https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: 07/27/20

।। मन की आवाज़ / भगवन्नामय जीवन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.....

 ।। मन की आवाज़ / भगवन्नामय जीवन ।।


।। सुंदर कहानी  ।।

*!! मन की आवाज़ !!*


एक बुढ़िया बड़ी सी गठरी लिए चली जा रही थी। 

चलते - चलते वह थक गई थी। 



तभी उसने देखा कि एक घुड़सवार चला आ रहा है। 

उसे देख बुढ़िया ने आवाज दी.....

 ‘अरे बेटा, एक बात तो सुन।’ घुड़सवार रुक गया। 

उसने पूछा, ‘क्या बात है माई?’

 बुढ़िया ने कहा, ‘बेटा,....

मुझे उस सामने वाले गांव में जाना है। 

बहुत थक गई हूं। 

यह गठरी उठाई नहीं जाती। 

तू भी शायद उधर ही जा रहा है।

यह गठरी घोड़े पर रख ले। 

मुझे चलने में आसानी हो जाएगी।’ 

उस व्यक्ति ने कहा, ‘माई तू पैदल है। 

मैं घोड़े पर हूं। 

गांव अभी बहुत दूर है। 

पता नहीं तू कब तक वहां पहुंचेगी। 

मैं तो थोड़ी ही देर में पहुंच जाऊंगा। 

वहां पहुंचकर क्या तेरी प्रतीक्षा करता रहूंगा?’ 

यह कहकर वह चल पड़ा। 

कुछ ही दूर जाने के बाद उसने अपने आप से कहा,....

 ‘तू भी कितना मूर्ख है। 

वह वृद्धा है,....

 ठीक से चल भी नहीं सकती। 

क्या पता उसे ठीक से दिखाई भी देता हो या नहीं। 

तुझे गठरी दे रही थी। 

संभव है उस गठरी में कोई कीमती सामान हो। 

तू उसे लेकर भाग जाता तो कौन पूछता। 

चल वापस,....

 गठरी ले ले। 

‘ वह घूमकर वापस आ गया और बुढ़िया से बोला, ‘माई, ला अपनी गठरी। 

मैं ले चलता हूं। 

गांव में रुककर तेरी राह देखूंगा।’ 

बुढ़िया ने कहा....., 

‘न बेटा.....

अब तू जा......

मुझे गठरी नहीं देनी।’ 

घुड़सवार ने कहा,....

 ‘अभी तो तू कह रही थी कि ले चल। 

अब ले चलने को तैयार हुआ तो गठरी दे नहीं रही। 

ऐसा क्यों? 

यह उल्टी बात तुझे किसने समझाई है?’

बुढ़िया मुस्कराकर बोली, ‘उसी ने समझाई है ।

जिसने तुझे यह समझाया कि माई की गठरी ले ले। 

जो तेरे भीतर बैठा है वही मेरे भीतर भी बैठा है।

 तुझे उसने कहा कि गठरी ले और भाग जा। 

मुझे उसने समझाया कि गठरी न दे ।

नहीं तो वह भाग जाएगा। 

तूने भी अपने मन की आवाज सुनी और मैंने भी सुनी।’

जय श्री कृष्ण

।। भगवन्नामय जीवन ।।

लोग उन्हों ने काछी बाबा कहते थे । 

वे जाती का ही काछी थे और साधु होने से नही , वृद्ध होने से उस प्रदेश की प्रथा के अनुसार बाबा कहलाते थे ।

वैसे वे बग़ीचेमे मजदूरी का काम करते थे , दिन भर परिश्रम करते थे । 

साम को सरोवर के किनारे मालती -- कुंज के नीचे रोटियां सेककर खा लेते और वही सो रहते थे । 


रात्री में किसी को शौच जाने हो तो मालती कुंज वाले घाट पर ही हाथ धोने का सुविधाओं थी । 

घाट पर ही पहुचते ही स्पष्ट सुनाई पड़ता था --- ' राम... राम... राम... ' । 

यह किसी की जप -- ध्वनि नही थी । 

निद्रामग्न काछी बाबा के श्वास से यह स्पष्ट ध्वनि आया करती थी ।

एक दिन काछी बाबा ने नगर में आकर बगीचे के स्वामी से रसगुल्ला खाने की इच्छा प्रकट की । 

भर -- पेट रसगुल्ला खिलाया गया उन्हें ।  

दुशरा दिन फिर किसी ने काछी बाबा से पूछा गया --  ' काछी बाबा ! 

