https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: 08/08/20

🍁दिवाली की रात में कहां-कहां दीपक लगाने चाहिए। , *विचार संजीवनी* 🍁

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

     🍁दिवाली की रात में कहां - कहां दीपक लगाने चाहिए। , *विचार संजीवनी* 🍁


।। श्री विष्णुपुराण प्रवचन ।।

*दिवाली की रात में कहां-कहां दीपक लगाने चाहिए।*


*👉🏿1- पीपल के पेड़ के नीचे दीपावली की रात एक दीपक लगाकर घर लौट आएं।* 




*दीपक लगाने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।* 

*ऐसा करने पर आपकी धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।*

*👉🏿2- यदि संभव हो सके तो दिवाली की रात के समय किसी श्मशान में दीपक लगाएं।* 

*यदि यह संभव ना हो तो किसी सुनसान इलाके में स्थित मंदिर में दीपक लगा सकते हैं।*

*👉🏿3- धन प्राप्ति की कामना करने वाले व्यक्ति को दीपावली की रात मुख्य दरवाजे की चौखट के दोनों ओर दीपक अवश्य लगाना चाहिए।*

*👉🏿4- हमारे घर के आसपास वाले चौराहे पर रात के समय दीपक लगाना चाहिए।* 

*ऐसा करने पर पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।*

*👉🏿5- घर के पूजन स्थल में दीपक लगाएं, जो पूरी रात बुझना नहीं चाहिए।* 

*ऐसा करने पर महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।*

*👉🏿6- किसी बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे दीपावली की शाम दीपक लगाएं।* 

*बिल्व पत्र भगवान शिव का प्रिय वृक्ष है।* 

*अत: यहां दीपक लगाने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है।*

*👉🏿7- घर के आसपास जो भी मंदिर हो वहां रात के समय दीपक अवश्य लगाएं।* 

*इससे सभी देवी - देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।*

*👉🏿8- घर के आंगन में भी दीपक लगाना चाहिए।* 

*ध्यान रखें यह दीपक भी रातभर बुझना नहीं चाहिए।*

*👉🏿9- घर के पास कोई नदी या तालब हो तो बहा पर रात के समय दीपक अवश्य लगाएं।* 
*इस से दोषो से मुक्ति मिलती है !*

*👉🏿10- तुलसी जी और के पेड़ और सालिगराम के पास रात के समय दीपक अवश्य लगाएं।* 

*ऐसा करने पर महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।*

*👉🏿11- पित्रो का दीपक गया तीर्थ के नाम से घर के दक्षिण में लगाये !* 

*इस से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।* 

*लक्ष्मी प्राप्ति के सूत्र  :-*

*🗣प्रत्येक गृहस्थ इन सूत्रों-नियमों का पालन कर जीवन में लक्ष्मी को स्थायित्व प्रदान कर सकता है।* 

*आप भी अवश्य अपनाएं -*

*👉🏿1. जीवन में सफल रहना है या लक्ष्मी को स्थापित करना है तो प्रत्येक दशा में सर्वप्रथम दरिद्रता विनाशक प्रयोग करना ही होगा।* 

*यह सत्य है की लक्ष्मी धनदात्री हैं....!* 

*वैभव प्रदायक हैं...!* 

*लेकिन दरिद्रता जीवन की एक अलग स्थिति होती है और उस स्थिति का विनाश अलग ढंग से सर्वप्रथम करना आवश्यक होता है।*

*👉🏿2. लक्ष्मी का एक विशिष्ट स्वरूप है "बीज लक्ष्मी"।* 

*एक वृक्ष की ही भांति एक छोटे से बीज में सिमट जाता है - लक्ष्मी का विशाल स्वरूप।* 

*बीज लक्ष्मी साधना में भी उतर आया है ।* 

*भगवती महालक्ष्मी के पूर्ण स्वरूप के साथ - साथ जीवन में उन्नति का रहस्य।*

*👉🏿3. लक्ष्मी समुद्र तनया है, समुद्र से उत्पत्ति है उनकी, और समुद्र से प्राप्त विविध रत्न सहोदर हैं ।* 

*उनके, चाहे वह दक्षिणवर्ती शंख हो या मोती शंख, गोमती चक्र, स्वर्ण पात्र, कुबेर पात्र, लक्ष्मी प्रकाम्य क्षिरोदभव, वर-वरद, लक्ष्मी चैतन्य सभी उनके भ्रातृवत ही हैं और इनकी गृह में उपस्थिति आह्लादित करती है ।* 

