https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: 01/29/25

मौनी अमावस्या / लड़की ने अपने पापा से पूछा :

मौनी अमावस्या  / लड़की ने अपने पापा से पूछा 

*|| मौनी अमावस्या ||* 

*मौनी अमावस्या का व्रत हर वर्ष माघ माह की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। 

इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। 

इस वर्ष यह व्रत 29 जनवरी, बुधवार को यह व्रत रखा जाएगा....! 

और इसी दिन प्रयागराज महाकुंभ में अमृत स्नान भी रहेगा।






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🌘मौनी अमावस्या व धार्मिक मान्यता - :

धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। 

यह दिन गंगा स्नान, दान और पितरों की पूजा के लिए समर्पित होता है। 

प्रत्येक अमावस्या का अपना विशेष महत्व होता है....! 

लेकिन मौनी अमावस्या को इनमें सबसे खास माना गया है। 

इस दिन मौन रहकर व्रत करने की परंपरा है। 

इसे जप, तप और साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है।

*🌘मौनी अमावस्या पर मौन रखने का कारण-:* 

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है। 

साधक इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं....! 

जो मुख्यतः आत्मसंयम और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। 

यह व्रत साधु - संतों के द्वारा भी किया जाता है....! 

क्योंकि मौन रहकर मन को नियंत्रित करना और ध्यान में एकाग्रता लाना सरल हो जाता है। 

शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति होती है। 

इसके माध्यम से वाणी की शुद्धता और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। 

यह व्रत आत्मिक शांति और साधना में गहराई लाने का एक सशक्त माध्यम है//

*🌘मौनी अमावस्या व्रत के नियम-:* 

इस दिन प्रातःकाल गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। 

यदि गंगा स्नान संभव न हो तो घर में स्नान के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर स्नान करना चाहिए।

स्नान के उपरांत भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए...! 

उसके उपरांत पितरों का तर्पण करना चाहिए और भगवान के समक्ष पूजा उपासना करने के उपरांत मौन व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

व्रत के दौरान किसी प्रकार का बोलना वर्जित है। 

इस दिन ज्यादा समय मौन में बिताना चाहिए। 

ध्यान - 

जप इत्यादि करना काफी लाभदायक होता है।

इस दिन फालतू- अनर्गल वार्तालाप तो बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

तिथि समाप्त होने के बाद मौन व्रत पूर्ण करें एवं व्रत खोलने से पहले भगवन नाम का जाप करते हुए व्रत खोलें।*

मौनी अमावस्या का व्रत आत्मसंयम, शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। 

यह व्रत मन और वाणी को शुद्ध करता है और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। 

शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मान - सम्मान की वृद्धि होती है और साधक की वाणी में मधुरता आती है। 

साथ ही, यह व्रत व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी जीवन में संतुलन लाने में सहायक होता है।*

इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान- पुण्य करना बताया गया है। 

इस दिन किया हुआ दान-पुण्य कई गुना शुभ फल प्रदान करता है।

मौनी अमावस्या का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है....! 

बल्कि यह आत्म - नियंत्रण और ध्यान के माध्यम से मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है। 

मौनी अमावस्या पर विधिवत व्रत रखने से सकारात्मक ऊर्जा का विशेष प्रभाव आपके तन - मन व विचारों पर देखने को मिलेगा//*

*|| लड़की ने अपने पापा से पूछा -||*
        
पापा मैं अपने शरीर के कितने हिस्से को ढकूं और कितने हिस्से को खुला छोड़ दूं ?

पिता का बड़ा खूबसूरत जबाब मिला -

बेटा जितने हिस्से पर तुम नर्क की आग सहन कर सको उतना हिस्सा खुला छोड़ दो!

लड़की बोली - 

ऐसा क्यों पापा ?
     
