सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश....
कुश क्या है ? उसका महत्व ( डाब / दर्भ ) कितना है ?
कुश के मूल मे ब्रह्मा जी मध्य भाग में जनार्दन एवं अग्र भाग में भगवान शंकर जी का वास होता है।
पद्मपुराण में सात प्रकार के कुश बताए गए हैं
1- कुश 2- काश 3- दूर्वा 4- जौ का पत्ता 5- धान का पत्ता 6- बल्वज 7- कमल
🌸 कुश को शुभ कर्मों में धारण करने का विधान इस प्रकार है🌸
*शांति कर्म में चार कुशओ की पवित्री
* पौरुष कर्म कर रहे हो तो पांच कुशाओ की पवित्री धारण करें
*पितर कर्म में तीन कशुओं की पवित्री धारण करें
*नित्य कर्म में दो कुशाओ की पवित्री धारण करें रत्नावली और आचारमीमांसा में कहा गया कि व्यक्ति को अनामिका अंगुली में पवित्री को धारण करना चाहिए।
नोट = अनामिका केआगे के पोर स्वत:पवित्र रहते हैं।
🕉️ भाद्रपद मास की अमावस्या के दिन इस मंत्र ॐ हुं फट् मंत्र से उच्चारण करके उखाड़ी गई कुश वर्ष भर काम में आती है।
।।। महादेव ।।। महादेव ।।।महादेव ।।।
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
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(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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