*लक्ष्मी को विवश कर देती है उन्हें गृह में स्थापित कर देने को।*

*👉🏿4. समुद्र मंथन में प्राप्त कर रत्न "लक्ष्मी" का वरण यदि किसी ने किया तो वे साक्षात भगवान् विष्णु।* 

*आपने पति की अनुपस्थिति में लक्ष्मी किसी गृह में झांकने तक की भी कल्पना नहीं कर करतीं और भगवान् विष्णु की उपस्थिति का प्रतीक है शालिग्राम, अनंत महायंत्र एवं शंख।* 

*शंख, शालिग्राम एवं तुलसी का वृक्ष -*

*इनसे मिलकर बनता है पूर्ण रूप से भगवान् लक्ष्मी - नारायण की उपस्थिति का वातावरण।*

*👉🏿5. लक्ष्मी का नाम कमला है।* 

*कमलवत उनकी आंखे हैं अथवा उनका आसन कमल ही है और सर्वाधिक प्रिय है - लक्ष्मी को पदम।* 

*कमल - गट्टे की माला स्वयं धारण करना आधार और आसन देना है लक्ष्मी को आपने शरीर में लक्ष्मी को समाहित करने के लिए।*

*👉🏿6. लक्ष्मी की पूर्णता होती है विघ्न विनाशक श्री गणपति की उपस्तिथि से जो मंगल कर्ता है और प्रत्येक साधना में प्रथम पूज्य।* 

*भगवान् गणपति के किसी भी विग्रह की स्थापना किए बिना लक्ष्मी की साधना तो ऐसी है ।* 

*ज्यों कोई अपना धन भण्डार भरकर उसे खुला छोड़ दे।*

*👉🏿7. लक्ष्मी का वास वही सम्भव है, जहां व्यक्ति सदैव सुरुचिपूर्ण वेशभूषा में रहे, स्वच्छ और पवित्र रहे तथा आन्तरिक रूप से निर्मल हो।*

 *गंदे, मैले, असभ्य और बक्वासी व्यक्तियों के जीवन में लक्ष्मी का वास संभव ही नहीं।*
*👉🏿8. लक्ष्मी का आगमन होता है, जहां पौरुष हो, जहां उद्यम हो, जहां गतिशीलता हो। उद्यमशील व्यक्तित्व ही प्रतिरूप होता है ।* 

*भगवान् श्री नारायण का, जो प्रत्येक क्षण गतिशील है, पालन में संलग्न है, ऐसे ही व्यक्तियों के जीवन में संलग्न है।* 

*ऐसे ही व्यक्तियों के जीवन में लक्ष्मी गृहलक्ष्मी बनकर, संतान लक्ष्मी बनकर आय, यश, श्री कई - कई रूपों मे प्रकट होती है।*

*👉🏿9. जो साधक गृहस्थ है, उन्हें अपने जीवन मे हवन को महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए*

 *और प्रत्येक माह की शुक्ल पंचमी को श्री सूक्त के पदों से एक कमल गट्टे का बीज और शुद्ध घृत के द्वारा आहुति प्रदान करना फलदायक होता है।*

*👉🏿10. आपने दैनिक जीवन क्रम में नित्य महालक्ष्मी की किसी ऐसी साधना -* 

*विधि को सम्मिलित करना है, जो आपके अनुकूल हो, और यदि इस विषय में निर्णय -*

*अनिर्णय की स्थिति हो तो नित्य प्रति, सूर्योदय काल में निम्न मन्त्र की एक माला का मंत्र जप तो कमल गट्टे की माला से अवश्य करना चाहिए।*

*मंत्र: ॐ श्रीं श्रीं कमले कमलालाये प्रसीद प्रसीद मम गृहे आगच्छ आगच्छ महालक्ष्म्यै नमः।*

*ॐगजवक्त्राय नमो नमः*
*जय द्वारकाधीश*

राम... राम..  राम...।।🍁

     🍁 *विचार संजीवनी* 🍁

*'कोयला होय नहिं ऊजला सौ मन साबुन लगाय'*-- 

कोयले पर सौ मन साबुन लगा दें तो भी वह साफ नहीं होगा, परंतु उसको अग्नि में रख दें तो वह चमकने लगेगा, क्योंकि वह अग्नि से अलग होने पर ही काला हुआ है। 

