https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: 10/12/20

।। श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण आधारित सुंदर प्रवचन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण आधारित सुंदर प्रवचन ।।


श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण आधारित सुंदर प्रवचन

श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण आधारित सुंदर प्रवचन में लोभ से क्रोध उत्पन्न होता है।

क्रोध से द्रोह होता है...!

द्रोह से शास्त्र ज्ञानी भी नरकगति को प्राप्त हो जाता है ।

जब भी ईश्वर का ही डर और दुनिया की शर्म ये दो वो चीजें है जो अधिकांश इंसानो को इंसान बनाए रखती है ।

सुकरात महान दार्शनिक थे |

एक दिन एक अमीर और धनवान जमींदार सुकरात के पास आया । 

उसे अपने धन दौलत और ऐश्वर्य का बहुत अभिमान था । 

वह सुकरात के पास आकर अपनी धन - दौलत और वैभव की डींगे हाँकने लगा । 

सुकरात कुछ समय तक तो उस जमींदार की बात चुपचाप सुनते रहे।

फिर कुछ देर बाद सुकरात ने दुनिया का नक्शा मंगाया....!

एक बार नक्शा फैलाकर सुकरात ने उस जमींदार से पूछा -

"जरा इस नक्शे में अपना देश बताइएँ"

तभी जमींदार ने उसे नक्शे पर एक जगह अंगुली रखकर कहाँ-

 " यह रहा"

" और आपका राज्य कहा है ? "

सुकरात ने फिर पूछा…..

बड़ी कठिनाई से और काफी देर की कोशिश के बाद जमींदार ने नक्शे में अपने छोटे से राज्य को खोज कर बताया।

सुकरात बोले-" 

अब जरा इस नक्शे में अपना नगर ढूंढ कर मुझे बता दीजिए "


जमींदार नक्शे में अपना नगर नहीं ढूंढ सका तो सुकरात ने कहाँ- 

"क्या आप इस नक्शे में से अपनी जागीर और भूमि मुझे बता सकते हैं ?"

" नहीं !

भला इस नक्शे में मैं अपनी छोटी सी जागीर कैसे बता सकता हूं ।" 

जमीदार ने झिझकते हुए कहाँ ....!

अब सुकरात ने मुस्कुराते हुए कहाँ - भाई !

इतने बड़े नक्शे में जिस भूमि के लिए बिंदु भी नहीं रखा जा सकता ।

उस थोड़ी सी जमीन जायदाद पर क्यों इतना घमंड करते हो ?

इस संसार में तुम और तुम्हारी भूमि क्या अस्तित्व रखती है ?

आखिर यह अभिमान किस बात का ? 

आखिर यह घमंड किस बात पर ?" 

सुकरात के यह शब्द सुनकर जमींदार का घमंड चूर चूर हो गया। 

उसकी आंखें खुल गयी ।

अब तोउसका सिर सुकरात के आगे झुका हुआ था । 

सुकरात के शब्दों आज उसे नया जीवन दर्शन दिया था.....!

जब भी इस पृथ्वी पर मृत्यु का जन्म का चक्कर काटना ही पड़ता है।

क्यों और कैसे - 

जिसने जन्‍म लिया है उसे एक ना एक दिन मृत्‍यु तो मिलनी ही है। 

लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि हर इंसान की मृत्यु होना क्यों अनिवार्य है और कैसे इस मृत्यु का जन्म हुआ ?

अगर नही तो आइए जानते हैं...!

मृत्यु का जन्म कैसे हुआ - परम पिता ब्रह्मा जी ने ही इस पृथ्वी की रचना की है।

इस धरती पर के सभी प्राणियों को जीवनदान दिया है। 

लेकिन इस समय हम जीवन की नहीं बल्कि मृत्यु की बात कर रहे हैं।

मृत्यु का जन्म...!

जब से ब्रह्मा जी ने आज से अरबों साल पहले इस सृष्टि की रचना की थी। 

ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के कई करोड़ों साल बाद यह देखा कि पृथ्वी पर जीवन का बोझ बढ़ता चला जा रहा है! 

उसमे और अगर इसे नहीं रोका गया तो पृथ्वी समुद्रतल में डूब जाएगी तब ब्रह्मा जी पृथ्वी पर बाहर का संतुलन बनाने के विषय में सोचने लगे।

बहुत अधिक सोचने के बाद ब्रह्मा जी को जब कोई उपाय नही सूझा तो उन्हें बेहद क्रोध आ गया।

जिसके कारण एक अग्नि प्रकट हुई और ब्रह्मा जी ने उस अग्नि को समस्‍त संसार को जलाने का आदेश दिया। 

यह देखकर सभी देवता, ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उनसे पूछा कि...!

‘हे ब्रह्मा जी आप इस संसार का विनाश क्यों कर रहे है...!’

तब उस समय ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया कि देवी पृथ्वी - जगत के वजन से चिंतित हो रही थी। 

उनकी इस पीड़ा ने ही मुझे प्राणियों के विनाश के लिए प्रेरित किया है।

यह विनाश देखकर भगवान शिवजी ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की और उन्हें कहा कि...!

आप इस प्रकार पृथ्वी का भी विनाश कर देंगे...!

आप कोई दूसरा उपाय सोचिए। 

यह सुनकर ब्रह्मा जी का क्रोध शांत हुआ और उस समय उनकी इंद्रियो में से एक स्त्री उत्पन्न हुई।

ब्रह्मा जी ने उस स्त्री को मृत्यु कह कर पुकारा।इस संसार में मृत्यु का जन्म हुआ।

इस से आगे दुसरा भाग में पढ़े कि मृत्यु क्या है?

जय माँ अंबे....

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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