https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: 12/28/22

।। जीवन की मिसिंग "टाइल" सिंड्रोम का समर्पण भाव सुंदर कहानी ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। जीवन की मिसिंग "टाइल" सिंड्रोम का समर्पण भाव सुंदर कहानी ।।


एक बार की बात है एक शहर में एक मशहूर होटल मालिक  ने अपने होटल में एक स्विमिंग पूल बनवाया। 

स्विमिंग पूल के चारों  ओर बेहतरीन इटैलियन  टाइल्स लगवाये।

परन्तु मिस्त्री की गलती से एक स्थान पर टाइल  लगना छूट गया। 

अब जो भी आता पहले उसका ध्यान टाइल्स  की खूबसूरती पर  जाता। 

इतने बेहतरीन टाइल्स देख कर हर आने वाला मुग्ध हो जाता। 

वो बड़ी ही बारीकी से उन टाइल्स को देखता व प्रशंसा करता। 

तभी उसकी नज़र उस मिसिंग टाइल पर जाती और वहीं अटक जाती....!

उसके बाद वो किसी भी अन्य टाइल की ख़ूबसूरती नहीं देख पाता। 

स्विमिंग पूल से लौटने वाले हर व्यक्ति की यही शिकायत रहती की एक टाइल मिसिंग है। 

हजारों टाइल्स  के बीच में वो मिसिंग टाइल उसके दिमाग पर हावी रहता थी।

कई लोगों को उस टाइल को देख कर बहुत दुःख होता कि इतना परफेक्ट बनाने में भी एक टाइल रह ही गया। 

तो कई लोगों को उलझन हो होती कि कैसे भी करके वो टाइल ठीक कर दिया जाए।  

बहर हाल वहां से कोई भी खुश नहीं निकला, और एक खूबसूरत स्विमिंग पूल लोगों को कोई ख़ुशी या आनंद नहीं दे पाया।

दरअसल उस स्विमिंग पूल में वो मिसिंग टाइल एक प्रयोग था। 

मनोवैज्ञानिक प्रयोग जो इस बात को सिद्ध करता है।

कि हमारा ध्यान कमियों की तरफ ही जाता है। 

कितना भी खूबसूरत सब कुछ हो रहा हो पर जहाँ एक कमी रह जायेगी वहीँ पर हमारा ध्यान रहेगा।

टाइल तक तो ठीक है पर यही बात हमारी जिंदगी में भी हैं। 

यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है।

जिससे हर  व्यक्ति गुज़र रहा है।

इस मनो विज्ञानिक समस्या को मिसिंग टाइल सिंड्रोम का नाम दिया गया। 

यानी उन चीजों पर ध्यान देना जो हमारे जीवन में नहीं है।

आगे चल कर हमारी ख़ुशी को चुराने का सबसे बड़ा कारण बन जाती हैं।

यानी एक ऐसी मनोवैज्ञानिक समस्या है।

जिसमें हमारा सारा ध्यान जीवन की उस कमी की तरफ रहता है।

जिसे हम नहीं पा सके हैं | 

और यहीं बात हमारी ख़ुशी चुराने का सबसे बड़ा कारण है।

जिन्दगी में कितना कुछ भी अच्छा हो, हम उन्हीं चीजों को देखते हैं।

जो मिसिंग हैं और यही हमारे दुःख का सबसे बड़ा कारण है।

क्या इस एक आदत को बदल कर हम अपने जीवन में खुशहाली ला सकते हैं ?


भगवान ने हमे 32 दांत दिये, लेकिन हमारी जीभ उस टूटे हुए दांत पर ही क्यूँ जाती रहती हैं, कभी सोचा है । 


घर पर आपका ध्यान उसी फर्निचर पर जाती है।

जो अपनी जगह पर से हटा दी गयी होगी। 

यहाँ तक की अगर एक माँ के तीन संताने हो और उनमें से एक सन्तान विदेश गया हुआ होगा।

तो माँ अपने उसी सन्तान के बारे में ज़्यादा सोचती हैं जो विदेश गया हुआ है ।

ना कि उन दो संतानो के बारे में जो उसके साथ रहते हुए उनकी सेवा करते रहते हैं।

ऐसे बहुत से उदाहरण हो सकते हैं जिसमें हम अपनी किसी एक कमी के पीछे सारा जीवन दुखी रहते हैं। 

ज्यादातर लोग उन्हें क्या - क्या मिला है पर खुश होने के स्थान पर उन्हें क्या नहीं मिला है पर दुखी रहते हैं।

मिसिंग टाइल हमारा फोकस चुरा कर हमारी जिन्दगी की सारी  खुशियाँ चुराता है। 

यह शारीरिक और मानसिक कई बीमारियों की वजह बनता है।

अब हमारे हाथ में है कि हम अपना फोकस मिसिंग टाइल पर रखे और दुखी रहें या उन नेमतों पर रखे जो हमारे साथ है और खुश रहें..!

समर्पण का भाव...!

एक बार एक महिला समुद्र के किनारे रेत पर टहल रही थी ।

समुद्र की लहरों के साथ कोई एक बहुत चमकदार पत्थर छोर पर आ गया ।

महिला ने वह नायाब सा दिखने वाला पत्थर उठा लिया ।

वह पत्थर नहीं असली हीरा था...!

