https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: 10/11/20

।। श्री ऋगवेद श्री सामवेद और श्री मस्तय पुराण आधारित सुंदर प्रर्वचन।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री ऋगवेद श्री सामवेद और श्री मस्तय पुराण आधारित सुंदर प्रर्वचन।।


श्री ऋगवेद श्री सामवेद और श्री मस्तय पुराण आधारित सुंदर प्रर्वचन विस्तृत से देखे

या वै साधनसम्पत्तिः पुरुषार्थचतुष्टये |
तया विना तदाप्नोति नरो नारायणाश्रयः ||

मनुष्य को चाहिए कि वह न तो सकाम कर्म की विभिन्न विधियों में उलझे, न ही कोरे चिन्तन से ज्ञान का अनुशीलन करे | 

जो परम भगवान् की भक्ति में लीन है, वह उन समस्त लक्ष्यों को प्राप्त करता है।

जो अन्य योग विधियों, चिन्तन, अनुष्ठानों, यज्ञों, दानपुण्यों आदि से प्राप्त होने वाले हैं | 

भक्ति का यही विशेष वरदान होता है |

मनुष्य के ज़िन्दगी में 8 के पहाड़े की बहुत प्रचलित एहमियत होती है !








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इसकी जानकारी सब लोगों को होना चाहिए है !

8 x 01 = 08   ...बचपन
8 × 02 = 16   ...जवानी की शुरुआत
8 × 03 = 24   ...शादी की उम्र
8 × 04 = 32   ...बच्चों की ज़िम्मेदारी होना
8 × 05 = 40   ...खुशहाल परिवार
8 × 06 = 48   ...साँसारिक ज़िम्मेदारी और 
       स्वास्थ्य के बिगड़ने की शुरुआत

8 × 07 = 56   ...बुढ़ापे की शुरुआत, 
      रिटायरमेन्ट की तैयारी और वसीयत लिख डालने का समय

8 × 08 = 64   ...रिटायरमेन्ट के बाद कम से कम तनाव में रहने का प्रयास और सेहत का ख्याल रखना

8 × 09 = 72   ...रोग और स्वास्थ्य सम्बन्धी 
      तकलीफों से सामना, खुद को ज़्यादा से ज़्यादा खुश रखने का प्रयास

8 × 10 = 80   ...पिछले 80 सालों में 
       जिन मित्रों और सहयोगियों और रिश्तेदारों ने आपका साथ दुःख में भी नहीं छोड़ा, उनके साथ हँसी खुशी जीवन बिताना चाहिए...!

कितना महत्वपूर्ण होता है 8 का पहाड़ा !

भगवान कहाँ है?

मैं कईं दिनों से बेरोजगार था।

एक - एक रूपये की कीमत जैसे करोड़ों लग रही थी ।

इस उठापटक में था कि कहीं नौकरी लग जाए।

आज एक इंटरव्यू था ।

पर दूसरे शहर जाने के लिए जेब में सिर्फ दस रूपये ही थे....!

मुझे कम से कम दो सौ रुपयों की जरूरत थी।

अपने इकलौते इन्टरव्यू वाले कपड़े रात में धो, पड़ोसी की प्रेस माँग के तैयार कर पहन, अपने योग्यताओं की मोटी फाइल बगल में दबाकर दो बिस्कुट खा के निकला।

लिफ्ट ले पैदल जैसे तैसे चिलचिलाती धूप में तरबतर बस इस उम्मीद में स्टेंड पर पहुँचा कि शायद कोई पहचान वाला मिल जाए ।

जिससे सहायता लेकर इन्टरव्यू के स्थान तक पहुँच सकूँ।

काफी देर खड़े रहने के बाद भी कोई नहीं दिखा।

मन में घबराहट और मायूसी थी , क्या करूँगा अब कैसे पँहुचूगा ?

पास के मंदिर पर जा पहुंचा , दर्शन कर सीढ़ियों पर बैठा था।

मेरे पास में ही एक सन्यासी साधु बैठा था...!

उसके कटोरे में मेरी जेब और बैंक एकाउंट से भी ज्यादा पैसे पड़े थे।

मेरी नजरें और हालात समझ के बोला ।

कुछ मदद चाहिए क्या ?

मैं बनावटी मुस्कुराहट के साथ बोला...!

आप क्या मदद करोगे ?

चाहो तो मेरे पूरे पैसे रख लो ." 

वो...!

मुस्कुराता बोला....!

मैं चौंक गया !

उसे कैसे पता मेरी जरूरत?

मैनें कहा...!

"क्यों"?

"शायद आपको जरूरत है...!" 

