https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: ।। सब से बड़ी समस्या , बहुत ही सुंदर साखी ( कथा ) , *श्रीहनुमत्-स्तुति ~ 5*_ ।।

।। सब से बड़ी समस्या , बहुत ही सुंदर साखी ( कथा ) , *श्रीहनुमत्-स्तुति ~ 5*_ ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। सब से बड़ी समस्या , बहुत ही सुंदर साखी ( कथा )  , *श्रीहनुमत्-स्तुति ~ 5*_  ।।


*आज का प्रेरक प्रसङ्ग*

       !! *सब से बड़ी समस्या* !!

बहुत समय पहले की बात है एक महा ज्ञानी पंडित हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहते थे. लोगों के बीच रह कर वह थक चुके थे और अब ईश्वर भक्ति करते हुए एक सादा जीवन व्यतीत करना चाहते थे. लेकिन उनकी प्रसिद्धि इतनी थी की लोग दुर्गम  पहाड़ियों, सकरे रास्तों, नदी-झरनो को पार कर के भी उससे मिलना चाहते थे, उनका मानना था कि यह विद्वान उनकी हर समस्या का समाधान कर सकता है। 

इस बार भी कुछ लोग ढूंढते हुए उसकी कुटिया तक आ पहुंचे।



पंडित जी ने उन्हें इंतज़ार करने के लिए कहा. तीन दिन बीत गए, 

अब और भी कई लोग वहां पहुँच गए, 

जब लोगों के लिए जगह कम पड़ने लगी तब पंडित जी बोले,” आज मैं आप सभी के प्रश्नो का उत्तर दूंगा, पर आपको वचन देना होगा कि यहाँ से जाने के बाद आप किसी और से इस स्थान के  बारे में  नहीं बताएँगे, 

ताकि आज के बाद मैं एकांत में रह कर अपनी साधना कर सकूँ…..!

चलिए अपनी - अपनी समस्याएं बताइये"।

यह सुनते ही किसी ने अपनी परेशानी बतानी शुरू की, लेकिन वह अभी कुछ शब्द ही बोल पाया था कि बीच में किसी और ने अपनी बात कहनी शुरू कर दी. सभी जानते थे कि आज के बाद उन्हें कभी पंडित जी से बात करने का मौका नहीं मिलेगा ; 

इस लिए वे सब जल्दी से जल्दी अपनी बात रखना चाहते थे. कुछ ही देर में वहां का दृश्य मछली - बाज़ार जैसा हो गया और अंततः पंडित जी को चीख कर बोलना पड़ा,” 

कृपया शांत हो जाइये ! 

अपनी - अपनी समस्या एक पर्चे पे लिखकर मुझे दीजिये।

सभी ने अपनी - अपनी समस्याएं लिखकर आगे बढ़ा दी. पंडित जी ने सारे पर्चे लिए और उन्हें एक टोकरी में डाल कर मिला दिया और बोले, 

” इस टोकरी को एक - दूसरे को पास कीजिये, 

हर व्यक्ति एक पर्ची उठाएगा और उसे पढ़ेगा. 

उसके बाद उसे निर्णय लेना होगा कि क्या वो अपनी समस्या को इस समस्या से बदलना चाहता है ?” 

हर व्यक्ति एक पर्चा उठाता, उसे पढता और सहम सा जाता। 

एक - एक कर के सभी ने पर्चियां देख ली पर कोई भी अपनी समस्या के बदले किसी और की समस्या लेने को तैयार नहीं हुआ; 

सबका यही सोचना था कि उनकी अपनी समस्या चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो बाकी लोगों की समस्या जितनी गंभीर नहीं है. 

दो घंटे बाद सभी अपनी - अपनी पर्ची हाथ में लिए लौटने लगे, वे खुश थे कि उनकी समस्या उतनी बड़ी भी नहीं है जितना कि वे सोचते थे।

*शिक्षा*:-

Friends, ऐसा कौन होगा जिसकी Life में एक भी Problem न हो ? 

हम सभी के जीवन में समस्याएं हैं, कोई अपनी Health से परेशान है तो कोई Lack Of Wealth से। हमें इस बात को Accept करना चाहिए कि Life है तो छोटी - बड़ी समस्याएं आती ही रहेंगी, ऐसे में दुखी हो कर उसी के बारे में सोचने से अच्छा है कि हम अपना ध्यान उसके निवारण में लगाएं…! 

और अगर उसका कोई Solution ही न हो तो अन्य Productive चीजों पर Focus करें…! 

हमें लगता है कि सबसे बड़ी समस्या हमारी ही है पर यकीन जानिए इस दुनिया में लोगों के पास इतनी बड़ी - बड़ी Problems हैं कि हमारी तो उनके सामने कुछ भी नहीं…! 

इस लिए ईश्वर ने जो भी दिया है उसके लिए Thankful रहिये और एक खुशहाल जीवन जीने का प्रयास करिये।

सत्संग का क्या महत्व है 

बहुत ही सुंदर साखी ( कथा )


एक संत रोज अपने शिष्यों को गीता पढ़ाते थे। 

सभी शिष्य इससे खुश थे लेकिन एक शिष्य चिंतित दिखा। 

संत ने उससे इसका कारण पूछा। 

शिष्य ने कहा- गुरुदेव, मुझे आप जो कुछ पढ़ाते हैं ।

वह समझ में नहीं आता, मैं इसी वजह से चिंतित और दुखी हूं। 

गुरु ने कहा- कोयला ढोने वाली टोकरी में जल भर कर ले आओ। 

शिष्य चकित हुआ ।

आखिर टोकरी में कैसे जल भरेगा? 

