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जय द्वारकाधीश
।। श्री यजुर्वेद श्री ऋग्वेद और श्री विष्णु पुराण श्री शिव महापुराण के अनुसार महा शिवरात्री महत्व फल ।।
श्री यजुर्वेद श्री ऋग्वेद और श्री विष्णु पुराण श्री शिव महापुराण के अनुसार महाशिवरात्रि का महत्व फल ।
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार असल में हर साल कार्तिकी साल अनुसार महा माह के कृष्ण पक्ष चैत्री साल अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है.
( इस लिहाज से अगर पंचांग को टटोला जाए तो इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार इस शनिवार यानी 18 फरवरी की रात 8.03 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन रविवार को यानी 19 फरवरी को शाम 04:19 मिनट पर इसका समापन होगा. )
माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का धरती पर प्रकाट्य हुआ था।
इस दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं।
इस त्योहार पर भगवान शिव की पूजा अर्चना बिल्वपत्र अर्पित करके की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिव का पूजन और उपासना करने से दुखों का नाश होता है।
महाशिवरात्रि पूजा सामग्री :
बेलपत्र, अक्षत, फूल, धतूरा, मदार पुष्प, गंगाजल, दूध ( कच्चा ), गाय का दूध, दही, शक्कर, भांग, इत्र, भोग के लिए हलवा, ठंडाई, लस्सी, मालपुआ आदि.
महाशिवरात्रि के लिए पूजन सामग्री में धूप-दीप को भी जरूर शामिल करें.
यदि व्रत करना ही है तो पूरे विधि विधान के साथ करने चाहिए।
व्रत पारण करने अर्थात व्रत खोलने का भी उचित समय और शुभ मुहूर्त में ही व्रत पारण करना उचित रहता है।
माना की भोले शंकर के भक्त मस्त होते हैं और उनके नियम बहुत कड़े नही होते.
मान्यताएं अपने विश्वास से जुड़ती है और विश्वास सीधा परम पिता परमेश्वर से संपर्क करता है।
जब भी हम अपने आस्था को प्रकट करने हेतु अपने प्रभु में विश्वास दिखाते हैं।
तो हमें एक ऊर्जा मिलती है और उसी ऊर्जा से हमें जीवन यापन करने में सुविधा रहती है।
विधि विधान के साथ पूजा अर्चना संपन्न करने पर शिवभक्त शिवरात्रि व्रत का संकल्प लेते हैं।
कोई न कोई शिव भक्तों तो उनका संतानों या खुद की जन्म कुंडली के आधीन पर हर मास की कृष्ण पक्ष की शिवरात्री का ही पूजन का संकल्प लेते है ।
ऐसा करने से शिव भक्तों को एक ऊर्जा शक्ति का एहसास होता है।
अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति भक्ति का परिचय देते हैं।
मान्यताओं के अनुसार जो लड़का या लड़की अभी तक शादीशुदा नहीं है।
वह भगवान शिव का व्रत धारण करते हैं।
तो उन्हें विवाह संबंधी हो रही परेशानियां दूर होती है।
क्योंकि मान्यता है की महाशिवरात्रि के दिन जो भी स्त्री, पुरुष, कन्या, बालक महाशिवरात्रि का व्रत धारण करते हैं।
उन्हें मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
सर्व प्रथम तो सवेरे जल्दी उठें और भगवान शिव का ध्यान करें और पृथ्वी को प्रणाम करें।
भगवान शिव त्रिभुवन पतियों में एक अदम्य साहस सकती हैं।
जो स्वयं प्रकाशमान है।
फिर भी महाशिवरात्रि के उपवास के भी कुछ नियम हैं.
तो चलिए जानते हैं इनके बारे में-
- सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखें कि आप महाशिवरात्रि पर पूजा करने से पहले नहा लें और साफ - सुथरे कपड़े पहनें.
- माना जाता है कि इस दिन मीठ - मास खाने से बचना चाहिए .
- मान्यता है कि इस दिन स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए और भगवान के भोजन या स्थान को छूठन और गंदगी से बचा कर रखें.
महाशिवरात्रि व्रत के आहार से जुड़े नियम, जानें क्या खाएं क्या नहीं।
- इस दिन कुछ भक्त निर्जल उपवास रखते हैं,
वहीं कुछ इस दिन फलाहार पर रहते हैं.
आप जिस प्रकार इच्छा हो उपवास रख सकते हैं.
- मान्यता के अनुसार अगर आपने निर्जल व्रत रखा है,
तो आपको पूरा दिन जल की एक बूंद भी नहीं लेनी है.