अगर चमकते कोयले ( अंगार ) से लकीर खींची जाय तो वह भी काली ही निकलेगी; क्योंकि वह अग्नि से अलग हो गई।  ऐसे ही जीव भगवान से अलग होने पर ही काला, तुच्छ हुआ है।  

अगर भगवान के साथ संबंध जोड़ ले तो चमकने लगेगा ।
 

तात्पर्य है कि जीव भगवान से अलग होकर अपने को कितना ही बड़ा मान ले, त्रिलोकी का अर्थात अनंत ब्रह्मांड का अधिपति हो जाए तो भी वास्तव में छोटा-का-छोटा, त्रिलोकी का गुलाम ही रहेगा।  

परन्तु वह भगवान का दास हो जाए तो बड़े-से-बड़ा (नर से नारायण) हो जाएगा।  

नाशवान के साथ मिलने से अविनाशी (जीव) की फजीती ही है। उसकी इज्जत तो अविनाशी के साथ मिलने से ही है।  
राम !                राम !!            राम !!!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। रुद्राक्ष के प्रकार ओर महत्व एवं लाभ ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। रुद्राक्ष के प्रकार ओर महत्व एवं लाभ ।।


रुद्राक्ष १ मुखी से २१ मुखी,, रुद्राक्ष,,जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण,,लग्न त्रिकोणाधिपति ग्रह लाभकारी रुद्राक्ष,,,अंकषास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण





रुद्राक्ष १ मुखी से २१ मुखी,, रुद्राक्ष,,जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण,,लग्न त्रिकोणाधिपति ग्रह लाभकारी रुद्राक्ष,,,अंकषास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण 
रुद्राक्ष मंत्र १ मुखी शिव 1-ॐ नमः शिवाय । 2 –ॐ ह्रीं नमः
२ मुखी अर्धनारीश्वर ॐ नमः
३ मुखी अग्निदेव ॐ क्लीं नमः
४ मुखी ब्रह्मा,सरस्वती ॐ ह्रीं नमः
५ मुखी कालाग्नि रुद्र ॐ ह्रीं नमः
६ मुखी कार्तिकेय, इन्द्र,इंद्राणी ॐ ह्रीं हुं नमः
७ मुखी नागराज अनंत,सप्तर्षि,सप्तमातृकाएँ ॐ हुं नमः
८ मुखी भैरव,अष्ट विनायक ॐ हुं नमः
९ मुखी माँ दुर्गा १-ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः २-ॐ ह्रीं हुं नमः
१० मुखी विष्णु १-ॐ नमो भवाते वासुदेवाय २-ॐ ह्रीं नमः
११ मुखी एकादश रुद्र १-ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवय धीमही तन्नो रुद्रः प्रचोदयात २-ॐ ह्रीं हुं नमः
१२ मुखी सूर्य १-ॐ ह्रीम् घृणिः सूर्यआदित्यः श्रीं २-ॐ क्रौं क्ष्रौं रौं नमः
१३ मुखी कार्तिकेय, इंद्र १-ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः २-ॐ ह्रीं नमः
१४ मुखी शिव,हनुमान,आज्ञा चक्र ॐ नमः
१५ मुखी पशुपति ॐ पशुपत्यै नमः
१६ मुखी महामृत्युंजय ,महाकाल ॐ ह्रौं जूं सः त्र्यंबकम् यजमहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय सः जूं ह्रौं ॐ
१७ मुखी विश्वकर्मा ,माँ कात्यायनी ॐ विश्वकर्मणे नमः
१८ मुखी माँ पार्वती ॐ नमो भगवाते नारायणाय
१९ मुखी नारायण ॐ नमो भवाते वासुदेवाय
२० मुखी ब्रह्मा ॐ सच्चिदेकं ब्रह्म
२१ मुखी कुबेर ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा
आपकी ग्रह-राशि-नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण करें
ग्रह राषि नक्षत्र लाभकारी रुद्राक्ष मंगल मेष मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा ३ मुखी
शुक्र वृषभ भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा ६ मुखी,१३ मुखी,१५ मुखी
बुध मिथुन आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती ४ मुखी
चन्द्र कर्क रोहिणी-हस्त-श्रवण २ मुखी, गौरी-शंकर रुद्राक्ष
सूर्य सिंह कृत्तिका-उत्तराफाल्गुनी-उत्तराषाढ़ा1 मुखी, १२ मुखी
बुध कन्या आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती ४ मुखी
शुक्र तुला भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा ६ मुखी,१३ मुखी,१५ मुखी
मंगल वृष्चिक मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा ३ मुखी
गुरु धनु-मीन पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद ५ मुखी
शनि मकर-कुंभ पुष्य-अनुराधा-उत्तराभाद्रपद ७ मुखी, १४ मुखी
शनि मकर-कुंभ पुष्य-अनुराधा-उत्तराभाद्रपद ७ मुखी, १४ मुखी
गुरु धनु-मीन पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद ५ मुखी
राहु - आर्द्रा-स्वाति-षतभिषा८ मुखी, १८ मुखी
केतु - अष्विनी-मघा-मूल ९ मुखी,१७ मुखी
नवग्रह दोष निवारणार्थ १० मुखी, २१ मुखी
विषेष : १० मुखी और ११ मुखी किसी एक ग्रह का प्रतिनिधित्व नहीं करते।बल्कि नवग्रहों के दोष निवारणार्थ प्रयोग मे लाय जाते हैं ।


जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न धरण करने के लिए जन्म लग्न का उपयोग सर्वाधिक प्रचलित है । रत्न प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। आदि काल से ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु रत्न धारण करने की परंपरा है।आपकी कुंडली के अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह नुकसानदेह भी हो सकता है। वर्तमान समय में शुद्ध एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो गए हैं, जिससे वे जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए हैं। अतः विकल्प के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक को लाभ ही प्रदान करता है। क्योंकि रुद्राक्ष पर ग्रहों के साथ साथ देवताओं का वास माना जाता है। कुंडली में त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव सर्वाधिक बलशाली माना गया है। लग्न अर्थात जीवन, आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि, विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म। अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह कभी अशुभ फल नहीं देते, अशुभ स्थान पर रहने पर भी मदद ही करते हैं । इसलिए इनके रुद्राक्ष धारण करना सर्वाधिक शुभ है। इस संदर्भ में एक संक्षिप्त विवरण यहां तालिका में प्रस्तुत है।हमने कई बार देखा है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना लग्नानुसार अशुभ होता है। उदाहरण के रूप में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेश हो, तो अशुभ और चंद्र सप्तमेश हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेष-एकादषेष होने पर भी लग्नेष शनि का शत्रु होने के कारण अशुभ नहीं होता। गुरु तृतीयेश-व्ययेश होने के कारण अत्यंत अशुभ होता है। ऐसे में मकर लग्न के जातकों के लिए माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज धारण करना अशुभ है। परंतु यदि मकर लग्न की कुंडली में बुधादित्य ,गजकेसरी, लक्ष्मी जैसा शुभ योग हो और वह सूर्य, चंद्र, मंगल या गुरु से संबंधित हो, तो इन योगों के शुभाशुभ प्रभाव में वृद्धि हेतु इन ग्रहों से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अर्थात गजकेसरी योग के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए दो और तीन मुखी और बुधादित्य योग के लिए चार और एक मुखी रुद्राक्ष।रुद्राक्ष ग्रहों के शुभफल सदैव देते हैं परंतु अशुभफल नहीं देते।

