सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
🌹🌹🌹हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र... / *जीवन का सही लक्ष्य*🌹🌹🌹
हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...
कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है।
पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है।
माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से पूर्व किया था।
हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की।
अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं।
हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।
हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं।
आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या - क्या बदलाव ला सकते हैं….
*शुरुआत गुरु से…*
हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है…
श्रीगुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि।
*अर्थ* -
अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।
गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है।
जीवन में गुरु नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता।
गुरु ही आपको सही रास्ता दिखा सकते हैं।
इस लिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करता हूं।
आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी।
माता - पिता को पहला गुरु ही कहा गया है।
समझने वाली बात ये है कि गुरु यानी अपने से बड़ों का सम्मान करना जरूरी है।
अगर तरक्की की राह पर आगे बढ़ना है तो विनम्रता के साथ बड़ों का सम्मान करें।
*ड्रेसअप का रखें ख्याल…*
चालीसा की चौपाई है
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुंचित केसा।
*अर्थ* -
आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।
आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए।
अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है।
इस लिए, रहन - सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।
आगे पढ़ें - हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...
*सिर्फ डिग्री काम नहीं आती*
बिद्यावान गुनी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर।
*अर्थ* -
आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं।
राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।
आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है।
लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे।
विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी।
हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।
*अच्छा लिसनर बनें*
प्रभु चरित सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया।
*अर्थ* -
आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं।
जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए।
अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है।
अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।
*कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है*
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा।
*अर्थ* -
आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए।
और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।
कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है।
सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया।
अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।
*अच्छे सलाहकार बनें*
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना।
*अर्थ* -
विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।
हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी।
विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए।
किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है।
सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।
*आत्मविश्वास की कमी ना हो*
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।
*अर्थ* -
राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।
अगर आपमें खुद पर और अपने परमात्मा पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल टॉस्क को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
आज के युवाओं में एक कमी ये भी है कि उनका भरोसा बहुत टूट जाता है।
आत्मविश्वास की कमी भी बहुत है।
प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है।
अपनेआप पर पूरा भरोसा रखे।
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🌹🌹🌹*जीवन का सही लक्ष्य"* 🌹🌹🌹
*ये शरीर कृष्ण कृपा से मिला है और केवल कृष्ण की प्राप्ति के लिये ही मिला है।
इस लिये हम को चाहे कुछ भी त्यागना पडें, सब छोड़कर कृष्ण भक्ति में तुरन्त लग जाना चाहिये।*
*जैसे छोटा बालक कहता है कि माँ मेरी है।
उससे कोई पूँछे कि माँ तेरी क्यों है तो इसका उत्तर उसके पास नहीं है।
उसके मन में यह शंका ही पैदा नहीं होती कि माँ मेरी क्यों है ?
माँ मेरी है बस इसमें उसको कोई सन्देह नहीं होता।
इसी तरह आप भी सन्देह मत करो और यह बात दृढता से मान लो कि कृष्ण मेरे हैं।
कृष्ण के सिवाय और कोई मेरा नहीं है क्योंकि वह सब छूटने वाला है।
जिनके प्रति आप बहुत आसक्त रहते हैं, वे माँ - बाप, पति - पत्नी, बच्चे, रूपये, जमीन, मकान, रिश्ते - नाते आदि सब छूट जायेंगें।
उनकी याद तक नहीं रहेगी।*
*अगर याद रहने की रीत हो तो बतायें कि इस जन्म से पहले आप कहाँ थे।
आपके माँ, बाप स्त्री, पुत्र कौन थे ?*
*आपका घर कौन सा था।
जैसे पहले जन्म की याद नहीं है, ऐसे ही इस जन्म की भी याद नहीं रहेगी।
जिसकी याद तक नही रहेगी उसके लिये आप अकारण परेशान हो रहे हो।
यह सबके अनुभव की बात है कि हमारा कोई नहीं है सब मिले हैं और विछुड जायेगें, आज नहीं तो कल इस लिये-
"मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई", ऐसा मानकर मस्त हो जाओ।*
*दुनियाँ सब की सब चली जाये तो परवाह नहीं है पर हम केवल कृष्ण के हैं, और केवल कृष्ण हमारे हैं।
केवल एक मात्र यही सच है और बाकी सब झूठ।
इसके सिवाय और किसी बात की ओर देखो ही मत, विचार ही मत करो।*
*आज से कृष्ण के होकर रहो, कोई क्या कर रहा है कृष्ण जानें, हमें मतलब नहीं है।
सब संसार नाराज हो जाये तो परवाह नहीं पर कृष्ण तो मेरे हैं -
इस बात को पकड़ कर रखो।*
।। जय श्री कृष्ण 👏🕉️🚩💐जय श्री कृष्ण ।।👏🕉️
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