https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1

।। श्रीमद्भागवत प्रवचन , **निष्कर्ष** ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्रीमद्भागवत प्रवचन , **निष्कर्ष** ।।


।। श्रीमद्भागवत प्रवचन ।।
          

   🙏 भैया दूज की मंगल बधाई🙏


👧नारी के प्रेम और सम्मान को स्मरण कराता एक और पर्व।




पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन बहुत समय से बिछुड़े सूर्य पुत्र यम और सूर्य पुत्री यमुना जी ( भाई - बहन ) का मिलन हुआ था। 

    👧  कभी अपनी रक्षा के संकल्प लिए भाई के हाथों पर रक्षा सूत्र बाँधने वाली नारी आज भाई के माथे पर तिलक कर उसे यम पाश से मुक्त कराने तक की अपनी सामर्थ्य का परिचय देती है। 

भाई के सुखद जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना कर बहिन सदैव उसका मंगल ही चाहती है।

  👧     माँ, पुत्री, पत्नी, बहिन और भी कई रूपों में नारी का पूरी मनुष्य जाति के लिए जो प्रेम, त्याग, समर्पण है वह अकथनीय है। 

पति के लिए करवाचौथ, पुत्र के लिए अहोई अष्टमी, और अब भाई की रक्षा और सलामती के लिए भैया दौज। 

धन्य है इस नारी के लिए, पूरे साल पुरुषों के लिए व्रत, पूजा, प्रार्थना, उनकी सलामती के लिए कुछ ना कुछ करती रहती हैं। 

 👧     काश बहिनों के लिए भी साल में एक त्यौहार पुरुष लोग मनाएं। 

गली मोहल्ले, गाँव, नगर, शहर सब जगह एक ही चर्चा हो और वो हो बहिनों की सुरक्षा की।
      
 👧       बहिनों की तरफ कोई आँख उठाकर देखने की हिम्मत ना कर सके। 

बहिनों को आरक्षित नहीं सुरक्षित करने के अभियान चलें। 

ऐसा त्यौहार जिस दिन देश में मनेगा, बहुत अच्छा लगेगा। 

   👧      ऐसा संकल्प लेना ही इस त्यौहार की सार्थकता होगी। 

बहिन भाई के पवित्र प्रेम को परिभाषित करते भाई दूज पर्व की बहुत-बहुत बधाई।

शुभ भाई दूज !
जय द्वारकाधीश !!
जय श्री राधे कृष्ण !!

🐂 गोपाष्टमी की आप सभी को बधाई🐂


🛕आज के पावन दिन माता यशोदा ने भगवान् श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके उन्हें गौ चारण के लिए प्रथम बार भेजा था। 




जिस ब्रह्म की चरण रज के लिए ब्रह्मा - शंकर तक तरसते हैं वो चरण गौ माता की सेवा के लिए कंकड़ - पत्थर और कुंज - निकुंजों में विचरण करते हैं।

   🛕 गौ माता भगवान् श्री कृष्ण को सबसे ज्यादा प्रिय हैं। 

गौमाता की सेवा सीधी श्रीकृष्ण तक पहुँचती है। 

गौ माता की सेवा के कारण ही प्रभु का नाम गोपाल पड़ा। 

गाय हमारे आराध्य की भी आराध्या है। 

गौ माता में समस्त देवी - देवता निवास करते हैं। 

गौ माता की सेवा से पूर्वजों को सद्गति प्राप्त होती है। 

 🛕    आज के इस युग में भगवान् श्री कृष्ण को तो बड़े - बड़े भोग लगाये जाते हैं पर उनकी प्राण प्यारी गाय भूखी - प्यासी इधर उधर भटकती रहती है। 

अपने घर पर गाय की सेवा जरुर करें, नहीं कर सकते तो किसी गौशाला में गौ माता को दत्तक ( गोद ) जरुर लें। 

आज से पवित्र दिन और कौन सा होगा ? 

जय जय श्री गोकलेश !

राधे राधे! 

