https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण से https://sarswatijyotish.com/India
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।। श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण से गुरु दत्तात्रेय जी की सुंदर कहानी ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........

जय द्वारकाधीश

।। श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण से गुरु दत्तात्रेय जी की सुंदर कहानी ।।


श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण से गुरु दत्तात्रेय जी की सुंदर कहानी 

जीवन में धन के कई रूप हैं....!

भरोसा करने वाला भाई परवाह करने वाला दोस्त दर्द समझने वाला पड़ोसी....!

और

इज्जत करने वाले रिश्तेदार यह सभी धन के ही रूप है...!

श्री ऋगवेद श्री यजुर्वेद और श्री विष्णु पुराण की अवधूत दत्तात्रेयजी कहते हैं -


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राजन्....!

प्राणियोंको जैसे बिना इच्छाके, बिना किसी प्रयत्नके, रोकनेकी चेष्टा करनेपर भी पूर्वकर्मानुसार दुःख प्राप्त होते हैं।

वैसे ही स्वर्गमें या नरकमें - कहीं भी रहें।

उन्हें इन्द्रियसम्बन्धी सुख भी प्राप्त होते ही हैं। 

इस लिये सुख और दुःखका रहस्य जानने वाले बुद्धिमान् पुरुषको चाहिये कि इनके लिये इच्छा अथवा किसी प्रकारका प्रयत्न न करे।।१।।




सचमुच स्त्री देवताओंकी वह माया है।

जिससे जीव भगवान् या मोक्षकी प्राप्तिसे वञ्चित रह जाता है।।७।।

जो मूढ़ कामिनी-कंचन, गहने - कपड़े आदि नाशवान् मायिक पदार्थोंमें फँसा हुआ है और जिसकी सम्पूर्ण चित्तवृत्ति उनके उपभोगके लिये ही लालायित है, वह अपनी विवेकबुद्धि खोकर पतिंगेके समान नष्ट हो जाता है।।८।। (श्रीमद्भागवत ११/८)

विश्वास और अविश्वास....!

अविश्वास- 

उस कमजोर ईंट के समान है जो हमारे संबंधो की मजबूत दिवार को गिराने का कारण बनता है।

इस लिए संबधों की मजबूती के लिए परस्पर विश्वास की प्रथम आवश्यक्ता है। 

विश्वास की ईंट जितनी मजबूत होगी हमारे संबंध भी उतने ही टिकाऊ होंगे।

जिस प्रकार गलती हो जाने पर डायरी नहीं फेंकी जाती, अपितु गलती वाला पन्ना फाड़ दिया जाता है। 

ठीक इसी प्रकार अगर रिश्तों में कभी गलती हो जाए, तो रिश्ते को तोड़ने की बजाए गलती वाले पन्ने को फाड़कर रिश्ते को बचा लेना ही बड़े बुद्धिमानी है। 

विश्वास ही संबंधों को प्रेमपूर्ण बनाता है। 

जब हमारे द्वारा प्रत्येक बात का मुल्यांकन स्वयं की दृष्टि से किया जाता है तो वहाँ अविश्वास जरूर उत्पन्न हो जाता है।

जरूरी नहीं कि हर बार हमारे मुल्यांकन करने का दृष्टि कोण सही हो।

इस लिए संबंधों की मधुरता के लिए अपने दृष्टिकोण के साथ - साथ दूसरे की भावनाओं को महसूस करने का गुण भी हमारे भीतर जरूर होना चाहिए। 

संबध जोड़ना महत्वपूर्ण नहीं अपितु संबंध निभाना महत्वपूर्ण है। 

संबंधों का जुड़ना संयोग हो सकता है मगर संबंधों को निभाना जीवन की एक साधना ही है।

 || एक रहो और नेक रहों  ||

रिश्ते... प्यार... मित्रता...!

हर जगह पाये जाते है।

परंतु ये ठहरते वही है।

जहाँ पर इनको आदर ओर प्यार मिलता है।

कच्चे कान शक्की नजर और कमजोर मन इंसान को अच्छी समृद्धि के बीच भी नरक का अनुभव कराता है।

अगर जिंदगीको कामयाब बनाना हो तो याद रखें पाँव भले ही फिसल जाये।

पर जुबानको कभी मत फिसलने देना आवाज को नहींअपने अलफ़ाज़ को ले जाओ बुलंदी पर बादलों की गरज नहीं बारिश की बौछार फूल खिलाती है।

अक्षमालां च परशुं गदेषुकुलिशानि च

 पद्मं धनुष्कुण्डिकां च दण्डं शक्तिमसिं तथा।


चर्माम्बुजं तथा घण्टां सुरापात्रं च शूलकम्

  पाशं सुदर्शनं चैव दधतीमरुणप्रभाम्।।


रक्ताम्बुजासनगतां मायाबीजस्वरूपिणीम्

 महालक्ष्मीं भजेदेवं महिषासुरमर्दिनीम्।।

जो अपने हाथों में अक्षमाला, परशु,गदा, बाण, वज्र, पद्म, धनुष,कुण्डिका, दण्ड, शक्ति,खड्ग, ढाल,कमल,  घण्टा, मधुपात्र, शूल,पाश और सुदर्शन चक्र धारण करती हैं; 

जो अरुण प्रभावशाली हैं; रक्तकमल के आसन पर विराजमान हैं तथा मायाबीजस्वरूपिणी हैं ' 

महिषासुर मर्दिनी उन महालक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए, उन्हें प्रणाम है।      

   || जय मां महिषासुर मर्दिनी ||

जिंदगी भी "कार" की तरह है समय और

स्थिति देखकर "गियर" बदलने पड़तें हैं।

पेट की भूख थोड़े से भोजन से शांत हो

सकती है, लेकिन मन की भूख पूरी 

सृष्टि को खाकर भी शांत नहीं हो सकती। 

अगर हमने खुद को समझना और समझाना

सीख लिया तो हम संसार पर विजय पा

सकते है। नकारात्मक विचारों की वरमाला

मन को मत पहनाओ, सकारात्मक विचारों

की दीपमाला को मन में जलाओ, निराशा

*का अँधेरा दूर करो उमंग का प्रकाश फैलाओ।


                  ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-

PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 

-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-

(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 

" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )

सेल नंबर: . + 91- 7010668409 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )

Skype : astrologer85

Web:https://sarswatijyotish.com/

Email: prabhurajyguru@gmail.com

आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 

नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....

जय द्वारकाधीश....

जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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