रसगुल्ला खाओगे ? ' 

काछी बाबा बोले --- ' बाबू ! ऐसा पाप में अब फिर कभी नही करूँगा । 

मिठाई खाने से मेरे रामजी रात नही आये । '

नित्य वे वृद्ध श्रीरामजी के दर्शन पाते थे ।  

उन्हों ने फिर कभी मिठाई खाई ही भी नही ।
।।।। जय श्री राम ।।। जय श्री राम ।।।
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। प्रायश्चित / शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या फल मिलता है...।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। प्रायश्चित / शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या फल मिलता है...।।


।। सुंदर साहनी ।।

*प्रायश्चित*


वह बारह - तेरह वर्ष का बालक ही तो था। 

कच्ची बुद्धि थी और साथ अच्छा न था ।

उसके एक संबंधी सिगरेट पीते थे । 


उसे भी शौक लगा ।

सिगरेट से फायदा तो क्या धुआँ उड़ाना उसे अच्छा लगता था। 

समस्या आई की सिगरेट खरीदने के लिए पैसे कहां से आवें? 

बड़ों के सामने ना पी सकता था ना ही पैसे मांग सकता था। 

तब, क्या हो? 

नौकरों की जेबें टटोली जाने लगी और पैसा धेला जो भी पल्ले पड़ता उसे उड़ा लिया जाता। 

बड़े सिगरेट पी कर फेंक देते तो वे टुकड़े इकट्ठे कर लिए जाते। 

मजा तो सिगरेट पीने में नहीं आता था पर उससे क्या! 

यह सिलसिला कुछ दिनों तक चला ।

अचानक एक दिन विचार उठा कि ऐसा काम क्यों करना ।

जो बड़ों से छिपाना पड़े और जिसके लिए चोरी करनी पड़े? 

बात उठी -  उठी कि वहीं -की - वहीं दब गई।

फिर उठी और पराधीनता दिन पर दिन खलने लगी। 

यह भी क्या कि बड़ों की आज्ञा बिना कुछ न कर सकें? 

ऐसे जीने से लाभ क्या? 

इससे तो जीवन का अंत कर देना ही अच्छा !

पर मरें कैसे ?

किसी ने कहा था कि धतूरे के बीज खा लेने से मृत्यु हो जाती है ।

बीज इकट्ठे किए गए ।

पर खाने की हिम्मत न हुई ।

प्राण न निकले तो ?फिर भी साहस करके दो-चार बीज खा ही डाले। 

परंतु उनसे क्या होता था? 

मौत से वह डर गया और उसने मरने का विचार छोड़ दिया ।

जान बची ,साथ ही एक लाभ यह हुआ कि सिगरेट जूठन पीने और नौकरों के पैसे चुराने की आदत छूट गई।

