सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
शिव रुद्राभिषेक कब होता है ? सबसे उत्तम कौनसा होता है ? आत्म लिंग
कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है I
रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं, आइए जानते हैं कि कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है...!
- रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है I
- शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है I
- शिव जी का निवास तभी देखें जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो I
शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है?
देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं. महादेव कभी मां गौरी के साथ होते हैं तो कभी - कभी कैलाश पर विराजते हैं I
रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो...!
- हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं I
- हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं I
- कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं I
- शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं I
- कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं I
- शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं I
- रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है I
शिव जी का निवास कब अनिष्टकारी होता है?
शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है...!
- कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं I
- शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं I
- कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं I
- शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं I
- कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं I
- शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं I
- कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं I
- शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं I
इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक उत्तम नहीं माना जाता I
|| आत्म लिंग ||
भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग या आत्मलिंग से क्या आशय है?
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग है। उन्ही 12 ज्योतिर्लिंगों में बैजनाथ ज्योतिर्लिंग को ही आत्मलिंग कहा जाता है।
इस प्रकार है।
भगवान शिव के मंदिर पूरी दुनिया में बने हुए हैं।
भगवान शिव के कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका संबंध पौराणिक समय से जुड़ा हुआ है।
कर्नाटक के मुरुदेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास भी रामायण काल से है।
इस शिवलिंग की स्थापना का समय वो माना जाता है, जब रावण भगवान शिव को प्रसन्न करके आत्मलिंग लेकर लंका जा रहा था और देवताओं ने उसे रास्ते में ही रुकने पर मजबूर कर दिया, जहां वो आत्मलिंग रखा गया उसे बैजनाथ ज्योतिर्लिंग माना जाता है, उसी समय दक्षिण भारत में इस शिवलिंग की स्थापना हो गई थी।
भारत के दक्षिण भाग के कर्नाटक राज्य में उत्तर कन्नड़ जिला है, इस जिले की भटकल तहसील में ही मुरुदेश्वर मंदिर है। यह मंदिर अरब सागर के तट पर बना हुआ है।
समुद्र तट होने की वजह से यहां का प्राकृतिक वातावरण हर किसी का मन मोह लेता है।
रामायण काल में रावण जब शिवजी से अमरता का वरदान पाने के लिए तपस्या कर रहा था, तब शिवजी ने प्रसन्न होकर रावण को एक शिवलिंग दिया, जिसे आत्मलिंग कहा जाता है।
इस आत्मलिंग के संबंध में शिवजी ने रावण से कहा था कि इस आत्मलिंग को लंका ले जाकर स्थापित करना, लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि इसे जिस जगह पर रख दिया जाएगा, यह वहीं स्थापित हो जाएगा।
अत:
यदि तुम अमर होना चाहते हो तो इस लिंग को लंका ले जा कर ही स्थापित करना।
रावण इस आत्मलिंग को लेकर चल दिया।
सभी देवता यह नहीं चाहते थे कि रावण अमर हो जाए इस लिए भगवान विष्णु ने छल करते हुए वह शिवलिंग रास्ते में ही रखवा दिया।
जब रावण को विष्णु का छल समझ आया तो वह क्रोधित हो गया और इस आत्मलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया।
तभी इस लिंग पर ढंका हुआ एक वस्त्र उड़कर क्षेत्र में आ गया था।
इसी दिव्य वस्त्र के कारण यह तीर्थ क्षेत्र माना जाने लगा है।
|| जय शिव शंकर महादेव ||
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पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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