https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: पारमार्थिक सुख / स्वार्थ छोडिये...!

पारमार्थिक सुख / स्वार्थ छोडिये...!

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

पारमार्थिक सुख / स्वार्थ छोडिये...! 


पारमार्थिक सुख *♨️✒️👉🏿•◆स्वार्थ छोडिये◆•👈🏿✒️♨️*


पारमार्थिक सुख

इंसान भी दो तरह की प्रवृत्ति के पाये जाते हैं। 

"हंस" और "काग"...!






Atomberg Zenova Mixer Grinder | Unique Coarse Mode for Silbatta-like Texture | Intelligent BLDC Motor | Safety Features | 4 Jars including Chopper | Hands-Free Operation (Red Wine)

Visit the atomberg Store  https://amzn.to/3LLBanZ


पुराने जमाने में एक शहर में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे ।

एक गरीब था तो दूसरा अमीर..

दोनों पड़ोसी थे..

गरीब ब्राम्हण की पत्नी । 

उसे रोज़ ताने देती । 

झगड़ती ..

एक दिन ग्यारस के दिन गरीब ब्राह्मण पुत्र झगड़ों से तंग आ जंगल की ओर चल पड़ता है ।

ये सोच कर । 

कि जंगल में शेर या कोई मांसाहारी जीव उसे मार कर खा जायेगा ।

उस जीव का पेट भर जायेगा और मरने से वो रोज की झिक झिक से मुक्त हो जायेगा..

जंगल में जाते उसे एक गुफ़ा नज़र आती है...

वो गुफ़ा की तरफ़ जाता है...
गुफ़ा में एक शेर सोया होता है और शेर की नींद में ख़लल न पड़े इसके लिये हंस का पहरा होता है..

हंस ज़ब दूर से ब्राह्मण पुत्र को आता देखता है तो चिंता में पड़ सोचता है..

ये ब्राह्मण आयेगा।

शेर जगेगा और इसे मार कर खा जायेगा...
ग्यारस के दिन मुझे पाप लगेगा...
इसे बचायें कैसे???

उसे उपाय सुझता  है और वो शेर के भाग्य की तारीफ़ करते कहता है..

ओ जंगल के राजा... 

उठो।

जागो..
आज आपके भाग खुले हैं।

ग्यारस के दिन खुद विप्र देव आपके घर पधारे हैं।

जल्दी उठें और इन्हे दक्षिणा दें रवाना करें...!

आपका मोक्ष हो जायेगा...!

ये दिन दुबारा आपकी जिंदगी में शायद ही आये।

आपको पशु योनी से छुटकारा मिल जायेगा..

शेर दहाड़ कर उठता है । 

हंस की बात उसे सही लगती है और पूर्व में शिकार मनुष्यों के गहने वो ब्राह्मण के पैरों में रख ।

शीश नवाता है।

जीभ से उनके पैर चाटता है...

हंस ब्राह्मण को इशारा करता है।







विप्र देव ये सब गहने उठाओ और जितना जल्द हो सके वापस अपने घर जाओ...

ये सिंह है कब मन बदल जाय..

ब्राह्मण बात समझता है।

घर लौट जाता है....

पडौसी अमीर ब्राह्मण की पत्नी को जब सब पता चलता है। 

तो वो भी अपने पति को जबरदस्ती अगली ग्यारस को जंगल में उसी शेर की गुफा की ओर भेजती है....

अब शेर का पहेरादार बदल जाता है..

नया पहरेदार होता है ""

कौवा""

जैसे कौवे की प्रवृति होती है। 

वो सोचता है बढीया है। 

ब्राह्मण आया शेर को जगाऊं ...

शेर की नींद में ख़लल पड़ेगी। 

गुस्साएगा। 

ब्राह्मण को मारेगा तो कुछ मेरे भी हाथ लगेगा ।

मेरा पेट भर जायेगा...!

ये सोच वो कांव..!

कांव..कांव चिल्लाता है..

शेर गुस्सा हो जगता है..!

दूसरे ब्राह्मण पर उसकी नज़र पड़ती है। 

उसे हंस की बात याद आ जाती है.. 

वो समझ जाता है, कौवा ,,,

क्यूं कांव..

कांव कर रहा है..