महिला ने चुपचाप उसे अपने पर्स में रख लिया।

लेकिन उसके हाव - भाव पर बहुत फ़र्क नहीं पड़ा।

पास में खड़ा एक बूढ़ा व्यक्ति बडे़ ही कौतूहल से यह सब देख रहा था...!

अचानक वह अपनी जगह से उठा और उस महिला की ओर बढ़ने लगा।

महिला के पास जाकर उस बूढ़े व्यक्ति ने उसके सामने हाथ फैलाये और बोला...!

मैंने पिछले चार दिनों से कुछ भी नहीं खाया है ।


क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो?


उस महिला ने तुरंत अपना पर्स खोला और कुछ खाने की चीज ढूँढ़ने लगी ।

उसने देखा बूढ़े की नज़र उस पत्थर पर है। 

जिसे कुछ समय पहले उसने समुद्र तट पर रेत में पड़ा हुआ पाया था...।

महिला को पूरी कहानी समझ में आ गयी ।

उसने झट से वह पत्थर निकाला और उस बूढ़े को दे दिया। 

बूढ़ा सोचने लगा कि कोई ऐसी क़ीमती चीज़ भला इतनी आसानी से कैसे दे सकता है...।
         
बूढ़े ने गौर से उस पत्थर को देखा वह असली हीरा था बूढ़ा सोच में पड़ गया ।

इतने में औरत पलट कर वापस अपने रास्ते पर आगे बढ़ चुकी थी...।

बूढ़े ने उस औरत से पूछा, क्या तुम जानती हो कि यह एक बेश कीमती हीरा है?
         
महिला ने जवाब देते हुए कहा....!

जी हाँ और मुझे यक़ीन है कि यह हीरा ही है...।
          
लेकिन मेरी खुशी इस हीरे में नहीं है बल्कि मेरे भीतर है ।

समुद्र की लहरों की तरह ही दौलत और शोहरत आती जाती रहती है...।

अगर अपनी खुशी इनसे जोड़ेंगे तो कभी खुश नहीं रह सकते ।

बूढ़े व्यक्ति ने हीरा उस महिला को वापस कर दिया और कहा कि यह हीरा तुम रखो और मुझे इससे कई गुना ज्यादा क़ीमती वह समर्पण का भाव दे दो जिसकी वजह से तुमने इतनी आसानी से यह हीरा मुझे दे दिया...।

सारी उम्र हम अपने अहंकार को नहीं छोड़ पाते ।

हम व्यवहार में अनुभव करें तो पायेंगे कि दूसरों को बिना लोभ कुछ अर्पण भी नहीं कर पाते ।

भगवान को भी कुछ पाने की लालसा से ही प्रसाद चढाते हैं।

लालसा पूर्ण नहीं होती तो भगवान को भी बदल लेते हैं।

जब कि भगवान तो एक ही है...।

समर्पण के बगैर परमात्मा की प्राप्ति असम्भव है और समर्पण ही है।

जो भक्ति को अपने गंतव्य तक ले जाती है।

समर्पण से ही आत्मा परमात्मा में लीन होती है...!

हजारों खड़े होंगे क़तार में।

आज भी तेरे दर्शन के इन्तज़ार में एक हम अकेले नहीं कृष्णा , जाने कितने दिवाने हैं तुम्हारे प्यार में , ज़िन्दगी न जाने कैसी प्यास है लाख हो फिर भी हर कोई उदास है।

कहाँ है वो ख़ुशी का ख़ज़ाना  बता कान्हा , जिसकी सब को तलाश है।

सब की समस्याओं का हल हैं तू, आत्म तृप्ति दे जो, वह अमृत जल हैं तू।

चलायमान जगत में सर्वदा अटल है तू।

तेरी दर से ख़ाली न गया कोई गोविन्द, जितना ख़ुद को खोया, उतना ही अधिक तुमको पाया हमने जब भी आयी संकट की धड़ी।

विश्वास का दीपक जलाया हमने तुम दौड़े चले आये,मेरी हर पुकार में जो उलझ कर और भी क़रीब आ जाते हैं।

और दूसरी तरफ रिश्ते हैं.....!

जो ज़रा सा उलझते ही टूट जाते हैं।

“दिखावा” और  “झूठ” बोलकर व्यवहार बनाने से अच्छा है।

“सच” बोलकर “दुश्मन” बना लो।

तुम्हारे साथ कभी “विश्वासघात”नही होगा।

इंसान को खुद की नजर में सही होना चाहिए दुनिया तो भगवान से  भी दु:खी है------!

       !!!!! शुभमस्तु !!!

🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
🙏🙏🙏【【【【【{{{{ (((( मेरा पोस्ट पर होने वाली ऐडवताइस के ऊपर होने वाली इनकम का 50 % के आसपास का भाग पशु पक्षी ओर जनकल्याण धार्मिक कार्यो में किया जाता है.... जय जय परशुरामजी ))))) }}}}}】】】】】🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: + 91- 7010668409 
व्हाट्सएप नंबर:+ 91- 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Web: https://sarswatijyotish.com
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

aadhyatmikta ka nasha

महाभारत की कथा का सार

महाभारत की कथा का सार| कृष्ण वन्दे जगतगुरुं  समय नें कृष्ण के बाद 5000 साल गुजार लिए हैं ।  तो क्या अब बरसाने से राधा कृष्ण को नहीँ पुकारती ...

aadhyatmikta ka nasha 1