लग्न त्रिकोणाधिपति ग्रह लाभकारी रुद्राक्ष


मेष मंगल-सूर्य-गुरु ३ मुखी + 1 या १२ मुखी + ५ मुखी
वृषश् शुक्र-बुध-षनि ६ या १३ मुखी + ४ मुखी + ७ या १४ मुखी
मिथुन बुध-षुक्र-षनि ४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ७ या १४ मुखी
कर्क चंद्र-मंगल-गुरु २ मुखी + ३ मुखी + ५ मुखी
सिंह सूर्य-गुरु-मंगल 1 या १२ मुखी + ५ मुखी + ६ मुखी
कन्या बुध-षनि-षुक्र ४ मुखी + ७ या १४ मुखी + ६ या १३ मुखी
तुला शुक्र-षनि-बुध ६ या १३ मुखी + ७ या १४ मुखी + ४ मुखी
वृष्चिक मंगल-गुरु-चंद्र ३ मुखी + ५ मुखी + २ मुखी
धनु गुरु-मंगल-सिंह ५ मुखी + ३ मुखी + 1 या १२ मुखी
मकर शनि-षुक्र-बुध ७ या १४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ४ मुखी
कुंभ शनि-बुध-षुक्र ७ या १४ मुखी + ४ मुखी + ६ या १३ मुखी
मीन गुरु-चंद्र-मंगल ५ मुखी + २ मुखी + ३ मुखी
अंकषास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण
जिन जातकों जन्म लग्न, राशि, नक्षत्र नहीं मालूम है वे अंक ज्योतिष के अनुसार जातक को अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक के अनुरूप रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। 1 से ९ तक के अंक मूलांक होते हैं। प्रत्येक अंक किसी ग्रह विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे अंक 1 सूर्य, २ चंद्र, ३ गुरु, ४ राहु, ५ बुध, ६ शुक्र, ७ केतु, ८ शनि और ९ मंगल का। अतः जातक को मूलांक, भाग्यांक और नामांक से संबंधित ग्रह के रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।


आप अपने कार्य-क्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष धारण का सकते हैं
कुछ लोगों के पास जन्म कुंडली इत्यादि की जानकारी नहीं होती वे लोग अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष का लाभ उठा सकते हैं । कार्य की प्रकृति के अनुरूप रुद्राक्ष-धारण करना कैरियर के सर्वांगीण विकास हेतु शुभ एवं फलदायी होता है। किस कार्य क्षेत्र के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।

नेता-मंत्री-विधायक सांसदों के लिए - 1 और १४ मुखी।
प्रशासनिक अधिकारियों के लिए - 1 और १४ मुखी।
जज एवं न्यायाधीशों के लिए - २ और १४ मुखी।
वकील के लिए - ४, ६ और १३ मुखी।
बैंक मैनेजर के लिए - ११ और १३ मुखी।
बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के लिए - ४ और ११ मुखी।
चार्टर्ड एकाउन्टेंट एवं कंपनी सेक्रेटरी के लिए - ४, ६, ८ और १२ मुखी।
एकाउन्टेंट एवं खाता-बही का कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए - ४ और १२ मुखी।
पुलिस अधिकारी के लिए - ९ और १३ मुखी।
पुलिस/मिलिट्री सेवा में काम करने वालों के लिए - ४ और ९ मुखी।
डॉक्टर एवं वैद्य के लिए - १, ७, ८ और ११ मुखी।
फिजीशियन (डॉक्टर) के लिए - १० और ११ मुखी।
सर्जन (डॉक्टर) के लिए - १०, १२ और १४ मुखी।
नर्स-केमिस्ट-कंपाउण्डर के लिए - ३ और ४ मुखी।
दवा-विक्रेता या मेडिकल एजेंट के लिए - १, ७ और १० मुखी।
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लिए - ३ और १० मुखी।
मेकैनिकल इंजीनियर के लिए - १० और ११ मुखी।
सिविल इंजीनियर के लिए - ८ और १४ मुखी।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिए - ७ और ११ मुखी।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए - १४ मुखी और गौरी-शंकर।
कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर के लिए - ९ और १२ मुखी।
पायलट और वायुसेना अधिकारी के लिए - १० और ११ मुखी।
जलयान चालक के लिए - ८ और १२ मुखी।
रेल-बस-कार चालक के लिए - ७ और १० मुखी।
प्रोफेसर एवं अध्यापक के लिए - ४, ६ और १४ मुखी।
गणितज्ञ या गणित के प्रोफेसर के लिए - ३, ४, ७ और ११ मुखी।
इतिहास के प्रोफेसर के लिए - ४, ११ और ७ या १४ मुखी।
भूगोल के प्रोफेसर के लिए - ३, ४ और ११ मुखी।
क्लर्क, टाइपिस्ट, स्टेनोग्रॉफर के लिए - १, ४, ८ और ११ मुखी।
ठेकेदार के लिए - ११, १३ और १४ मुखी।
प्रॉपर्टी डीलर के लिए - ३, ४, १० और १४ मुखी।
दुकानदार के लिए - १०, १३ और १४ मुखी।
मार्केटिंग एवं फायनान्स व्यवसायिओं के लिए - ९, १२ और १४ मुखी।
उद्योगपति के लिए - १२ और १४ मुखी।
संगीतकारों-कवियों के लिए - ९ और १३ मुखी।
लेखक या प्रकाशक के लिए - १, ४, ८ और ११ मुखी।
पुस्तक व्यवसाय से संबंधित एजेंट के लिए - १, ४ और ९ मुखी।
दार्शनिक और विचारक के लिए - ७, ११ और १४ मुखी।
होटल मालिक के लिए - १, १३ और १४ मुखी।
रेस्टोरेंट मालिक के लिए - २, ४, ६ और ११ मुखी।
सिनेमाघर-थियेटर के मालिक या फिल्म-डिस्ट्रीब्यूटर के लिए - १, ४, ६ और ११ मुखी।
सोडा वाटर व्यवसाय के लिए - २, ४ और १२ मुखी।
फैंसी स्टोर, सौन्दर्य-प्रसाधन सामग्री के विक्रेताओं के लिए - ४, ६ और ११ मुखी रुद्राक्ष।
कपड़ा व्यापारी के लिए - २ और ४ मुखी।
बिजली की दुकान-विक्रेता के लिए - १, ३, ९ और ११ मुखी।
रेडियो दुकान-विक्रेता के लिए - १, ९ और ११ मुखी।
लकडी+ या फर्नीचर विक्रेता के लिए - १, ४, ६ और ११ मुखी।
ज्योतिषी के लिए - १, ४, ११ और १४ मुखी रुद्राक्ष ।
पुरोहित के लिए - १, ९ और ११ मुखी।
ज्योतिष तथा र्धामिक कृत्यों से संबंधित व्यवसाय के लिए - १, ४ और ११ मुखी।
जासूस या डिटेक्टिव एंजेसी के लिए - ३, ४, ९, ११ और १४ मुखी।
जीवन में सफलता के लिए - १, ११ और १४ मुखी।
जीवन में उच्चतम सफलता के लिए - १, ११, १४ और २१ मुखी।
विषेष : इनके साथ-साथ ५ मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जाना चाहिए।*

