सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
🍁दिवाली की रात में कहां - कहां दीपक लगाने चाहिए। , *विचार संजीवनी* 🍁
।। श्री विष्णुपुराण प्रवचन ।।
*दिवाली की रात में कहां-कहां दीपक लगाने चाहिए।*
*👉🏿1- पीपल के पेड़ के नीचे दीपावली की रात एक दीपक लगाकर घर लौट आएं।*
*दीपक लगाने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।*
*ऐसा करने पर आपकी धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।*
*👉🏿2- यदि संभव हो सके तो दिवाली की रात के समय किसी श्मशान में दीपक लगाएं।*
*यदि यह संभव ना हो तो किसी सुनसान इलाके में स्थित मंदिर में दीपक लगा सकते हैं।*
*👉🏿3- धन प्राप्ति की कामना करने वाले व्यक्ति को दीपावली की रात मुख्य दरवाजे की चौखट के दोनों ओर दीपक अवश्य लगाना चाहिए।*
*👉🏿4- हमारे घर के आसपास वाले चौराहे पर रात के समय दीपक लगाना चाहिए।*
*ऐसा करने पर पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं।*
*👉🏿5- घर के पूजन स्थल में दीपक लगाएं, जो पूरी रात बुझना नहीं चाहिए।*
*ऐसा करने पर महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।*
*👉🏿6- किसी बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे दीपावली की शाम दीपक लगाएं।*
*बिल्व पत्र भगवान शिव का प्रिय वृक्ष है।*
*अत: यहां दीपक लगाने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है।*
*👉🏿7- घर के आसपास जो भी मंदिर हो वहां रात के समय दीपक अवश्य लगाएं।*
*इससे सभी देवी - देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।*
*👉🏿8- घर के आंगन में भी दीपक लगाना चाहिए।*
*ध्यान रखें यह दीपक भी रातभर बुझना नहीं चाहिए।*
*👉🏿9- घर के पास कोई नदी या तालब हो तो बहा पर रात के समय दीपक अवश्य लगाएं।*
*इस से दोषो से मुक्ति मिलती है !*
*👉🏿10- तुलसी जी और के पेड़ और सालिगराम के पास रात के समय दीपक अवश्य लगाएं।*
*ऐसा करने पर महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।*
*👉🏿11- पित्रो का दीपक गया तीर्थ के नाम से घर के दक्षिण में लगाये !*
*इस से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।*
*लक्ष्मी प्राप्ति के सूत्र :-*
*🗣प्रत्येक गृहस्थ इन सूत्रों-नियमों का पालन कर जीवन में लक्ष्मी को स्थायित्व प्रदान कर सकता है।*
*आप भी अवश्य अपनाएं -*
*👉🏿1. जीवन में सफल रहना है या लक्ष्मी को स्थापित करना है तो प्रत्येक दशा में सर्वप्रथम दरिद्रता विनाशक प्रयोग करना ही होगा।*
*यह सत्य है की लक्ष्मी धनदात्री हैं....!*
*वैभव प्रदायक हैं...!*
*लेकिन दरिद्रता जीवन की एक अलग स्थिति होती है और उस स्थिति का विनाश अलग ढंग से सर्वप्रथम करना आवश्यक होता है।*
*👉🏿2. लक्ष्मी का एक विशिष्ट स्वरूप है "बीज लक्ष्मी"।*
*एक वृक्ष की ही भांति एक छोटे से बीज में सिमट जाता है - लक्ष्मी का विशाल स्वरूप।*
*बीज लक्ष्मी साधना में भी उतर आया है ।*
*भगवती महालक्ष्मी के पूर्ण स्वरूप के साथ - साथ जीवन में उन्नति का रहस्य।*
*👉🏿3. लक्ष्मी समुद्र तनया है, समुद्र से उत्पत्ति है उनकी, और समुद्र से प्राप्त विविध रत्न सहोदर हैं ।*
*उनके, चाहे वह दक्षिणवर्ती शंख हो या मोती शंख, गोमती चक्र, स्वर्ण पात्र, कुबेर पात्र, लक्ष्मी प्रकाम्य क्षिरोदभव, वर-वरद, लक्ष्मी चैतन्य सभी उनके भ्रातृवत ही हैं और इनकी गृह में उपस्थिति आह्लादित करती है ।*
*लक्ष्मी को विवश कर देती है उन्हें गृह में स्थापित कर देने को।*