- मान्यता के अनुसार फलाहार उपवास करने वाले भक्त दिनभर किसी भी फल का सेवन कर सकते हैं.
- मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के व्रत में आप दाल, चावल, गेहूं या कोई भी साबुत अनाज और सादे नमक का उपयोग नहीं कर सकते.
हां आप व्रत वाले नम यानी सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि के व्रत में क्या खा सकते:
इस उपवास को खोलते समय आप साबूदाना खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा, कुट्टू के आटे की पूड़ी, सामा के चावल, आलू का हलवा खा सकते हैं.
महाशिवरात्रि साधन की रात्रि है।
कहते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की भक्ति भाव से पूजा करने वाले को पूरे साल शिवजी की भक्ति करने का पुण्य मिल जाता है।
महाशिवरात्रि व्रत की कथा में तो ऐसे उल्लेख मिलता है कि अनजाने में भी जिस किसी ने इस व्रत को कर लिया वह भी शिवलोक में स्थान पा गया।
वैसे शिवरात्रि व्रत के कुछ नियम और विधि भी हैं जिन्हें जानकर आप शिवजी की उपासना करेंगे तो आपकी मनोकामना शिवजी जल्दी पूर्ण कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत के नियम :
1 महाशिवरात्रि के दिन गेंहू, चावल, बेसन, मैदा आदि से बनी चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
2 इस दिन मांस - मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि आप ऐसा करते हैं तो भगवान शिव आपसे रुष्ट भी हो सकते हैं।
3 यदि आप महाशिवरात्रि का व्रत रख रहें हैं तो आपको दिन में नहीं सोना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार दिन में सोने से आपको व्रत का फल नहीं मिलता है।
4 व्रत का पालन करते हुए ब्रह्मचर्य बनाए रखें।
5 व्रत के दौरान किसी के साथ भी वाद विवाद न करें और न ही ऐसे शब्दों का प्रयोग करें जिससे किसी का दिल दुखे।
6 आप दिन में चाय, दूध और फल आदि का सेवन कर सकते हैं।
7 शाम के वक्त सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
इसके लिए साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते है।
8 शिवपुराण में महाशिवरात्रि में रात के समय जागरण करने का अधिक महत्व बताया गया है।
यदि आप रात्रि जागरण करते हैं तो आपको दोगुना फल प्राप्त होगा।
9. शिवरात्रि व्रत का नियम है कि इस व्रत को चतुर्दशी में ही आरंभ कर इसका पारण ( समाप्ति ) चतुर्दशी में ही करनी चाहिए।
जो लोग व्रत रखेंगे वह रात्रि 1 वजकर 15 मिनट से पहले व्रत खोल सकते हैं।
वैसे लोग जो दिन रात का व्रत रखते हैं वह अगले दिन सूर्यदय से 2 घंटे के अंदर व्रत का पारण कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर शिवजी का पूजन ऐसे करें:
महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अभिषेक की परंपरा युगों से चली आ रही है।
इस दिन देवी - देवता भी शिवजी की पूजा अर्चना और अभिषेक करते हैं।
इस अवसर पर आप गंगाजल, शहद, घी, दूध, दही, गन्ने का रस इनसे शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं।
जिनका जिक्र शिव पुराण में भी किया गया है।
अगर आपके पास ये साधन उपलब्ध न हो तो शुद्ध जल से भी शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं।
अभिषेक के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करते रहें।
वैसे शिवजी को अभिषेक के अलावा बेलपत्र, धतूरा, आक, भांग एवं सफेद पुष्प अति प्रिय है तो इन्हें भी शिवजी को अर्पित करें।
महाशिवरात्रि व्रत की कथा और महा शिव पुराण में लिखी इस व्रत कथा।
महशिवरात्रि के व्रत को लेकर पुराणों में कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक कथा एक धनवान मनुष्य कुसंगवश की है।
एक बार एक धनवान मनुष्य गलत संगत में फंसने के कारण अपना सारा धन खो चुका था।
महाशिवरात्रि के दिन वह शिव मंदिर पहुंचा जहां एक सौभाग्यशाली स्त्री भक्तिपूर्वक पूजन में लीन थी।