    हर हर महादेव...हर....!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

।। दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति की सचोट साधना - विधियाँ* / *#भोजन के प्रकार*।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश


।। दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति  की सचोट साधना - विधियाँ* / *#भोजन के प्रकार*।।


।। श्रीमदविष्णुपुराण प्रवचन ।।

🎋 *दीपावली विशेष* 🎋

🍂श्री लक्ष्मीनारायणाय नम: 🍂

🌴 _*दीपावली पर लक्ष्मीप्राप्ति  की सचोट साधना - विधियाँ*_ 🌴



1) 🥀 *धनतेरस से आरम्भ करें* : 

सामग्री: दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र , धूप , अगरबत्ती , दीपक ,लाल वस्त्र।

🌴 *विधि* : 

साधक अपने सामने लक्ष्मीनारायण व लक्ष्मीजी या सत्यनारायण के फोटो रखें तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दें। 

उस पर केसर से स्वस्तिक बना लें तथा कुमकुम से तिलक कर दें। 

इसके बाद स्फटिक की माला से निम्न मंत्र की 7 मालाएं करें। 

तीन दिन तक ऐसा करना है। 

इतने से ही मंत्र - साधना सिद्ध हो जाती है। 

मंत्र जप पूरा होने के पश्चात लाल वस्त्र में शंख को बांधकर घर में रख दें। 

कहते हैं - जब तक वह शंख घर में रहेगा ।

तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी।

*मंत्र* 
_।।ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं  महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृहे स्थिरो ह्रीं ॐ नमः।।_

2) 🍁 *दीपावली से आरंभ करें* : 
( त्रीय- दिवसीय साधना ) 

🎋 *दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात भाईदूज तक* 

एक स्वच्छ कमरे में धूप , दीप व अगरबत्ती जलाकर शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके ।

ललाट पर केसर का तिलक कर ।

स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की दो मालाएं जपें : 

*मंत्र* 
_।।ॐ नमों भाग्यलक्षम्यै च विद्- महे। 
अष्टलक्षम्यै च धीमहि । 
तन्नो लक्ष्मी : प्रचोदयात्।।_

🌴 दीपावली लक्ष्मी जी का जन्मदिवस है। 

समुद्र - मंथन के दौरान इस दिन वे क्षीरसागर से प्रगट हुई थी। 

अतः घर मे लक्ष्मी जी के वास , दरिद्रता के विनाश और आजीविका के उचित निर्वाह हेतु यह साधना करनेवाले पर लक्ष्मीजी प्रशन्न होती है।

