इस जन्म का प्रारब्ध बना है ।
जो है वो मुझे सहर्ष स्वीकार है ।
पर अब है प्रभु मेरा जीवन आपको समर्पित करता हूँ , अब जो स्थिति दे मुझे स्वीकार्य है ।
और पूर्ण श्रद्धापूर्वक निष्काम भक्ति करके देखिए ईश्वर क्या क्या देता है ।
" किसी का भार न रखे मुरारी , देते है व्याज सहित गिरधारी "
गीताजी में स्वयं भगवान श्री कृष्णके मुख से निकले ये वचन है कि जब तुम मुझे समर्पित हो जाते हो तब में जो देता हूँ वो शाश्वत होता है ।
धन ,सम्पति , वंश , आरोग्य , सुख , सत्ता , भोग ये सब न केवल एक जन्म , केलिए पर अनंतकाल तक शाश्वत सुख देता हूँ ।
बालाक जैसे सरल रदय से निष्काम भक्ति और वो भी संशय रहित हो तो हर डगर हर पथपर उनके दर्शन होते ही रहते है ।
पुरण ब्रह्म प्रभु श्रीराम सदैव आप सभी धर्मप्रेमी जनो पर सदैव कृपा करें ।
!!!!! शुभमस्तु !!!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