लेकिन चूंकि गुरु ने यह आदेश दिया था ।

इस लिए वह टोकरी में नदी का जल भरा और दौड़ पड़ा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 

जल टोकरी से छन कर गिर पड़ा। 

उसने टोकरी में जल भर कर कई बार गुरु जी तक दौड़ लगाई लेकिन टोकरी में जल टिकता ही नहीं था। 

तब वह अपने गुरुदेव के पास गया और बोला- गुरुदेव, टोकरी में पानी ले आना संभव नहीं, कोई फायदा नहीं। 

गुरु बोले- फायदा है। 

टोकरी में देखो। 

शिष्य ने देखा- बार बार पानी में कोयले की टोकरी डुबाने से स्वच्छ हो गई है। 

उसका कालापन धुल गया है। 

गुरु ने कहा- ठीक जैसे कोयले की टोकरी स्वच्छ हो गई और तुम्हें पता भी नहीं चला। 

उसी तरह सत्संग  बार बार सुनने से ही कृपा शुरू हो जाती है । 

भले ही अभी तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा है ।

लेकिन तुम सत्संग का लाभ अपने जीवन मे जरुर महसूस करोगे और हमेशा गुरु की कृपा  तुम पर बनी रहेगी ।
🌹 🙏🏻जय श्री कृष्ण🙏🏻🌹

【】श्रीसीताराम शरणं मम् 【】*_ 🙏


🌱 *【  ™विनय पत्रिक™   】* 🌱

🏹🎻🪔📝 🦚🦚 📝🪔🎻🏹

_*श्रीहनुमत्-स्तुति ~ 5*_



*राग___धनाश्री*

जयति निर्भरानंद-संदोह कपि-केसरी, केसरी-सुवनभुवनैकभर्ता।

दिव्यभूम्यंजना मंजुलाकर-मणे,
भक्त-संतापचिंतापहर्ता ॥१॥

जयति धर्मार्थ-कामापवर्गद विभो, 
ब्रह्मलोकादि-वैभव-विरागी।

वचन-मानस-कर्म सत्य-धर्मव्रती, जानकीनाथ-चरणानुरागी ॥२॥

जयति विहगेश-बलबुद्धि-वेगाति-मद-मथन, 
मनमथ-मथन, ऊर्ध्वरेता।

महानाटक-निपुन, कोटि-कविकुल-तिलक, गानगुण-गर्व-गंधर्व-जेता ॥३॥

जयति मंदोदरी-केश-कर्षण, विद्यमान-दसकंठ भट-मुकुट मानी।

भूमिजा दुःख-संजात रोषांतकृत-जातना जंतु कृत जातुधानी ॥४॥

जयति रामायण-श्रवण-संजात-रोमांच, लोचन, सजल, शिथिल वाणी।

रामपदपद्म-मकरंद-मधुकर, पाहि, दासतुलसीशरण, शूलपाणी ॥५॥


*हे हनुमान् जी ! 

तुम्हारी जय हो ! 

तुम पूर्ण आनन्द के समूह, वानरों में साक्षात् केसरी सिंह ( बबरशेर ), केशरी के पुत्र और संसार के एकमात्र भरण - पोषण करने वाले हो ।* 

*तुम अञ्जनीरूपी दिव्य भूमि की सुन्दर खानिसे निकली हुई मनोहर मणि हो और भक्तोंके सन्ताप और चिन्ताओं को सदा नाश करते हो ॥१॥*

*हे विभो ! 

तुम्हारी जय हो ! 

तुम धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के देने वाले हो, ब्रह्मलोक तक के समस्त भोग - ऐश्वयों में वैराग्यवान् हो ।* 

 *मन, वचन और कर्म से सत्यरूप धर्म के व्रत का पालन करने वाले हो और श्रीजानकीनाथ रामजी के चरणोंके परम प्रेमी हो ॥२॥*

*तुम्हारी जय हो ! 

तुम गरुड़ के बल, बुद्धि और वेग के बड़े भारी गर्व को खर्व करने वाले तथा कामदेव के नाश करने वाले बाल-ब्रह्मचारी हो।* 

*तुम बडे - बडे नाटकोंके निर्माण और अभिनय में निपुण हो, करोड़ों महाकवियों के कुलशिरोमणि और गान - विद्या का गर्व करने वाले गन्धर्वोंपर विजय पाने वाले हो ॥३॥*

*तुम्हारी जय हो ! 

तुम वीरों के मुकुटमणि, महान् अभिमानी रावण के सामने उसकी स्त्री मन्दोदरी के बाल खींचने वाले हो ।*

 *तुमने श्रीजानकीजी के दुःख को देखकर उत्पन्न हुए क्रोध के वश हो राक्षसियों को ऐसा क्लेश दिया जैसा यमराज पापी प्राणियों को दिया करता है ॥४॥*

*तुम्हारी जय हो ! 

श्रीरामजीका चरित्र सुनते ही तुम्हारा शरीर पुलकित हो जाता है, तुम्हारे नेत्रों में प्रेम के आँसू भर आते हैं और तुम्हारी वाणी गद्गद हो जाती है ।*

*हे श्रीरामके चरण-कमल-पराग के रसिक भौंरे ! 

हे हनुमानरूपी त्रिशूलधारी शिव ! 

यह दास तुलसी तुम्हारी शरण है, इसकी रक्षा करो ॥५॥*

_*शेष [ पद ] अगले भाग में ..............*_

🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿🌻🌿

🙏 _*गोस्वामी श्रीतुलसीदास कृत रामचरित्रमानस रामायण*_ 🙏

🙏 *【 जय जय श्रीसीताराम जी 】* 🙏

।।। शिव ।।। शिव ।।। शिव ।।।।।
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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