🙏 सभी साधक यह साधना दीपावली पर अवश्य करें🙏 

⛅🥀 *धनतेरस* -

धनवन्तरिजी के आरोग्य - सिद्धांतों और आत्मविश्वासरूपी को अपने चित्त में सिंचन करने का संकेत देता है धवन्तरिदशी का पर्व ।

आपके जीवन में शारीरिक धन की रक्षा करने की भी कला होनी चाहिए। 

धनतेरस के दिन लक्ष्मी - पूजन करते हैं।

इस दिन सुबह उठकर संकल्प करो कि " मैं महालक्ष्मी  का पूजन करूंगा।" 

व्रत करो और सन्ध्याकाल में लक्ष्मी - पूजन करो। 

🥀 *नरक चतुर्दर्शी* - 

इस दिन तेल में लक्ष्मी जी का और जल में गंगा जी का वास कहा गया है ।

जल में पवित्रता होती है। 

इस शुभ अवसर पर जो ब्यक्ति प्रातः काल स्नान करता है ।

वह रूपवान होता है । 

उसकी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

🌞 *दीपावली* - 

दिवाली की रात को सरस्वतीजी ओर लक्ष्मीजी का पूजन होता है। 

धन प्राप्त हो , बहुत धन मिले, उसे मैं " लक्ष्मी " नहीं मानता । 

महापुरुष उसे ' वित्त ' मानते हैं। 

दीवाली की रात को सरस्वतीजी का पूजन करते हैं, जिससे विद्या मिले । 

ऐहिक विधा के साथ आपके चित्त में विनय आये ।

आपके जीवन में ब्रम्हविधा आये । 

इस लिए सरस्वतीजी की पूजा करनी होती है ।

और आपका वित्त आपको बांधने वाला न हो ।

आपको विषय - विलास एवं विकारों में न घसीट ले इसलिए लक्ष्मी - पूजन करना होता है।

🍁 *प्रतिपदा* - 

इस दिन से विक्रम संवत शुरू होता है।

दीपावली की रात्रि को पिछले संवत में थे , सुबह नये संवत में आये । 

रात को सोकर सारा वर्ष रूपांतरित कर दिया । 

वैसे ही मृत्यु भी एक रात्रि है, पूरा जीवन रूपांतरित कर देती है। 

अपनी मौत को याद करके अमरता की ओर बढ़ने का संकेत इस पर्व में समाया हुआ है।

वर्ष के प्रथम दिन तुम्हारे जीवन की दैनंदिनी के प्रथम पन्ने पर पहले लिखो -  

🌴 अथातो ब्रम्हाजिज्ञासा 🌴

तुझे कुछ जानना है तो उस एक जान जिससे सब जाना जाता है। 

कुछ पाना है तो उस एक को पा जिससे सब पाया जाता है।तुझे मिलना है ।

तो उस एक से मिल जिससे तू सबसे एक ही साथ मिल पाये। 

👨‍👩‍👧‍👧 *भाईदूज* - भाईदूज मतलब भाई की बहन के लिए सदभावना और बहन की भाई के लिए सदभावना क्योकि आपका मन कल्पतरु है। 

⛅ भाई बहन के घर जाता है, बहन के प्यारभरे स्पंदनों ।

भावों से बना हुआ भोजन करता है, बहन के संकल्प , आशीष लेता है ।

बहन के प्रति अपनी कृतज्ञता भी ब्यक्त करता है।

  बहन भाई को त्रिलोचन देखना चाहती है और भाई बहन का शील , मान - सम्मान बरकरार रहे यह देखना चाहता है।

दोनों के हृदय में दिब्य भाव प्रकटाने का पर्व है भाईदूज।

*🙏 आप सभी साधक भाई- बहनों को  दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं🙏*

🌴जय श्री लक्ष्मीनारायण🌴


।।*#भोजन के प्रकार*।।


*#भीष्म पितामह ने   गीता में अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन करने के लिए  बताया था।*
 
👉🏿1) #पहला भोजन- जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होती है।

👉🏿2) #दूसरा भोजन- जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई ,पाव लग गया वह भोजन की थाली भिष्टा के समान होता है।

