https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1

।।🌹 जीने की कला / परम अर्थ 🌹।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सुंदर कहानी ।।

।।🌹  जीने की कला / परम  अर्थ  🌹।।

*जीने की कला....!*


एक शाम माँ ने दिनभर की लम्बी थकान एवं काम के बाद जब डिनर बनाया तो उन्होंने पापा के सामने एक प्लेट सब्जी और एक जली हुई रोटी परोसी। 


मुझे लग रहा था कि इस जली हुई रोटी पर कोई कुछ कहेगा। 

परन्तु पापा ने उस रोटी को आराम से खा लिया परन्तु मैंने माँ को पापा से उस जली रोटी के लिए ।

"साॅरी" 

बोलते हुए जरूर सुना था। 

और मैं ये कभी नहीं भूल सकता जो पापा ने कहा

 "प्रिये, मुझे जली हुई कड़क रोटी बेहद पसंद है।"

देर रात को मैने पापा से पूछा, क्या उन्हें सचमुच जली रोटी पसंद है?

उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लेते हुए कहा - 

तुम्हारी माँ ने आज दिनभर ढ़ेर सारा काम किया, और वो सचमुच बहुत थकी हुई थी। 

और...

वैसे भी...

एक जली रोटी किसी को ठेस नहीं पहुंचाती परन्तु कठोर-कटू शब्द जरूर पहुंचाते हैं।

तुम्हें पता है बेटा - 

जिंदगी भरी पड़ी है अपूर्ण चीजों से...

अपूर्ण लोगों से... 

कमियों से...

दोषों से...

मैं स्वयं सर्वश्रेष्ठ नहीं, साधारण हूँ और शायद ही किसी काम में ठीक हूँ।

मैंने इतने सालों में सीखा है ।

कि 

एक दूसरे की गलतियों को स्वीकार करो...
अनदेखी करो... 
और चुनो... 
पसंद करो...
आपसी संबंधों को सेलिब्रेट करना।"

मित्रो, जिदंगी बहुत छोटी है... 

उसे हर सुबह दु:ख... 

पछतावे... 

खेद के साथ जागते हुए बर्बाद न करें। 

जो लोग तुमसे अच्छा व्यवहार करते हैं ।

उन्हें प्यार करो ओर जो नहीं करते उनके लिए दया सहानुभूति रखो।

किसी ने क्या खूब कहा है!

 मेरे पास वक्त नहीं उन लोगों से नफरत करने का जो मुझे पसंद नहीं करते, क्योंकि मैं व्यस्त हूँ उन लोगों को प्यार करने में जो मुझे पसंद करते हैं।"

तो मित्रो, जिदंगी का आनंद
लीजिये...उसका लुत्फ़ उठाइए...उसकी समाप्ति... उसका अंत तो निश्चित है......।

 अतः आप सब स्वस्थ रहें ।

 सुखी रहें एवं समृद्ध रहें, साथ ही अपने काम में व्यस्त रहें एवं मस्त रहे।

जय श्री कृष्ण...!

🌹 परम  अर्थ  🌹


प्राचीन   वेदकालीन   कहानी   है  !   और  प्रसिद्ध    भी   है  !   ध्रुव    तपस्या   करता   था  !   बालक  था   और   भगवान   का   ध्यान  ,  भक्ति    करता   था  !  एक   दिन   उसे   भगवान   प्रसन्न   हुए  ! 

भगवान   उसके   सामने   खड़े  हुए   ,  लेकिन   वह   तो   आंखे   बंद   करके   चिंतन   कर  रहा  था  !  ध्रुव    ने  आंखे  बंद   होने  से   भगवान   को   देखा   नही   !  प्रभु  ने   अपने  शंख   से   उसके   गाल   पर   धीरे  से   स्पर्श   किया  !   और  ध्रुव   की  वाणी   एकदम   स्फुरीत   हुई  ! 


इस   तरह   मनुष्य   जब   मनपुर्वक   , आद्रर्ता  से  चिंतन   करता  है   ,  तब   परम   वाक शक्ति   स्फूर्त  होती   है  !  उसको   पता   भी  नही   चलता   की  यह   शक्ति    कहासे   आई  !   वह  परमेश्वर   के   स्पर्श  से   स्फुरीत   हुई  ! इस   तरह   जहाँ   ईश्वर   का  स्पर्श   हुवा  , वहा    साहित्य   शक्ति   ,   काव्य   शक्ति   प्रगट  हुई    ऐसा   सत्पुरुषो    का   अनुभव   है   ! 

राम   हरी  

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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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