https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: दिसंबर 2024

जैसी करनी वैसा फल, आज नहीं तो मिलेगा कल....! एक लड़का एक जूतों की दुकान में आता है ...!

 सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........

जय द्वारकाधीश

जैसी करनी वैसा फल, आज नहीं तो मिलेगा कल....! एक लड़का एक जूतों की दुकान में आता है ...!

जैसी करनी वैसा फल, आज नहीं तो मिलेगा कल....!

अच्छे इन्सान बनो और सबका भला करो
पीछे जो हुआ उसे सुधार लो और आगे का भी ध्यान रखो। 

हमारा एक खोटा कर्म ना जाने हमारे कितने जन्म लेने का कारण बन सकता है !
एक गाँव के एक जमींदार ठाकुर बहुत वर्षों से बीमार थे। इलाज करवाते हुए कोई डॉक्टर कोई वैद्य नहीं छोड़ा कोई टोने टोटके करने वाला नहीं छोड़ा।

लेकिन कहीं से भी थोड़ा सा भी आराम नहीं आया !




एक संत जी गाँव में आये उनके दर्शन करने वो ज़मींदार भी वहाँ गया और उन्हें प्रणाम किया
उसने बहुत दुखी मन से कहा - महात्मा जी मैं इस गाँव का जमींदार हूँ का सैंकड़ों बीघे जमीन है इतना सब कुछ होने के बावजूद मुझे एक लाइलाज रोग है जो कहीं से भी ठीक नहीं हो रहा !

महात्मा जी ने पूछा भाई, क्या रोग है आपको
जी मुझे मल त्याग करते समय बहुत खून आता है और इतनी जलन होती है जो बर्दाश्त नहीं होती।
 
ऐसा लगता है मेरे प्राण ही निकल जायेंगे।
आप कुछ मेहरबानी करो महात्मा जी बाबा ने आँख बंद कर ली शांत बैठ गये थोड़ी देर बाद बोले -बुरा तो नहीं मानोगे एक बात पूछूँ ? नहीं महाराज पूछिये !

तुमने कभी किसी का दिल इतना ज़्यादा तो नहीं दुखाया कि उसने तुम्हें जी भरके बद्दुआऐं दी हों जिसका दण्ड आज तुम भोग रहे हो ?

तुम्हारे दुःख देने से वो इतना अधिक दुखी हुआ हो जिसके कारण आज तुम इतनी पीड़ा झेल रहे हो ? नहीं बाबा !


जहाँ तक मुझे याद है, मैंने तो कभी किसी का दिल नहीं दुखाया।

याद करो और सोचो कभी किसी का हक तो नहीं छीना, किसी की पीठ में छुरा तो नहीं मारा किसी की रोज़ी रोटी तो नहीं छीनी ? किसी का हिस्सा ज़बरदस्ती, तुमने खुद तो नहीं संभाला हुआ ?

महात्मा जी की बात पूरी होने पर वो ख़ामोश और शर्मसार हो कर बोला।

जी मेरी एक विधवा भाभी है जो कि इस वक्त अपने मायके में रहती है वो जमीन में से अपना हिस्सा मांगती थी।
 
यह सोचकर मैंने उसे कुछ भी नहीं दिया कि कल को ये सब कुछ अपने भाईयों को ही दे देगी इसका क्या पता ?

बाबा ने कहा -आज से ही उसे हर महीने सौ रूपए भेजने शुरू करो ! यह उस समय की बात है जब सौ रूपए में पूरा परिवार पल जाता था !

उसने कुछ रूपए भेजना शुरू कर दिया ! दो तीन हफ़्तों के बाद उसने बाबा से आकर कहा - जी मै पचहत्तर प्रतिशत ठीक हूँ !
महात्मा जी ने सोचा कि इसे तो पूरा ठीक होना चाहिये था ऐसा क्यों नहीं हुआ ?
उससे पूछा तुम कितने रूपए भेजते हो ?
जी पचहत्तर रूपए हर महीने भेजता हूँ
इसी कारण तेरा रोग पूरा ठीक नहीं हुआ !
सन्त जी ने कहा उसका पूरा हक उसे इज़्जत से बुला कर दे दो, वो अपने पैसे को जैसे मर्जी खर्च करे, अपनी ज़मीन जिसे चाहे दे दे । यह उसकी मिल्कीयत है इसमें तुम्हारा कोई दख़ल नहीं है !
जानते हो वो कितना रोती रही है, जलती रही है तभी आपको इतनी जलन हो रही है 

ज़रा सोचो, मरने के बाद हमारे साथ क्या जायेगा ?

ज़मींदार को बहुत पछतावा हुआ उसने फौरन ही अपनी विधवा भाभी और उसके भाईयों को बुलाकर, सारे गाँव के सामने, उसकी ज़मीन, उसके हक का पैसा उसे दे दिया और हाथ जोड़कर अपने ज़ुल्मों की माफी माँगी।
उसकी भाभी ने उसे माफ कर दिया और उसके परिवार को खूब आशीर्वाद दिये
 
जमींदार का रोग शीघ्र ही पूरी तरह से ठीक हो गया !

अगर आपको भी ऐसा कोई असाध्य रोग है तो ज़रूर सोचना* *कहीँ मैंने किसी का हक तो नहीं छीना है ?