तब उस व्यक्ति ने स्त्री के सारे आभूषण चोरी कर लिए।
वहां मौजूद लोगों ने इस घटना को देख लिया और उसे पीट-पीटकर मार डाला।
हांलाकि चोरी करने के चक्कर में वह मंदिर में आठ प्रहर तक भूखा प्यासा रहकर जागता रहा था।
इस तरह अनजाने में ही उसका व्रत पूर्ण हो गया था।
जिसकी वजह से भगवान शिव की उस पर कृपा हो गई और वह शिवलोक में स्थान पा गया।
श्री महा शिव पुराण की कथा :
एक चित्रभानु नाम का शिकारी था।
वह अपने परिवार को पाने के लिए जंगल में शिकार किया करता था।
कुछ दिनों तक उसे शिकार नहीं मिलने की वजह से वह कर्जे में डूबता चला गया और साहूकार से कर्जा ले लिया।
साहूकार का कर्जा नहीं चुकाने की वजह से साहूकार ने उसे कैद कर लिया।
कुछ दिनों बाद उसे छोड़ दिया।
अब वह पूरे दिन जंगल में भटकता रहा भटकते भटकते एक पेड़ पर जा बैठा।
जहां पर नीचे शिवलिंग बना हुआ था और वह वृक्ष बैल पत्र का ही था।
जैसे:- वह शिकार का इंतजार कर रहा था।
तभी चित्रभानु को एक हिरनी आती दिखाई दी।
उसने जैसे ही उसे मारने की तैयारी की तब हिरनी चित्रभानु से कहती है।
कि मैं अपने बच्चों को जन्म देने वाली हूं।
मैं आपसे वादा करती हूं बच्चे के जन्म के बाद आपके पास आ जाऊंगी।
आप मेरा शिकार कर दीजिएगा।
चित्रभानु ने उनकी बात मान ली और उसे जाने दिया।
कुछ देर बाद दूसरी हिरनी उधर से गुजर रही थी।
तब चित्रभानु ने उसका शिकार करने की तैयारी की।
दूसरी हिरणी बोलती है कि मैं अभी रितु काल से बाहर आई हूं।
मुझे मेरा पति की तलाश है।
मैं पति से मिलकर आपके पास जरूर आ जाऊंगी।
कृपया मुझे छोड़ दीजिए।
चित्रभानु ने उस हिरणी को जाने दिया।
कुछ देर बाद तीसरी हिरनी उधर से गुजरती है।
तब चित्रभानु ने उसे मारने के लिए अपने शस्त्र को तैयार कर ही रहा था कि हिरणी बोलती है, कि मैंने अभी अपने दो बच्चों को जन्म दिया है।
वह अनाथ हो जाएंगे।
मैं पहले उन्हें अपने पिता के हवाले कर आती हूं और आपके पास आ जाऊंगी।
चित्रभानु का मन पिघल चुका था।
उसने तीसरे को भी जाने दिया।
कुछ देर बाद एक हिरण उधर से गुजर रहा था।
चित्रभानु ने सोचा कि हिरण को तो मुझे मारना ही पड़ेगा।
वरना मैं आज पूरे दिन ही भूखा रहूंगा।
जब तक हिरण उसके पास आता तब तक 4 पहर बीत चुके थे।
हिरण को मारने के लिए चित्रभानु ने जैसे ही तैयारी की तो हिरण कहता है।
यदि तुमने पहले तीनों को मार दिया है तो मुझे भी मार दो और यदि तुमने उन तीनों को नहीं मारा है तो मुझे छोड़ दो।
मैं तुमसे वादा करता हूं कि मैं पूरे परिवार के साथ तुम्हारे सम्मुख प्रस्तुत हो जाऊंगा।
चित्रभानु ने संपूर्ण कथा हिरण को सुना दी हिरण ने वादा किया कि मैं आपके पास जल्द ही अपने पूरे परिवार को लेकर आता हूं।
मुझे जाने की आज्ञा दें चित्रभानु का मन था पूरे दिन भूखा रहा और बेलपत्र के वृक्ष पर बैठने की वजह से बिल पत्र के पत्ते नीचे शिवलिंग पर गिर रहे थे।
शिवलिंग पर बार - बार पत्ते गिरने से चित्रभानु का हृदय परिवर्तन होता रहा।
कुछ देर बाद हिरण पूरे परिवार के साथ चित्रभानु के पास आ गया कहा कि अब आप मेरे पूरे परिवार का शिकार कर सकते हैं ।
हमने वादे के अनुसार आपके समक्ष प्रस्तुत हैं चित्रभानु का हृदय परिवर्तन हो चुका था ।
उसने फिर हिरण के पूरे परिवार को जीवनदान दे दिया और चित्रभानु भगवान शिव की शरण में चला गया और उसे शिव लोक में स्थान मिला अर्थात चित्रभानु एक उपकार के बदले अपने पूरे जीवन को मोक्ष के मार्ग पर ले गया।
महा शिवरात्री घर , फ्लैट , दुकान के वास्तु दोष :
कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की अराधना करने से मनचाहा फल मिलता है।
यूं तो भोलेभंडारी भगवान शिव सभी के बिगड़े काम बनाते हैं लेकिन क्या आप जानते है कि, महाशिवरात्रि के दिन आप अपने घर के वास्तु दोष को भी बड़ी घर में आपसी तालमेल की कमी और क्लेश का कराण वास्तु दोष भी होता है।