उसने आगे कभी चोरी न करने का निश्चय किया ।

साथ ही यह भी कि अपनी चोरी को अपने पिता के सामने स्वीकार कर लेगा। 

यह डर तो ना था कि पिताजी उसे पीटेंगे ।

परंतु इतना तो था कि वे सुनकर बहुत दुखी होंगे। 

पिता के आगे मुंह तो खुल नहीं सकता था। 

सब बालक ने चिट्ठी लिखकर अपना दोष स्वीकार कर लिया। 

चिट्ठी अपने हाथों ही पिता को दी। 

उसमें सारा दोष कबूल किया गया था ,साथ ही उसके लिए दंड मांगा गया था ।

आगे चोरी न करने का निश्चय भी था।

  पिताजी बीमार थे ।

वे बिस्तर पर लेटे थे। 

चिट्ठी पढ़ने के लिए उठ बैठे। चिट्ठी पढ़ी ।

आंखों से मोती की बूंदें टपकने लगीं। 

थोड़ी देर के लिए उन्होंने आंखें बंद कर लीं। 

चिट्ठी के टुकड़े - टुकड़े कर डाले और बिस्तर पर पुनः 

लेट गए। 

मुंह से उन्होंने एक शब्द भी नहीं कहा। 

बालक अवाक् रह गया। 

पिता की वेदना को उसने अनुभव किया और उनकी पीड़ा तथा शांतिमय क्षमा से वह रो पड़ा।

    बड़े होने पर उसने लिखा--

'जो मनुष्य अधिकारी व्यक्ति के सामने स्वेच्छा पूर्वक अपने दोष शुद्ध हृदय से कह देता है और फिर कभी न करने की प्रतिज्ञा करता है ।

वह मानो शुद्धतम प्रायश्चित करता है।'
 
कृपया चिंतन करें व अपने जीवन में उतारे तथा बच्चों को भी ऐसी शिक्षा दें🕉🙏🙏

🙏जय माँ अंबे 🙏

।। शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या फल मिलता है... ।।


🌹श्रावण माह में भगवान शिव की पुजा करने से  भोले नाथ की असीम कृपा एवं आशीर्वाद मिलता है । 
🌷शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है।
🌷शिवलिंग पर दही अर्पित करने से हमें जीवन में हर्ष और उल्लास की प्राप्ति होती है।
🌷 शिवलिंग पर शहद चढाने से रूप और सौंदर्य प्राप्त होता है, वाणी में मिठास रहती है, समाज में लोकप्रियता बढ़ती है।


🌷 शिवलिंग पर घी चढ़ाने से हमें तेज की प्राप्ति होती है।
🌷 शिवलिंग पर शक्कर चढ़ाने से सुख - समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
🌷शिवलिंग पर ईत्र चढ़ाने से धर्म की प्राप्ति होती हैं।
🌷शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से धन धान्य की वृद्धि होती है, जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
🌷शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से समाज में यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
🌷शिवलिंग पर केसर अर्पित करने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है,  विवाह में आने वाली समस्त अड़चने दूर होती है, मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है विवाह के योग शीघ्र बनते है ।
🌷शिवलिंग पर भांग चढ़ाने से हमारे समस्त पाप समस्त बुराइयां दूर होती हैं।
🌷 शिवलिंग पर आँवला अथवा आँवले का ऱस चढ़ाने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है ।
🌷शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से समस्त पारिवारिक सुखो की प्राप्ति होती है , परिवार के सदस्यों के मध्य में प्रेम बना रहता है।
 🌷शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से वंश वृद्धि होती है, योग्य संतान की प्राप्ति होती है, संतान आज्ञाकारी होती है।
🌷शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से धन और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
🌷 शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से पापों समस्त रोगो का नाश होता है।
🌷 शिवलिंग पर जौ अर्पित करने से सांसारिक सुखो की प्राप्ति होती है।
🌷भगवान भोलेनाथ की बेलपत्र से पूजा करने से सभी संकट दूर होते है।
🌷भगवान भोलेनाथ की दूर्वा से पूजन करने दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है।
🌷भगवान भोलेनाथ की हारसिंगार के फूलों से पूजन करने पर जीवन में सुख-संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
🌷 भगवान भोलेनाथ पर चमेली के फूल चढ़ाने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
🌷भगवान भोलेनाथ की धतूरे से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
🌷 भगवान भोलेनाथ की आंकड़े के फूल से पूजन, श्रृंगार करने से जीवन के सभी सुख मिलते है, पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🌷भगवान भोलेनाथ की अलसी के फूलों से पूजन करने से मनुष्य सभी देवताओं का प्रिय हो जाता है।
🌷 भगवान भोलेनाथ की बेला के फूल से पूजन करने पर मनचाहा, सुंदर जीवन साथी मिलता है।
🌷भगवान भोलेनाथ की जूही के फूल से पूजन करने से घर कारोबार में धन धान्य की कोई भी कमी नहीं होती है।
🙏जय श्री महाकाल🙏

 🙏🏻शिव 🙏🏻🙏🏻शिव🙏🏻🙏🏻शिव🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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