👉🏿3) #तीसरे प्रकार का भोजन -जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, केश पड़ा हो वह दरिद्रता के समान होता है।

👉🏿4)#चौथे नंबर का भोजन -अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के तुल्य होता है।

#विषेश सूचना --
 और सुन अर्जुन-  बेटी अगर कुमारी हो और अपने पिता के साथ भोजन करती है एक ही थाली में ,, उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती ,क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है ।इसीलिए बेटी जब तक कुमारी रहे तो अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करें। क्योंकि वह अपने पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती हैं।

 *स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथमे है*
सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।

*1*  *मुनि स्नान।*
जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है।
.
*2*  *देव स्नान।*
जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है।
.
*3*  *मानव स्नान।*
जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है।
.
*4*  *राक्षसी स्नान।*
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है। 

▶️मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
▶️देव स्नान उत्तम है।
▶️मानव स्नान समान्य है।
▶️राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
.

किसी भी मानव को 8 बजे के बाद स्नान नही करना चाहिए।
.
*मुनि स्नान .......*
👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
.
*देव स्नान ......*
👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
.
*मानव स्नान.....*
👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।
.
*राक्षसी स्नान.....*
👉🏻 दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
.
किसी भी मनुष्य को 8 के बाद स्नान नही करना चाहिए।
.
पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।

*खास कर जो घर की स्त्री होती थी।* चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो।
.
घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।
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*ऐसा करने से धन ,वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।*
.
उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता।
.
उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है।
.
प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है।
.

इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । 

ओर उन का पालन भी करे।
.
आप का भला हो ,आपके अपनों का भला हो।
.
मनुष्य अवतार बार बार नही मिलता।
.
अपने जीवन को सुखमय बनाये।

जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनाये।
☝🏼 *याद रखियेगा !* 👇🏽
 *संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।*
*सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।* 
*पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगे।*
ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।
जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1)जल
(2) पथ्वी
(3)आकाश
(4)वायू
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।

5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में

सिर्फ 1 बार भेजो बहुत लोग इन पापो से बचेंगे ।।

अकेले हो?
परमात्मा को याद करो ।

परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।

उदास हो?
कथाए पढो ।

टेन्शन मे हो?
भगवत गीता पढो ।

फ्री हो?
अच्छी चीजे फोरवार्ड करो
हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......

सूचना
क्या आप जानते हैं ?
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।

व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।

ये मेसेज असुर भेजने से रोकेगा मगर आप ऐसा नही होने दे और मेसेज सब नम्बरो को भेजे ।

श्रीमद भगवत गीता पुराण और रामायण ।
.
''कैन्सर"
एक खतरनाक बीमारी है...!

बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...!

बहुत मामूली इलाज करके इस
बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...!

अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...!

खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...!

''हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि...!


खाने से पहले'पानी 'पीना
अमृत"है...

खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की
''पूजा'' है...

खाना खत्म होने से पहले 'पानी'
''पीना औषधि'' है...

खाने के बाद 'पानी' पीना"
बीमारीयो का घर है...

बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...

ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है...

जय श्री राम

रोज एक सेब
नो डाक्टर ।

रोज पांच बदाम,
नो कैन्सर ।

रोज एक निबु,
नो पेट बढना ।

रोज एक गिलास दूध,
नो बौना (कद का छोटा)।

रोज 12 गिलास पानी,
नो चेहेरे की समस्या ।

रोज चार काजू,
नो भूख ।

रोज मन्दिर जाओ,
नो टेन्शन ।

रोज कथा सुनो 
मन को शान्ति मिलेगी ।।

"चेहरे के लिए ताजा पानी"।

"मन के लिए गीता की बाते"।

"सेहत के लिए योग"।

और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।

अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं ।
जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान इक इक पुण्य के लिए तरसेगा ।

जब तक ये मेसेज भेजते रहोगे मुझे और आपको इसका पुण्य मिलता रहेगा...
 
जय श्री राम जय जय श्री सीता राम 
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

aadhyatmikta ka nasha

महाभारत की कथा का सार

महाभारत की कथा का सार| कृष्ण वन्दे जगतगुरुं  समय नें कृष्ण के बाद 5000 साल गुजार लिए हैं ।  तो क्या अब बरसाने से राधा कृष्ण को नहीँ पुकारती ...

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