सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
|| कृष्ण भक्ता पारसंवी ||
कृष्ण प्रेम की सुंदर कथा-
महात्मा विदुर की पत्नी का नाम पारसंवी था।
पारसंवी का भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति प्रेम था।
महात्मा विदुर हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री होने के साथ - साथ आदर्श भगवद्भक्त, उच्च कोटि के साधु और स्पष्टवादी थे।
यही कारण था कि दुर्योधन उनसे सदा नाराज ही रहा करता था तथा समय असमय उनकी निन्दा करता रहता था।
धृतराष्ट्र और भीष्म पितामह से अनन्य प्रेम की बजह से वे दुर्योधन के द्वारा किये जाते अपमान को सहर्ष स्वीकार कर लेते थे।
हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री होने के बाद भी उनका रहन-सहन एक सन्त की ही तरह था।
श्रीकृष्ण में इनकी अनुपम प्रीति थी।
इनकी धर्मपत्नी पारसंवी भी परम साध्वी, त्यागमूर्ति तथा भगवद्भक्तिमयी थी।
भगवान श्रीकृष्ण जब दूत बनकर संधि प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर पधारे थे ।
तब दुर्योधन के प्रेमरहित महान स्वागत - सत्कार किया।
दुर्योधन द्वारा संधि प्रस्ताव को अस्वीकार करने के उपरांत दुर्योधन ने उन्हें रात्रि विश्राम और भोजन आदि करने को कहा।
भाव रहित दुर्योधन का यह आतिथ्य श्रीकृष्ण ने अस्वीकार कर दिया।
कारण पूछने पर श्रीकृष्ण ने कहा हे दुर्योधन !
"किसी का आतिथ्य स्वीकार करने के तीन कारण होते है।
'भाव, प्रभाव और अभाव"
अर्थात तुम्हारा ऐसा भाव नहीं है जिसके वशीभूत तुम्हारा आतिथ्य स्वीकार किया जाये।
तुम्हारा ऐसा प्रभाव भी नहीं है ।
जिससे भयभीत होकर तुम्हारा आतिथ्य स्वीकार किया जाये तथा मुझे ऐसा अभाव भी नहीं है ।
जिससे मजबूर होकर तुम्हारा आतिथ्य स्वीकार किया जाये।
" इसके बाद श्रीकृष्ण वहाँ से प्रस्थान कर गये।
श्रीकृष्ण महात्मा विदुर और उनकी धर्मपत्नी पारसंवी के भाव को जानते थे।
दुर्योधन के महल से निकल कर वे महात्मा विदुर के आश्रम रूपी घर पर पहुंचे।"
महात्मा विदुर उस समय घर पर नहीं थे तथा पारसंवी नहा रही थीं।
द्वार से ही श्रीकृष्ण ने आवाज दी द्वार खोलो, मैं श्रीकृष्ण हूँ, और बहुत भूखा भी हूँ।
पारसंवी ने जैसे ही श्रीकृष्ण की पुकार सुनी तो भाव के वशीभूत तुरन्त बैसी ही स्थिति में दौड़ कर द्वार खोलने आ गयीं।
उनकी अवस्था को देख अपना पीताम्बर पारसंवी पर ड़ाल दिया।
प्रेम - दिवानी पारसंवी को अपने तन की सुध ही कहाँ थी उसका ध्यान तो सिर्फ इस पर था कि द्वार पर श्रीकृष्ण हैं और भूखे हैं।
पारसंवी श्रीकृष्ण का हाथ पकड़कर अन्दर खींचते हुए ले आई।
श्रीकृष्ण की क्षुधा शान्त करने के लिए उन्हें क्या खिलाये यही कौतूहल उसके मस्तिष्क में था।
इसी प्रेमोन्मत्त स्थिति में उसने श्रीकृष्ण को उल्टे पाढ़े पर बैठा दिया।
श्रीकृष्ण भी पारसंवी के इस अनन्य प्रेम के वशीभूत हो गये और उस उल्टे पाढे पर बैठ गये।
दौड़ कार पारसंवी अन्दर से श्रीकृष्ण को खिलाने के लिए केले ले आयी, और श्रीकृष्ण की क्षुधा शान्त करने के लिए उन्हें केले खिलाने बैठ गयी।
श्रीकृष्ण के प्रेमभाव में वह इतनी मग्न थी कि वह केले छिल-छिल कर छिलके श्रीकृष्ण को खाने के लिए दिये जा रही थी तथा गूदा फेंकती जा रही थी।
श्रीकृष्ण भी पारसंवी के इस अनन्य प्रेम के वशीभूत हो केले के छिलके खाने का आनन्द ले रहे थे।
तभी महात्मा विदुर आ गये।
वे कुछ देर तो स्तम्भित होकर खड़े रहे, फिर उन्होंने यह व्यवस्था देखकर पारसंवी को डांटा था ।
तब उसे होश आया और वह पश्चाताप करने के साथ ही अपने मन की सरलता से श्रीकृष्ण पर ही नाराज होकर उनको उलाहना देने लगे-
छिलका दीन्हेे स्याम कहँ, भूली तन मन ज्ञान।
खाए पै क्यों आपने, भूलि गए क्यों भान।।
भगवान इस सरल वाणी पर हँस दिये।
भगवान ने कहा-