वो अपने ।

पूर्व में हंस के कहने पर किये गये धर्म को खत्म नहीं करना चाहता..

पर फिर भी शेर,शेर होता है। 

जंगल का राजा...!

वो दहाड़ कर ब्राह्मण को कहता है..!

""हंस उड़ सरवर गये और अब काग भये प्रधान...!

थे तो विप्रा थांरे घरे जाओ,,,,

मैं किनाइनी जिजमान...

अर्थात हंस जो अच्छी सोच वाले अच्छी मनोवृत्ति वाले थे। 

उड़ के सरोवर यानि तालाब को चले गये है और अब कौवा प्रधान पहरेदार है। 

जो मुझे तुम्हें मारने के लिये उकसा रहा है.. 

मेरी बुध्दी घूमें उससे पहले ही.. 

है ब्राह्मण यहां से चले जाओ..

शेर किसी का जजमान नहीं हुआ है..

वो तो हंस था। 

जिसने मुझ शेर से भी पुण्य करवा दिया..

दूसरा ब्राह्मण डर के मारे तुरंत अपने घर की ओर भाग जाता है...

कहने का मतलब है दोस्तों...

ये कहानी आज के परिपेक्ष्य में भी सटीक बैठती है ...

हंस और कौवा कोई और नहीं ,,,

हमारे ही चरित्र है...

कोई किसी का दु:ख देख दु:खी होता है। 

और उसका भला सोचता है ,,,

वो हंस है...

और जो किसी को दु:खी देखना चाहता है ,,,

किसी का सुख जिसे सहन नहीं होता ...

वो कौवा है...

जो आपस में मिलजुल,भाईचारे से रहना चाहते हैं। 

वे हंस प्रवृत्ति के हैं..

जो झगड़े कर एक दूजे को मारने लूटने की प्रवृत्ति रखते हैं। 

वे कौवे की प्रवृति के है...

स्कूल या आफिसों में जो किसी कार्मिक की गलती पर अफ़सर को बढ़ा चढ़ा के बताते हैं।

उस पर कार्यवाही को उकसाते हैं...

वे कौवे है..

जो किसी कार्मिक की गलती पर भी अफ़सर को बडा मन रख माफ करने को कहते हैं। 

वे हंस प्रवृत्ति के है..

अपने आस पास छुपे बैठे ,,,कौवों को पहचानों उनसे दूर रहो और
जो हंस प्रवृत्ति के हैं।

उनका साथ करो..

उनसे भला करने की प्रेरणा लो...

💐पारमार्थिक सुख ही वास्तविक सुख है।

यानि जो सुख और ख़ुशी दूसरों को दे कर खुद खुश या सुखी होते है । 

उनसे बड़ा कोई सुख है ही नही।💐
     🌺राधे राधे🌺

*जय द्वारकाधीश🙏🙏*

+++
+++

*♨️✒️👉🏿•◆स्वार्थ छोडिये◆•👈🏿✒️♨️*

     एक छोटे बच्चे के रूप में, मैं बहुत *स्वार्थी* था, हमेशा अपने लिए सर्वश्रेष्ठ चुनता था।
     
धीरे - धीरे, सभी दोस्तों ने मुझे छोड़ दिया और अब मेरे कोई दोस्त नहीं थे। 

मैंने नहीं सोचा था कि यह मेरी गलती थी, और मैं दूसरों की आलोचना करता रहता था लेकिन मेरे पिता ने मुझे जीवन में मदद करने के लिए 3 दिन में 3 संदेश दिए।

     एक दिन, *मेरे पिता ने हलवे के 2 कटोरे बनाये और उन्हें मेज़ पर रख दिया।*

     एक के ऊपर 2 बादाम थे, जबकि दूसरे कटोरे में हलवे के ऊपर कुछ नहीं था।

     फिर उन्होंने मुझे हलवे का कोई एक कटोरा चुनने के लिए कहा, क्योंकि उन दिनों तक हम गरीबों के घर बादाम आना मुश्किल था.... मैंने 2 बादाम वाले कटोरे को चुना!