पापा - 

क्योंकि पर्दा करना बहुत जरूरी है क्योंकि तुमने श्री कृष्ण की गोपियों के कपड़े चुराने बाली कहानी तो सुनी होगी जब गोपियां तालाब में निर्वस्त्र होकर नहाती थी...! 

तो भगवान श्री कृष्ण गोपियों के कपड़े उठा ले जाते थे और उनको परेशान करते थे ।

वो ऐसा इस लिए करते थे ।

क्योंकि वो नही चाहते थे कि कोई भी स्त्री बिना कपड़ों के नहाये।

क्योंकि गोपियों को इंसान के अलावा जीव जंतु पशु पक्षी मछली व अन्य जानवर भी देखते थे....! 

जिसका ज्ञान गोपियों को नही था,इस लिए वो बिना कपड़ों के नहाने के लिए मना करते थे ।

व स्त्री को पर्दे में रहने की शिक्षा देते थे, लेकिन कुछ लोगो ने इसका उल्टा अर्थ निकाल लिया।

लड़की बोली - 

पापा अगर में पर्दा करूँगी तो खूबसूरत कैसे दिखूंगी ?

पिता -

इस का जबाब में बेटा बाद में दूंगा....!

कुछ दिन बाद पिता काम से विदेश चला गया,और वहाँ से उसने लड़की के लिये गिफ्ट भेजा,लड़की ने गिफ्ट खोला उसमे एप्पल का मोबाइल था।

पिता का फोन आया -

बेटा गिफ्ट कैसा लगा ?

लड़की - बहुत अच्छा..!

पिता - बेटा अब क्या करोगे...! 

लड़की - 

सबसे पहले मैं इस फोन का स्क्रीनगार्ड और कवर खरीदूंगी...!

पिता -

इससे क्या होगा ?

लड़की - 

इससे फोन सेफ रहेगा ।

पिता - 

क्या ये सब लगाना जरूरी है ?

लड़की - 

हां पापा बहुत जरूरी है ?

पिता - 

क्या ऐप्पल कंपनी के मालिक ने ये लगाने के लिए बोला है ? 

लड़की - 

हां पापा बॉक्स में इंस्ट्रक्सन लिखे है कि ये जरूर लगाएं।

पिता - 

इनको लगाने से फोन खराब तो नही दिखेगा ?

लड़की - 

नही पापा इसको लगाने से मेरा फोन और ज्यादा खूब सूरत दिखने लगेगा!

पिता - 

बेटा जब एक मोबाइल की सेफ्टी और खूबसूरत दिखने के लिए स्क्रीनगार्ड और कवर बहुत इम्पोर्टेन्ट है।

तो बेटा तुम तो उस ईश्वर की नायाब रचना हो।

तुम्हारी सेफ्टी और खूबसूरती के लिये ही उसने पर्दा करने को कहा है....! 

जब स्क्रीनगार्ड और कवर से मोबाइल खूब सूरत हो जाता है....! 

उसी प्रकार पर्दा करने से तुम भी और ज्यादा खूब सूरत दिखोगी और सब तुम्हारी इज्ज़त भी करेंगे। 

शरीर खुला रखने से नही ढकने से खूबसूरती आती है।

और ये केवल तुम पर नही हर इंसान पर लागू होता है वो चाहे स्त्री हो या पुरुष।

अगर हम लोग भी निर्वस्त्र होकर घूमने लगे तो जानवरों और हममें कोई फर्क नही,और न ही हमे खुद को बुद्धि जीवी कहने का अधिकार है।

बेटी की आखों के आंसू थे ।

आज पिता ने अपनी बेटी को जिंदगी की एक महत्व पूर्ण शिक्षा दी थी...।

|| हर हर महादेव हर  ||

दो पत्ते

गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ 🌳था। 

पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते 🍃नदी में आ गिरे।

एक पत्ता आड़ा गिरा और एक सीधा।

जो आड़ा गिरा वह अड़ गया, कहने लगा....! 

“आज चाहे जो हो जाए मैं इस नदी को रोक कर ही रहूँगा…!

चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा।”

वह जोर - जोर से चिल्लाने लगा– 

रुक जा गंगा….!

अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती….!

मैं तुझे यहीं रोक दूंगा!

पर नदी तो बढ़ती ही जा रही थी…!

उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है।

पर पत्ते की तो जान पर बन आई थी.....! 

वो लगातार संघर्ष कर रहा था…!

नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीँ पहुंचेगा, जहां लड़कर..! 

थककर..! 

हारकर पहुंचेगा!

पर अब और तब के बीच का समय उसकी पीड़ा का…. !

उसके संताप का काल बन जाएगा।

वहीँ दूसरा पत्ता जो सीधा गिरा था....! 

वह तो नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था।

यह कहता हुआ कि “चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुंचा के ही दम लूँगा…

चाहे जो हो जाए मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूंगा….!

तुझे सागर तक पहुंचा ही दूंगा।

नदी को इस पत्ते का भी कुछ पता नहीं…!

वह तो अपनी ही धुन में सागर की ओर बढ़ती जा रही थी। 

पर पत्ता तो आनंदित है, वह तो यही समझ रहा है....!

कि वही नदी को अपने साथ बहाए ले जा रहा है।

आड़े पत्ते की तरह सीधा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या नहीं....! 

नदी तो वहीं पहुंचेगी जहाँ उसे पहुंचना है!

पर अब और तब के बीच का समय उसके सुख का….! 

उसके आनंद का काल बन जाएगा।

जो पत्ता नदी से लड़ रहा है…!

उसे रोक रहा है....! 

उसकी जीत का कोई उपाय संभव नहीं है....!

और जो पत्ता नदी को बहाए जा रहा है उसकी हार का कोई उपाय संभव नहीं है।

हमारा जीवन भी उस नदी के सामान है....! 

जिसमें सुख और दुःख की तेज़ धारायें बहती रहती हैं ...!

और जो कोई जीवन की इस धारा को आड़े पत्ते की तरह रोकने का प्रयास भी करता है....! 

तो वह मूर्ख है....!

क्योंकि ना तो कभी जीवन किसी के लिये रुका है और ना ही रुक सकता है। 

वह अज्ञान में है....! 

जो आड़े पत्ते की तरह जीवन की इस बहती नदी में सुख की धारा को ठहराने या दुःख की धारा को जल्दी बहाने की मूर्खता पूर्ण कोशिश करता है ।

क्योंकि सुख की धारा जितने दिन बहनी है...! 

उतने दिन तक ही बहेगी। 

आप उसे बढ़ा नहीं सकते,नवनीत और अगर आपके जीवन में दुःख का बहाव जितने समय तक के लिए आना है वो आ कर ही रहेगा....! 

फिर क्यों आड़े पत्ते की तरह इसे रोकने की फ़िज़ूल मेहनत करना।

बल्कि जीवन में आने वाली हर अच्छी बुरी परिस्थितियों में खुश हो कर जीवन की बहती धारा के साथ उस सीधे पत्ते की तरह ऐसे चलते जाओ....!

जैसे जीवन आपको नहीं बल्कि आप जीवन को चला रहे हो।

सीधे पत्ते की तरह सुख और दुःख में समता और आनन्दित होकर जीवन की धारा में मौज से बहते जाएँ।
  
और जब जीवन में ऐसी सहजता से चलना सीख गए तो फिर सुख क्या? 

और दुःख क्या ? 

पंडारामा प्रभु राज्यगुरू 
( द्रविड़ ब्राह्मण )

aadhyatmikta ka nasha

एक लोटा पानी।

 श्रीहरिः एक लोटा पानी।  मूर्तिमान् परोपकार...! वह आपादमस्तक गंदा आदमी था।  मैली धोती और फटा हुआ कुर्ता उसका परिधान था।  सिरपर कपड़ेकी एक पु...

aadhyatmikta ka nasha 1