वो गंभीरता से बोला।

"हाँ है तो....!

पर तुम्हारा क्या....!

"तुम तो दिन भर माँग के कमाते हो ?"

मैने उस का पक्ष रखते हुए कहा....!

वो हँसता हुआ बोला....!

"मैं नहीं माँगता साहब !

लोग डाल जाते हैं मेरे कटोरे में, पुण्य कमाने के लिए।

मैं तो सन्यासी साधु हूँ , मुझे इनका कोई मोह नहीं . मुझे सिर्फ भूख लगती है ।

वो भी एक टाइम . और कुछ दवाइयाँ...!

बस! 

मैं तो खुद ये सारे पैसे मंदिर की पेटी में डाल देता हूँ ." वो सहज था कहते कहते।

मैनें हैरानी से पूछा....!

"फिर यहाँ बैठते क्यों हो..?

"जरूरतमंदों की मदद करने" 

कहते हुए वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

मैं उसका मुँह देखता रह गया।

उसने दो सौ रुपये मेरे हाथ पर रख दिए और बोला।

 "जब हो तब लौटा देना।"

मैं उसका शुक्रिया जताता हुआ वहाँ से अपने गंतव्य तक पँहुचा।

मेरा इंटरव्यू हुआ , और सलेक्शन भी।

मैं खुशी खुशी वापस आया।

सोचा उस सन्यासी साधु को धन्यवाद दे दूँ।

मैं मंदिर पँहुचा।

बाहर सीढ़़ियों पर भीड़ लगी थी ।

मैं घुस के अंदर पँहुचा ।

देखा वही सन्यासी साधु मरा पड़ा था।

मैं भौंचक्का रह गया !

मैने दूसरों से पूछा यह कैसे हुआ ?

पता चला , वो किसी बीमारी से परेशान था।

सिर्फ दवाईयों पर जिन्दा था।

आज उसके पास दवाइयाँ नहीं थी और न उन्हें खरीदने के पैसे।

मैं अवाक् सा उस सन्यासी साधु को देख रहा था।

अपनी दवाईयों के पैसे वो मुझे दे गया था...!

जिन पैसों पे उसकी जिंदगी का दारोमदार था।

उन पैसों से मेरी ज़िंदगी बना दी थी।

भीड़ में से कोई बोला, अच्छा हुआ मर गया ये भिखारी भी साले बोझ होते हैं ।

कोई काम के नहीं।

मेरी आँखें डबडबा आयी!

वो भिखारी कहाँ था।









वो तो मेरे लिए भगवान ही था।

सच्चाई का दोस्त ।

मेरा भगवान!

भगवान कौन हैं ?

कहाँ हैं ?

किसने देखा है ?

बस !

इसी तरह मिल जाते हैं।

एक नवविवाहिता महिला लिखती हैं :-

बाबा...!

ये प्रेम का महीना इतना छोटा क्यों होता है ?

हमनें कही :- 

लाली अभी तुम्हारा संसार से प्रेम हैं।

इस लिए यह महीना छोटा लग रहा है।

जिस दिन हमारे लल्ला से प्रेम हो गया तो उस दिन जीवन छोटा लगने लगेगा।

श्री हनुमान जी से प्रार्थना कैसे होती है।

यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं,
तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिं।

भाष्पवारिपरिपूर्णालोचनं
मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्॥

भावार्थ- 

जहाँ - जहाँ प्रभु रघुनाथ जी का कीर्तन होता है...!

वहाँ - वहाँ भगवान मारुति हाथ जोड़े हुए नतमस्तक, नेत्रों में प्रेमाश्रु भरे हुए विराजमान रहते हैं। 

राक्षसों के नाशक - श्री मारुति को मैं नमस्कार करता हूँ।

ताते बिनती करौं पुकारी।
हरहु सकल दुख विपत्ति हमारी।।

भावार्थ:- 

हे प्रभु मैं इसी लिए आपको ही विनयपूर्वक पुकार रहा हूँ और अपने दुःख नाश की गुहार लगा रहा हूँ ताकि आपके कृपानिधान नाम को बट्टा ना लगे।

परम प्रबल प्रभाव प्रभु तोरा।
कस न हरहु अब संकट मोरा।।

भावार्थ:- 

हे पवनसुत आपका प्रभाव बहुत ही प्रबल है किन्तु तब भी आप मेरे कष्टों का निवारण क्यों नहीं कर रहे हैं।

     || जय श्री राम जय हनुमान ||
🙏🏼जय जय श्री कृष्ण जय जय श्री कृष्ण🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Ramanatha Swami Car Parking Ariya , Nr. Maghamaya Amman Strits , V.O.C.Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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