      मैं अपने बुद्धिमान विकल्प / निर्णय पर खुद को बधाई दे रहा था, और जल्दी जल्दी मुझे मिले 2 बादाम हलवा खा रहा था।

      परंतु मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही था, जब मैंने देखा कि की मेरे पिता वाले कटोरे के नीचे *8 बादाम* छिपे थे!


     \


बहुत पछतावे के साथ, मैंने अपने निर्णय में जल्दबाजी करने के लिए खुद को डांटा।

      मेरे पिता मुस्कुराए और मुझे यह याद रखना सिखाया कि,

    *आपकी आँखें जो देखती हैं वह हरदम सच नहीं हो सकता, उन्होंने कहा कि यदि आप स्वार्थ की आदत बना लेते हैं तो आप जीत कर भी हार जाएंगे।*

     अगले दिन, मेरे पिता ने फिर से हलवे के 2 कटोरे पकाए और टेबल पर रखे। 

एक कटोरा के शीर्ष पर 2 बादाम और दूसरा कटोरा जिसके ऊपर कोई बादाम नहीं था।

     फिर से उन्होंने मुझे अपने लिए कटोरा चुनने को कहा। 

इस बार मुझे कल का संदेश याद था, इसलिए मैंने शीर्ष पर बिना किसी बादाम कटोरी को चुना।

     परंतु मेरे आश्चर्य करने के लिए इस बार इस कटोरे के नीचे एक भी बादाम नहीं छिपा था! 

     फिर से, मेरे पिता ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा,....! 

*"मेरे बच्चे, आपको हमेशा अनुभवों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि कभी - कभी जीवन आपको धोखा दे सकता है या आप पर चालें खेल सकता है। 

स्थितियों से कभी भी ज्यादा परेशान या दुखी न हों, बस अनुभव को एक सबक अनुभव के रूप में समझें, जो किसी भी पाठ्यपुस्तक से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।*

     तीसरे दिन, मेरे पिता ने फिर से हलवे के 2 कटोरे पकाए।

     पहले 2 दिन की ही तरह, एक कटोरे के ऊपर 2 बादाम, और दूसरे के शीर्ष पर कोई बादाम नहीं। 

मुझे उस कटोरे को चुनने के लिए कहा जो मुझे चाहिए था।

     लेकिन इस बार, मैंने अपने पिता से कहा, *पिताजी, आप पहले चुनें, आप परिवार के मुखिया हैं और आप परिवार में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं । 

आप मेरे लिए जो अच्छा होगा वही चुनेंगे*।

      मेरे पिता मेरे लिए खुश थे।

उन्होंने शीर्ष पर 2 बादाम के साथ वाला कटोरा चुना, लेकिन जैसे ही मैंने अपने  कटोरे का हलवा खाया!  कटोरे के हलवे के एकदम नीचे 4 बादाम और थे।😊

      मेरे पिता मुस्कुराए और मेरी आँखों में प्यार से देखते हुए, उन्होंने कहा *मेरे बच्चे, तुम्हें याद रखना होगा कि, जब तुम भगवान पर सब कुछ छोड़ देते हो तो वे हमेशा तुम्हारे लिए सर्वोत्तम का चयन करेंगे।*

    *और जब तुम दूसरों की भलाई के लिए सोचते हो, अच्छी चीजें स्वाभाविक तौर पर आपके साथ भी हमेशा होती रहेंगी ।*

शिक्षा: 

परोपकारी बनें, बड़ों का सम्मान करते हुए उन्हें पहले मौका व स्थान देवें, बड़ों का आदर - सम्मान करोगे तो कभी भी खाली हाथ नहीं लौटोगे ।  

 *"अनुभव व दृष्टि का ज्ञान व विवेक के साथ सामंजस्य हो जाये बस यही सार्थक जीवन है।"*

     *🙏जय श्री कृष्ण 🙏*
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Ramanatha Swami Covil Car Parking Ariya Strits , Nr. Maghamaya Amman Covil Strits , V.O.C. Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85 Web http://Sarswatijyotish.com
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

aadhyatmikta ka nasha

भगवान शिव ने एक बाण से किया था :

भगवान शिव ने एक बाण से किया था : तारकासुर के तीन पुत्रों को कहा जाता है त्रिपुरासुर, भगवान शिव ने एक बाण से किया था तीनों का वध : तीनों असुर...

aadhyatmikta ka nasha 1