"विदुर जी आप बड़े बेसमय आये।
मुझे बड़ा ही सुख मिल रहा था।
मैं तो ऐसे ही भोजन के लिये सदा अतृप्त रहता हूँ।"
अब विदुर जी भगवान को केले का गूदा खिलाने लगे।
भगवान ने कहा-
"विदुर जी आपने केले तो मुझे बड़ी सावधानी से खिलाये, पर न मालूम क्यों इनमें छिल्के-जैसा स्वाद नहीं आया।"
विदुरपत्नी के नेत्रों से प्रेम के आँसू झर रहे थे।
ऐसा होता है भक्तों का प्रेमोन्माद जिसके भगवान् भी सदा ही भूखे रहते हैं।
|| कृष्ण चंद्र भगवान की जय हो ||
🌷 विजया एकादशी व्रत 🌷
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष { गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार माध कृष्ण पक्ष } की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं ।
एकादशी तिथि की शुरुआत ।
पुराणोक्त पंचांग के अनुसार देखे तो तिथि उदय तारीख कलाक मिनिट सेकंड और घड़ी पल उपर से किए गए है। कल 26 फरवरी 2022, शनिवार सुबह 10:39 मिनट से
ऐकादशी तिथी का समापन ।
परसों 27 फरवरी 2022, रविवार सुबह 08:12 मिनट पर
एकादशी व्रत के पारण का समय ।
28 फरवरी 2022, सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक
विशेष :
एकादशी का व्रत सूर्योदय तिथि 27 फरवरी 2022, रविवार के दिन ही रखें ....
शनिवार एवं रविवार के दिन खाने में चावल या चावल से बनी हुई वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना उपयोग करें ।
भले ही आपने व्रत ना रखा हो....
फिर भी चावल या चावल से बनी हुई चीज का खाना वर्जित है ।
इस बार विजया एकादशी पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहे हैं.।
सर्वार्थ सिद्धि योग 27 फरवरी को सुबह 08:49 बजे से लग रहा है ।
जो अगले दिन 28 फरवरी की सुबह 06:48 बजे तक रहेगा ।
वहीं त्रिपुष्कर योग 27 फरवरी की सुबह 08:49 बजे से प्रारंभ हो रहा है ।
ये 28 फरवरी को सुबह 05:42 बजे तक मान्य होगा ।
मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई भी काम सफल जरूर होता है.।
विजया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु श्री राम के वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया ।
तब भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हुए ।
माता सीता की खोज के दौरान हनुमान की मदद से भगवान राम की वानरराज सुग्रीव से मुलाकात हुई ।
वानर सेना की मदद से भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र तट पर आये ।
विशाल समुद्र के चलते लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए ।
इसके लिए कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा था ।
अंत में भगवान राम ने समुद्र से मार्ग के लिए निवेदन किया ।
परंतु मार्ग नहीं मिला ।
फिर भगवान राम ने ऋषि - मुनियों से इसका उपाय पूछा ।
तब ऋषि - मुनियों ने विजया एकादशी का व्रत करने की सलाह दी ।
साथ ही यह भी बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए व्रत करने का विधान है ।
प्रभु श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत किया और व्रत के प्रभाव से समुद्र को पार किया लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध किया और माता सीता से फिर पुनः मिलन हुआ ।
विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विजय प्राप्त होती है ।
भयंकर शत्रुओ से जब आप घिरे हो और सामने पराजय दिख रही हो...!
उस विकट स्थिति में भी अगर विजया एकादशी का व्रत किया जाए तो...!
व्रत के प्रभाव से अवश्य ही विजय प्राप्त होती है ।
इस एकादशी के व्रत के श्रवण एवं पठन से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं ।
ओम नमो नारायणाय ।
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: + 91- 7010668409
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...!🙏🙏🙏