सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। आध्यात्मिक वेद पुराण या भागवत गीता की कहानी।।
एक बूढ़ा किसान अपने छोटे पोते के साथ पहाड़ों के बीच एक खेत में रहता था।
हर सुबह उसके दादाजी रसोई की मेज पर बैठकर वेद पुराण और भगवत गीता पढ़ रहे होते थें।
पोता उनके जैसा ही बनना चाहता था और वह हर तरह से उनकी नकल करने की कोशिश करता रहता था।
एक दिन पोते ने पूछा ।
"दादाजी, मैं आपकी तरह ही वेद पुराण या भगवत गीता पढ़ने की कोशिश करता हूँ ।
लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आती है ।
और जो मुझे समझ में आता है वह सब भी मैं किताब बंद करते ही भूल जाता हूँ।
ऐसे में वेद पुराण या भगवत गीता पढ़ने से मुझे क्या फायदा?"
दादाजी ने चूल्हे में कोयला डालते हुए पोते की ओर मुँह मोड़ कर जवाब दिया ।
"इस कोयले की टोकरी को नदी में ले जाओ और मुझे इसमें पानी भरकर वापस लाकर दो।"
लड़के ने वैसा ही किया जैसा उससे कहा गया था ।
लेकिन उसके घर वापस आने से पहले ही टोकरी से सारा पानी निकल गया।
दादाजी हँसे और कहा।
"अगली बार तुम थोड़ा तेज चलना,"
और दादाजी ने उसे फिर से कोशिश करने के लिए कहा और टोकरी के साथ नदी तक वापस भेज दिया।
इस बार लड़का तेजी से भागा ।
लेकिन घर लौटने से पहले ही टोकरी फिर से खाली थी।
फूलते साँस के साथ उसने अपने दादा से कहा कि ।
"इस टोकरी में पानी भरकर लाना असंभव है।"
और वह अब टोकरी के बदले में एक बाल्टी में पानी लेने चला।
दादाजी ने कहा।
"मुझे पानी बाल्टी में नहीं चाहिए;
मुझे पानी टोकरी में ही चाहिए।
तुम बस मेहनत नहीं कर रहे हो।"
और फिर दादाजी लड़के को दोबारा से कोशिश करते हुए देखने के लिए दरवाजे से बाहर चले गये।
लड़का जानता था कि यह असंभव था ।
लेकिन फिर भी वह अपने दादाजी को दिखाना चाहता था ।
कि वह कितनी भी तेजी से दौड़ ले ।
घर वापस आने से पहले पानी टोकरी से बाहर निकल ही जाएगा।
लड़के ने फिर से टोकरी को नदी में डुबोया और जोर - जोर से दौड़ा ।
लेकिन जब वह अपने दादाजी के पास पहुँचा तो टोकरी फिर से खाली थी।
उसने हिम्मत हार ली और दादाजी से कहा ।
"देखो!
यह बेकार है।"
"तो तुम्हें लगता है ।
कि यह बेकार है?"
दादाजी ने कहा।
अगर ऐसा है ।
तो तुम टोकरी को एक बार ग़ौर से देखो।
लड़के ने टोकरी की ओर देखा।
पहली बार उसने महसूस किया कि टोकरी कुछ अलग लग रही है।
वह एक गंदी पुरानी कोयले की टोकरी से बदलकर अंदर और बाहर से एक साफ टोकरी में बदल चुकी है।
तो ऐसा ही होता है।
हो सकता है ।
कि आप सब कुछ न समझें या याद न रखें ।
लेकिन जब आप इसे पढ़ेंगे।
तो आप अंदर और बाहर से बदल जाएँगे।
हमारे जीवन में भगवान यही काम करते हैं।"
यह केवल भगवत गीता के बारे में ही नहीं है ।
बल्कि किसी भी आध्यात्मिक पुस्तक के बारे में है।
यह हमारा जीवन बदल देती हैं।
गोविंद राधे
एक साहब ने तोता पाल रखा था और उस से बड़ी मोहब्बत करते थे ।
एक दिन एक बिल्ली उस तोते पर झपटी और तोता उठा कर ले गई ।
वो साहब रोने लगे तो लोगो ने कहा:
जनाब आप क्यों रोते हो?
हम आपको दूसरा तोता ला देते हैं ।
वो साहब बोले:
मैं तोते की जुदाई पर नही रो रहा हूं।
पूछा गया:
फिर क्यों रो रहे हो?
कहने लगे:
दरअसल बात ये है कि मैंने उस तोते को कालिमा शरीफ या भगवान के रट्न सिखा रखा था ।
वो सारा दिन कालिमा शरीफ भगवान के नाम को पढ़ता रहता था ।
आज जब बिल्ली उस पर झपटी तो वो कालिमा शरीफ भगवान का नाम भूल गया और टाएं टाएं करने लगा।
अब मुझे ये फिक्र खाए जा रही है ।
कि कालिमा शरीफ या भगवान का नाम तो मैं भी पढ़ता हूँ ।
लेकिन जब मौत का फरिश्ता दूत मुझ पर झपटेगा ।
न मालूम मेरी जबान से कालिमा शरीफ भगवान का नाम निकलेगा या तोते की तरह टाएं-टाएं निकलेगी।
इसी लिए महापुरुष कहते हैं कि विचार - विचार कर तत्त्वज्ञान और रुपध्यान इतना पक्का कर लो ।
कितना भी दुःख या सुख पर हर समय, हर जगह भगवान के सिवाय और कुछ दिखाई न दे ।
हर समय जिव्हा पर राधे - राधे या राम - राम चलता रहे।
अन्तिम समय ऐसा न हो हम भी तोते की तरह भगवान के नाम की जगह हाय - हाय करने लगें।
"आध्यात्मिक प्रगति पूरी तरह से जीवन को सरल बनाने और ज़रूरी बातों पर केन्द्रित होने के बारे में है।"
स्त्रीषु प्रीतिर्विशेषण
स्त्रीष्वपत्यं प्रतिष्ठितम्।
धर्मार्था स्त्रीषु लक्ष्मीश्च,
स्त्रीषुलोकाः प्रतिष्ठिताः।।
भावार्थ:-
स्त्रियों में स्नेह की मात्रा विशेष रूप से अधिक रहती है।
धर्म की मात्रा भी उनमें अधिक रहती है।
इस लिए उन्हें धर्मपत्नी का पद दिया जाता है।
उनमें अर्थ तत्व भी है, उनके लक्षणों के कारण धन बढ़ता है।
इस लिए उन्हें गृहलक्ष्मी कहते हैं।
काम रूप होने से संतान को जन्म देती है।
शक्ति रूप से लोक में प्रतिष्ठित होकर मोक्ष देती है।
इसी से संसार में इनकी प्रतिष्ठा है।
राधे राधे गोविन्द गोविन्द राधे...
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: + 91- 7010668409
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