**निष्कर्ष**


                  इस बार 2020 में 
       *श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब मनावें ?*
       *शास्त्रोक्त विचार-मंथन व निष्कर्ष*
 
   *निशीथे  तमउद्भूते  जायमाने  जनार्दने ।*
   *देवक्यां देवरूपिण्यां विष्णु: सर्वगुहाशय: ॥*
      ( श्रीमद्भागवत महापुराण* १०/०३/०८) 

समस्त व्रत पर्व उपवास में पुण्य व्यापिनी तिथि का महत्व माना गया है

*शास्त्र विचार:*

शास्त्रों में स्मार्त, वैष्णव, शैव, शाक्त, गाणपत्य आदि अनेक आचार्यों के भिन्न-भिन्न मत अर्थात् सिद्धान्त हैं । 

इनमें, जो जिनका उपासक है तथा जिस पथ का पथिक है, वह अपने उन आचार्य ( गुरु ) के दिये गये शास्त्रसम्मत मतों ( सिद्धान्तों ) को मानकर उनका अनुगमन करते हैं । 

मुख्य रूप से हम यहाँ दो मतों की चर्चा करते हैं । 

स्मार्त तथा वैष्णव मत । 

वैष्णवों में भी प्रमुख ४ सम्प्रदाय हैं -

• वैष्णव सम्प्रदाय
( प्रवर्तक: श्रीरामानुजाचार्य जी महाराज )

• ब्रह्म सम्प्रदाय
( प्रवर्तक: आचार्य श्री आनन्दतीर्थ जी महाराज )

• रुद्र सम्प्रदाय
( प्रवर्तक: श्रीमद्वल्लभाचार्य जी महाराज )

• सनक सम्प्रदाय
( प्रवर्तक: श्रीनिम्बार्काचार्य )

*स्मार्त मत के अनुसार:*

स्मार्त मतानुसार वे चन्द्रोदय को स्वीकारते हुए पर्व के समय उस तिथि के होने को महत्त्व देते हैं -

 *‘अष्टमी चन्द्रोदयव्यापिनी यदा तदा जयन्ती व्रतम्’* ( कृत्यसार समुच्चय )

*तद्युत्तरदिने चन्द्रोदयव्यापिनी नाष्टमी तदा सप्तमीसंयुता ग्राह्या ।* ( कृत्यसार समुच्चय )

अर्थात् वे चन्द्रोदय के अनुसार रात्रि के समय अष्टमी तिथि होने पर जन्माष्टमी पर्व मनाते हैं -  

*‘निशीथव्यापिनी अष्टम्याम्’* ।

*वैष्णव मत के अनुसार:*

वैष्णव मतानुसार वे सूर्योदय के समय की तिथि को महत्त्व देते हैं । 

*‘उदयव्यापिनी अष्टम्यमलम्बिनां वैष्णवानाम्’* 

अर्थात् सूर्योदय में यदि अष्टमी है, तो रात्रि में अष्टमी न होने पर भी सूर्योदय के अनुसार उसे अष्टमी तिथि के रूप में ही ग्राह्य करते हैं और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को मनाते हैं ।

*कलाकाष्ठामुहूर्तापि यदा कृष्णाष्टमीतिथि: ।*
*नवम्यां सैव ग्राह्या स्यात्सप्तमीसंयुता नहि ॥*
        ( पद्मपुराण, निर्णय सिंधु परिच्छेद २ )

कुछ वैष्णव शुद्ध नक्षत्र को महत्त्व देते हैं, वे उस पर्व के समय रोहिणी नक्षत्र के होने पर ही पर्व को मनाते हैं - 

*’शुद्धभोपासिनां ( रोहिणी मतावलम्बी ) केषाञ्चित् वैष्णवानाम्’* ।

*मंथन*

उपरोक्त शास्त्रीय विचारों के अनुसार स्मार्तजन दिनाङ्क ११, वैष्णवजन ( सूर्योदय की तिथि को मानने वाले दिनाङ्क १२ तथा नक्षत्र प्रधान वाले वैष्णव दिनाङ्क १३ अगस्त को जन्माष्टमी मना रहे हैं ।

*वैदिक निष्कर्ष:* उपरोक्त शास्त्र-मंथन   * **श्री जयंती प्रसाद वैदिक ज्योतिष विश्व विद्यापीठम**   के विश्लेषण द्वारा प्रमाणित है । 

समस्त स्मार्त-वैष्णवादि सिद्धान्त तथा वैष्णवों के प्रबल पक्ष को देखने एवं जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ है, वहाँ के वैष्णवों के शास्त्रीय विचारों को महत्त्व देने पर *श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व दिनाङ्क *१२/०८/२०२०* को *अर्धरात्रि* में ही मनाना चाहिए 



वैसे भी 12 अगस्त सन 2020 को दिन में अष्टमी उदया तिथि में है दिन बुधवार है और तिथि के समापन के बाद में भगवान के जन्म के बाद में रोहिणी नक्षत्र भी प्रारंभ हो रहा है यह तीनों योग स्थिति को स्पर्श कर रहे हैं 

**इसलिए 12 अगस्त की रात्रि और 13 अगस्त का भोर में ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ माना जाना चाहिए** ll 
.........जय श्री कृष्ण .....
....... जय श्री कृष्ण....
......... जय श्री कृष्ण.....
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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