*👉🏿4. समुद्र मंथन में प्राप्त कर रत्न "लक्ष्मी" का वरण यदि किसी ने किया तो वे साक्षात भगवान् विष्णु।*
*आपने पति की अनुपस्थिति में लक्ष्मी किसी गृह में झांकने तक की भी कल्पना नहीं कर करतीं और भगवान् विष्णु की उपस्थिति का प्रतीक है शालिग्राम, अनंत महायंत्र एवं शंख।*
*शंख, शालिग्राम एवं तुलसी का वृक्ष -*
*इनसे मिलकर बनता है पूर्ण रूप से भगवान् लक्ष्मी - नारायण की उपस्थिति का वातावरण।*
*👉🏿5. लक्ष्मी का नाम कमला है।*
*कमलवत उनकी आंखे हैं अथवा उनका आसन कमल ही है और सर्वाधिक प्रिय है - लक्ष्मी को पदम।*
*कमल - गट्टे की माला स्वयं धारण करना आधार और आसन देना है लक्ष्मी को आपने शरीर में लक्ष्मी को समाहित करने के लिए।*
*👉🏿6. लक्ष्मी की पूर्णता होती है विघ्न विनाशक श्री गणपति की उपस्तिथि से जो मंगल कर्ता है और प्रत्येक साधना में प्रथम पूज्य।*
*भगवान् गणपति के किसी भी विग्रह की स्थापना किए बिना लक्ष्मी की साधना तो ऐसी है ।*
*ज्यों कोई अपना धन भण्डार भरकर उसे खुला छोड़ दे।*
*👉🏿7. लक्ष्मी का वास वही सम्भव है, जहां व्यक्ति सदैव सुरुचिपूर्ण वेशभूषा में रहे, स्वच्छ और पवित्र रहे तथा आन्तरिक रूप से निर्मल हो।*
*गंदे, मैले, असभ्य और बक्वासी व्यक्तियों के जीवन में लक्ष्मी का वास संभव ही नहीं।*
*👉🏿8. लक्ष्मी का आगमन होता है, जहां पौरुष हो, जहां उद्यम हो, जहां गतिशीलता हो। उद्यमशील व्यक्तित्व ही प्रतिरूप होता है ।*
*भगवान् श्री नारायण का, जो प्रत्येक क्षण गतिशील है, पालन में संलग्न है, ऐसे ही व्यक्तियों के जीवन में संलग्न है।*
*ऐसे ही व्यक्तियों के जीवन में लक्ष्मी गृहलक्ष्मी बनकर, संतान लक्ष्मी बनकर आय, यश, श्री कई - कई रूपों मे प्रकट होती है।*
*👉🏿9. जो साधक गृहस्थ है, उन्हें अपने जीवन मे हवन को महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए*
*और प्रत्येक माह की शुक्ल पंचमी को श्री सूक्त के पदों से एक कमल गट्टे का बीज और शुद्ध घृत के द्वारा आहुति प्रदान करना फलदायक होता है।*
*👉🏿10. आपने दैनिक जीवन क्रम में नित्य महालक्ष्मी की किसी ऐसी साधना -*
*विधि को सम्मिलित करना है, जो आपके अनुकूल हो, और यदि इस विषय में निर्णय -*
*अनिर्णय की स्थिति हो तो नित्य प्रति, सूर्योदय काल में निम्न मन्त्र की एक माला का मंत्र जप तो कमल गट्टे की माला से अवश्य करना चाहिए।*
*मंत्र: ॐ श्रीं श्रीं कमले कमलालाये प्रसीद प्रसीद मम गृहे आगच्छ आगच्छ महालक्ष्म्यै नमः।*
*ॐगजवक्त्राय नमो नमः*
*जय द्वारकाधीश*
राम... राम.. राम...।।🍁
🍁 *विचार संजीवनी* 🍁
*'कोयला होय नहिं ऊजला सौ मन साबुन लगाय'*--
कोयले पर सौ मन साबुन लगा दें तो भी वह साफ नहीं होगा, परंतु उसको अग्नि में रख दें तो वह चमकने लगेगा, क्योंकि वह अग्नि से अलग होने पर ही काला हुआ है।
अगर चमकते कोयले ( अंगार ) से लकीर खींची जाय तो वह भी काली ही निकलेगी; क्योंकि वह अग्नि से अलग हो गई। ऐसे ही जीव भगवान से अलग होने पर ही काला, तुच्छ हुआ है।
अगर भगवान के साथ संबंध जोड़ ले तो चमकने लगेगा ।
तात्पर्य है कि जीव भगवान से अलग होकर अपने को कितना ही बड़ा मान ले, त्रिलोकी का अर्थात अनंत ब्रह्मांड का अधिपति हो जाए तो भी वास्तव में छोटा-का-छोटा, त्रिलोकी का गुलाम ही रहेगा।
परन्तु वह भगवान का दास हो जाए तो बड़े-से-बड़ा (नर से नारायण) हो जाएगा।
नाशवान के साथ मिलने से अविनाशी (जीव) की फजीती ही है। उसकी इज्जत तो अविनाशी के साथ मिलने से ही है।
राम ! राम !! राम !!!
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