https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1

श्री पंचमुखी गणेश जी महात्म्य / एक शिक्षा पद कहानी

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

श्री पंचमुखी गणेश जी महात्म्य / एक शिक्षा पद कहानी

श्री पंचमुखी गणेश जी महात्म्य


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आपने पंच मुखी हनुमानजी की तरह आपने पंचमुखी गणेशजी की भी प्रतिमाएं देखी होगी। 




क्या आप जानते है क्या है इनका अर्थ ?

शुभ और मंगलमयी होते हैं पंचमुखी गणेश पांच मुख वाले गजानन को पंचमुखी गणेश कहा जाता है। 

पंच का अर्थ है पांच। 

मुखी का मतलब है मुंह। 

ये पांच पांच कोश के भी प्रतीक हैं।

वेद में सृष्टि की उत्पत्ति, विकास, विध्वंस और आत्मा की गति को पंचकोश के माध्यम से समझाया गया है। 

इन पंचकोश को पांच तरह का शरीर कहा गया है। 

पहला कोश है अन्नमय कोश-संपूर्ण जड़ जगत जैसे धरती, तारे, ग्रह, नक्षत्र आदि; ये सब अन्नमय कोश कहलाता है।

दूसरा कोश है प्राणमय कोश-जड़ में प्राण आने से वायु तत्व धीरे-धीरे जागता है और उससे कई तरह के जीव प्रकट होते हैं। 

यही प्राणमय कोश कहलाता है। 

तीसरा कोश है मनोमय कोश-प्राणियों में मन जाग्रत होता है और जिनमें मन अधिक जागता है वही मनुष्य बनता है। 

चौथा कोश है विज्ञानमय कोश-सांसारिक माया भ्रम का ज्ञान जिसे प्राप्त हो। 

सत्य के मार्ग चलने वाली बोधि विज्ञानमय कोश में होता है।

यह विवेकी मनुष्य को तभी अनुभूत होता है जब वह बुद्धि के पार जाता है।

पांचवां कोश है आनंदमय कोश-ऐसा कहा जाता है कि इस कोश का ज्ञान प्राप्त करने के बाद मानव समाधि युक्त अतिमानव हो जाता है। 

मनुष्यों में शक्ति होती है भगवान बनने की और इस कोश का ज्ञान प्राप्त कर वह सिद्ध पुरुष होता है। 

जो मानव इन पांचों कोशों से मुक्त होता है, उनको मुक्त माना जाता है और वह ब्रह्मलीन हो जाता है। 

गणेश जी के पांच मुख सृष्टि के इन्हीं पांच रूपों के प्रतीक हैं।

पंच मुखी गणेश चार दिशा और एक ब्रह्मांड के प्रतीक भी माने गए हैं अत: वे चारों दिशा से रक्षा करते हैं। 

वे पांच तत्वों की रक्षा करते हैं। 

घर में इनको उत्तर या पूर्व दिशा में रखना मंगलकारी होता है।

ईश्वर आदि हैं, अनंत हैं। 

उनका स्वरूप निराकार है। 

फिर भी प्रत्येक तीर्थस्थल, मंदिर और मठ में उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है।

आज हम आपको भगवान गणेश के ऐसे ही एक स्वरूप के दर्शन करा रहे हैं।

 मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में दुनिया के एक मात्र स्वयंभू पंचमुखी गणेश जी का मंदिर है।

स्वयंभू पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा जुनी इंदौर स्थित स्वयंभू पंचमुखी श्री अर्केश्वर गणेश मंदिर में भगवान श्री गणेश मदार ( आकड़े ) के वृक्ष स्वरूप में विद्यमान हैं। 

मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की मदार के पेड़ में यह मूर्ति स्वयंभू है, जो सदियों पुरानी है।

मंदिर में भगवान गणेश के पंचमुखी स्वरूप के दर्शन करने के लिये सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। 

मंदिर के पुजारी का मानना है कि मदार के पेड़ में गणेश की यह मूर्ति स्वयंभू है। 

न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में शायद ही गणेश जी का ऐसा स्वरूप देखने को मिलता है।
🔸〰️〰️🔸〰️हर हर महादेव हर〰️🔸〰️〰️🔸

एक सच्चा अनुभव और जिवन मे आया बड़ा बदलाव
🌹एक शिक्षा प्रद कहानी 🌹

एक सहर में दो दोस्त रहते थे। एक का नाम राजेश था दुसरे का नाम  दिपक था। 

दोनों का सिमित परिवार था पति पत्नी और दो दो थे!  दोनों में अथाह प्रेम था दोनों दिन रात अपने काम में लगे रहते थे खुब मेहनत कर परिवार का पालन पोषण करते थे। दिपक को नसे कि आदत थी। और राजेश उसकी आदत से चिढता था।एक दिन इसी बात पर दोनों में अनबन हो गई ।
 
राजेश का परीवार हशी खुशी से चल रहा था और निरंतर प्रगति की और विकास की और अग्रसर था। 

वही दिपक का परीवार दुख भरी जिंदगी व्यतीत कर रहा था ।

एक दिन दिपक कि बिटिया की तबियत अचानक खराब हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा? 

घर में गरबी थी। 

दिपक ने रिश्तेदारों से मदद की गुहार की?  