वास्तु संबंधी कमियों की वजह से परिवार में आपसी कहासुनी और रोग का प्रभाव बना रहा है।
इस समस्या को दूर करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर की उत्तर पूर्व दिशा में शिवलिंग का पूरे विधि विधान से रुद्राभिषेक करें।
इससे आपके घर के वास्तु दोष में सुधार होगा और घर के सदस्यों में तालमेल बढ़ेगा।
रोग का प्रभाव भी कम होगा।
गृह कलेश में दूर करने का एक और आसान उपाय आप महाशिवरात्रि के दिन कर सकते हैं।
इस दिन घर में शिव परिवार की स्थापना करना शुभ माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि घर में शिव परिवार ( माता पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय और गणेश जी ) की मूर्ति लगाने से बच्चे आज्ञाकारी होते हैं।
परिवार में आपसी प्रेम और सद्भाव भी बना रहता है।
महाशिवरात्रि पर आर्थिक परेशानी दूर करने के लिए वास्तु :
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक करें।
शिवजी को 108 , 1108, 10108 , 100108, 121108, बेल के पत्ते अर्पित करें और अंतिम पत्ते को शिव के आशीर्वाद स्वरूप तिजोरी या धन रखने के स्थान में सुरक्षित रख दें।
इससे वास्तु दोष के कारण चल रही आर्थिक परेशानियों में कमी आएगी।
धन का अपव्यय भी कम होगा।
महाशिवरात्रि के दिन पांच प्रहर की पूजा से वास्तु दोष :
महाशिवरात्रि के दिन पांच पहर की पूजा का अधिक महत्व है।
प्रथम पहर सुबह चार बजे से सात बजे तक
दूसरा पहर सुबह सात बजे से नव बजे तक
तीसरा पहर दूपहर 11 बजे से साम तीन बजे तक
चौथा पहर साम 6 बजे से नव बजे तक
पांचमा पहर रात्रि को 11 बजे से मध्य रात्री 1 बजे तक
इस पूजा को करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इसमें ध्यान रखें कि सुबह में गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करें।
दोपहर में दूध से शिवजी का अभिषेक करें।
शाम में शहद से शिवजी का अभिषेक करें और रात्रि में घी से शिवजी का अभिषेक करें।
पांचों प्रहर के लिए पांच मिट्टी के शिवलिंग का निर्माण करें या स्थापित शिवलिंग का ही पूजन करे और जो मिट्टी के शिवलिंग निर्माण किए हो इनकी पूजा करके अगले दिन इन्हें जल में प्रवाहित कर दें।
इस उपाय से घर में वास्तु दोष का प्रभाव दूर हो जाता है।
इस उपाय से आरोग्य, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि पर डमरू से करें वास्तु :
घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए आप महाशिवरात्रि के दिन अपने घर के मंदिर में डमरू की स्थापना कर सकते हैं।
अगर रोजाना आरती के समय डमरू में बजाया जाए तो ये आपके घर की सभी दिशाओं को वास्तु दोष को दूर करेगा।
साथ ही इससे घर में प्रेम, सद्भाव और सुखों की वृद्धि होगी।
घर में करें पारद शिवलिंग की स्थापना :
महाशिवरात्रि के दिन अगर आप अपने घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करते हैं और उसकी रोजाना पूजा अर्चना करते हैं ।
तो सभी प्रकार के वास्तुदोष का निवारण होगा।
शिवपुराण के अनुसार घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करके जो व्यक्ति नियमित इनकी पूजा करता है और इन्हें शमी पत्र अर्पित करता है ।
वह सुख भोगों को भोगकर अंत में उत्तम गति को प्राप्त करता है।
महाशिवरात्रि पर रामायण पाठ से दूर करें वास्तु दोष :
रामायण में वर्णित है कि भगवान राम शिव को और शिवजी भगवान राम का ध्यान करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति अपने घर पर रामायण पाठ का आयोजन करता है और आठ प्रहर का रामायण पाठ करता है ।
उसके घर पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है।
ऐसे भक्त के घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष नहीं रह जाता है।
महालक्ष्मी और भगवान राम भी ऐसे शिव भक्त पर प्रसन्न होते हैं।
★★
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