किसी की पीठ में छुरा तो नहीं घोंपा है ? किसी का इतना दिल तो नहीं दुखाया हुआ कि वो बेचारा इतना बेबस था कि तुम्हारे सामने कुछ कहने की हिम्मत भी ना कर सका होगा ?
लेकिन उस बेचारे के दिल से आहें निकली होंगी जो आपके अंदर रोग पैदा कर रही है जलन पैदा कर रही हैं।

याद रखो, परमात्मा की लाठी बिल्कुल बेआवाज़ है।
!! जय श्री कृष्ण !!

====================

एक लड़का एक जूतों की दुकान में आता है 


एक लड़का एक जूतों की दुकान में आता है ।





गांव का रहने वाला था ।

पर तेज़ था।

उसका बोलने का लहज़ा गांव वालों की तरह का था ।

परन्तु बहुत ठहरा हुआ लग रहा था। 

उम्र लगभग 22 वर्ष का रहा होगा । 

दुकानदार की पहली नज़र उसके पैरों पर ही जाती है। 

उसके पैरों में लेदर के शूज थे ।

सही से पाॅलिश किये हुये।

*#दुकानदार* --

 "क्या सेवा करूं ?"

*#लड़का* -- 

"मेरी माँ के लिये चप्पल चाहिये, किंतु टिकाऊ होनी चाहिये !"

*#दुकानदार* -- 

"वे आई हैं क्या ? 

उनके पैर का नाप ?"

लड़के ने अपना बटुआ बाहर निकाला, 

*चार बार फोल्ड किया हुआ एक कागज़ जिस पर पेन से  आऊटलाईन बनाई हुई थी दोनों पैर की !*

 वह लड़का बोला...

"क्या नाप बताऊं साहब ?

मेरी माँ की ज़िन्दगी बीत गई, पैरों में कभी चप्पल नहीं पहनी। 

*माँ मेरी मजदूर है,  मेहनत कर-करके मुझे पढ़ाया, पढ़ कर, अब नौकरी लगी।*

आज़ पहली तनख़्वाह मिली है।

 दिवाली पर घर जा रहा हूं ।

तो सोचा माँ के लिए क्या ले जाऊँ ?

तो मन में आया कि.....!

 *अपनी पहली तनख़्वाह से माँ के लिये चप्पल लेकर आऊँ !"*

दुकानदार ने अच्छी टिकाऊ चप्पल दिखाई ।

जिसकी आठ सौ रुपये कीमत थी ।

"चलेगी क्या ?"

आगन्तुक लड़का उस कीमत के लिये तैयार था ।

दुकानदार ने सहज ही पूछ लिया- --

 "कितनी तनख़्वाह है तेरी ?"

"अभी तो बारह हजार, रहना-खाना मिलाकर सात-आठ हजार खर्च हो जाएंगे है यहाँ, और तीन हजार माँ के लिये !." 

"अरे !, 

फिर आठ सौ रूपये... 

कहीं ज्यादा तो नहीं...।"

तो बात को बीच में ही काटते हुए लड़का बोला -- 

"नहीं, कुछ नहीं होता !"

दुकानदार ने चप्पल बाॅक्स पैक कर दिया। 

लड़के ने पैसे दिये 

और

ख़ुशी-ख़ुशी दुकान से बाहर निकला ।

पर दुकानदार ने उसे कहा -- 

"थोड़ा रुको !" 

साथ ही दुकानदार ने एक और बाॅक्स उस लड़के के हाथ में दिया

 -- *"यह चप्पल माँ को,  तेरे इस भाई की ओर से गिफ्ट ।*

*माँ से कहना पहली ख़राब हो जायें तो दूसरी पहन लेना ।*

*नँगे पैर नहीं घूमना और इसे लेने से मना मत करना !"*

दुकानदार ने एकदम से दूसरी मांग करते हुए कहा-- 

"उन्हें मेरा प्रणाम कहना, और क्या मुझे एक चीज़ दोगे ?"

"बोलिये।"

"वह पेपर, जिस पर तुमने पैरों की आऊटलाईन बनाई थी, वही पेपर मुझे चाहिये !"

वह कागज़, दुकानदार के हाथ में देकर वह लड़का ख़ुशी-ख़ुशी चला गया !

वह फोल्ड वाला कागज़ लेकर दुकानदार ने अपनी दुकान के पूजा घर में रख़ा ।

दुकान के पूजाघर में कागज़ को रखते हुये दुकानदार के बच्चों ने देख लिया था और उन्होंने पूछ लिया कि --

 "ये क्या है पापा  ?"

दुकानदार ने लम्बी साँस लेकर अपने बच्चों से बोला --

"लक्ष्मीजी के 

*#पग*

 लिये हैं बेटा !!

 एक सच्चे भक्त ने उसे बनाया है, इससे धंधे में बरकत आती है !"

*मां* तो इस संसार में साक्षात परमात्मा  है !🙏

बस हमारी देखने की दृष्टि और मन का सोच श्रृद्धापूर्ण होना चाहिये ।🧑‍🦳
जय माँ 

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

aadhyatmikta ka nasha

महाभारत की कथा का सार

महाभारत की कथा का सार| कृष्ण वन्दे जगतगुरुं  समय नें कृष्ण के बाद 5000 साल गुजार लिए हैं ।  तो क्या अब बरसाने से राधा कृष्ण को नहीँ पुकारती ...

aadhyatmikta ka nasha 1