मगर कोई आगे नही आया। 

तब दिपक कि पत्नी ने कहा आप अपने दोस्त राजेश जी से बात किजीए सायद वो हमारी मदद कर दे। 

इस पर दिपक ने कहा हमारा झगड़ा हुए दो वर्ष हो गये।


हमने कभी बात नहीं कि और अब अचानक कैसे मदद के लिए कहुँ। दिपक कि पत्नी ने कहा आप फोन लगा कर मुझे दिजिए और दिपक ने हा कहकर    फोन लगाया। फोन राजेश कि बिटिया ने उठाया   और देखा किसी दिपक का फोन है बिटिया बोली पापा किसी दीपक का फोन आ रहा है। 
उधर मेस पर खाना खाते राजेश ने सुना तो भोचक्का रह गया और हाथ का निवाला थाली में छोड़ भाग कर आया और फोन उठाया उसकी आँखों में प्रेम छलक रहा था। राजेश कि पत्नी ये सब देख हैरान थीं। 
और खामोश भी। राजेश ने भरे हुए गले से हेलो कहा और उधर से दिपक कि पत्नी ने रोते हुए घर कि लाचारी और बिटिया के अस्पताल कि सारी बात बताई और फुट फुट कर रोने लगी। राजेश ने सात्वना देते हुए धिरज रखने को कहा और पुछा बिटिया कौन से अस्पताल में है और ये नालायक दिपक कहा है । 
इस पर दिपक की पत्नी ने अस्पताल का नाम बताया और कहा वो आपसे बात करने में संकोचित हैऔर  डर रहे हैं। राजेश ने कहा आप घबराईए मत हम लोग अभी अस्पताल पहुँच रहे हैं ।
ये सब वाक्या राजेश कि पत्नी देख और सुन रहि थी उसने राजेश को इतना खुश और दुखी कभी नहीं देखा था ।
इस्से पहले की राजेश कुछ कहता वो बोली कैसी है भाभी जी और भैया और क्या हुआ है बिटिया को तब राजेश ने सारा हाल बताया और कहा हमें उनकी मदद करनी चाहिए ।
तब राजेश कि पत्नी ने हा कहते हुए कहा आप कार निकालिए में कुछ रुपये निकाल के रख लेती हुं ।
दोनों अस्पताल पहुंचे देखा कि दिपक और उसकी पत्नी दयनीय स्थिति में दिखे और उदास भी उन्हें यकीन नहीं था जहाँ सारे रिश्तेदारों ने नजरें फेर ली   वही दोस्त मदद को आगे आयेगा। जैसे ही दोनों ने एक दुसरे को देखा तो खुशी से भावी भौर हो गये दिपक ने शर्म से सर झुका लिया तब राजेश ने दिपक को गले लगाया और कहा सब ठीक हो जाएगा। 
इतना सुनते ही दिपक फुट फुट कर रोने लगा। राजेश ने दिपक की पिठ थपथपाई और कहा चल बिटिया कैसी है  दिखा कर जैसे ही बिटिया रुम में गयें मौजुद डॉ, ने कहा अब बिटिया स्वस्थ हैं यदि समय पर पैसे जमा नहीं होतें तो बिटिया को बचाना मुश्किल हो जाता? चुंकि जब तक राजेश ने दिपक को धैर्य बंधाया तब तक राजेश की पत्नी ने अस्पताल में रुपये जमा कर बिटिया का ईलाज करवा दिया था । 
दिपक ने कहा मै कैसे तुम्हारा धन्यवाद करु मेरे पास शब्द नहीं है हम जिंदगी भर तुम्हारे ऋणी रहेंगे।तुम ही मेरेे सच्चे मित्र हो सारे रिश्तेदार सत्रु बन गए। तब राजेश ने कहा नहीं मित्र तुमहारा कोई सत्रु नहीं है तुम स्वयं अपने सत्रु हो और तुम्हारी बुरी आदतें और व्यसन तुम्हारे सत्रु जिन्की  वजह से आज तुम्हारे परिवार के ये  हालत है यदि तुम मुझे अपना सच्चा दोस्त आज भी मानते हो और वाकई मे मेरा ऋण उतारना चाहते हो तो आज से बुरे व्यसनों का त्याग कर अपने परिवार को सम्रद्ध बनाने का प्रयास करो।दिपक ने भरे मन कहाँ दोस्त में नसे कि लत में अन्धा हो गया था। 
मैं आज से ये प्रण करता हूँ कि नसा छोड़ दूंगा और अपनी कमाई का सारा पैसा अपने परिवार की सम्रद्धि और स्वास्थ्य पर खर्च करुंगा। और अच्छा दोस्त बनकर दिखाऊंगा।अच्छा अब हम चलते हैं कहकर राजेश और उस्की पत्नी चले गए। 
इस एक घटना ने दिपक कि जिन्दगी बदल दी अब दिपक और उस्का परिवार के  खुश और सुखी रहने लगा। और राजेश और दिपक पहले जैसे दोस्त।।  
🌹🌹इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि नशा हमारे का विनाश कर देता है और हम (कहानी के एक पात्र राजेश)  राजेश जैसा दोस्त खो देते हैं।🌹🌹
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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