https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: परम अर्थ , प्रेरणायुक्त सत्य कहानी , *मैं ही कृष्ण मैं ही कंस हुँ।*( दिल को छूने वाली कहानी )

परम अर्थ , प्रेरणायुक्त सत्य कहानी , *मैं ही कृष्ण मैं ही कंस हुँ।*( दिल को छूने वाली कहानी )

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

परम  अर्थ   , प्रेरणायुक्त सत्य कहानी  , *मैं ही कृष्ण मैं ही कंस हुँ।*(दिल को छूने वाली कहानी)


परम  अर्थ : 

मनुष्य   का   मूल  रिपु   कौन   ?  

कभी   अहंकार   लगता   है , कभी   अविद्या  , तो   कभी   मोह   लगता   है  !   

निर्णय   करना   कठिन   है  ! 

भिन्न   भिन्न    दृष्टी   से   भिन्न   भिन्न    जबाब   मिलेगा   ! 




लेकिन  इसमे   यंहा   मोह   को   प्रथम   स्थान   दिया  है  !  

चित्त   मे   विविध   प्रकार   का  मल   चिपका   हुवा   दिखाई  देता   है  ! 

लेकिन   यह  सब   मोह  मे  से   ही   निकलता  है  !   

करोडो   प्रकार  से   प्रयत्न   करने  पर  भी   नही   जाता  !  
 
अनेक   जन्मों   के   स्वभाव   के   कारण  वह   मल   पक्का  हो    चुका   है  ! 

चित्त   अनेक   जन्मों   का   अभ्यस्त   होता   है   यह   अपने   यंहा  का   अनुभवाधारित   विशेष    सिद्धान्त   है  !  

प्रयत्न    करते   है   तो   कुछ   मल  कम   होता  है   फिर   भी  अपेक्षित   परिणाम   नही   मिलता  ! 

सफलता   कम   ही   मीलती    है  !  

ऐसा   होता   तो  भी   ठीक   था   लेकिन   यंहा  तो   और  उलटा    ही  होता   है  !   

चित्त   का   मल  और  बढ़ते   ही   जाता    है  !  

लेकिन   मनुष्य  को  हार  नही   माननी   चाहिये  !   

प्रबल   भक्ति   ही   इस   बीमारी   पर  रामबाण    इलाज   है  ! 

जय द्वारकाधीश  

 प्रेरणायुक्त सत्य कहानी 


❇️ एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की।

 शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी। 

वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसूरती की हमेशा तारीफ़  किया करता था। 

लेकिन कुछ महीनों के बाद लड़की चर्मरोग (skinDisease) से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी। 

खुद को इस तरह देख उसके मन में डर सताने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई।

तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी।

❇️ इस बीच एकदिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। 

काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, उसका एक्सीडेंट हो गया।

 एक्सीडेंट में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी। 

लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही। 

समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी। 

वह बदसूरत हो गई।

 लेकिन अंधे पति को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। 

इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

❇️ वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा। 

एकदिन उस लड़की की मौत हो गई। 

पति अब अकेला हो गया था।

वह बहुत दु:खी था. वह उस शहर को छोड़कर जाना चाहता था।

उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़कर जाने लगा।

तभी एक आदमी ने पीछे से उसे पुकारा और पास आकर कहा।

 “अब तुम बिना सहारे के अकेले कैसे चल पाओगे? 

इतने साल तो तुम्हारी पत्नितुम्हारी मदद किया करती थी.” 

❇️ पति ने जवाब दिया।

दोस्त

मैं अंधा नहीं हूँ। 

मैं बस अंधा होने का नाटक कर रहा था। 

क्योंकि यदि मेरी पत्नि को पता चल जाता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूँ ।

तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता।

🙏  इसलिए मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया ।

वह बहुत अच्छी पत्नि थी।

मैं बस उसे खुश रखना चाहता था.” .. ...!

🙏🙏*सीख*-- 

खुश रहने के लिए हमें भी एक दूसरे की कमियो के प्रति आंखे बंद कर लेनी चाहिए.. 

और उन कमियो को नजरन्दाज कर देना चाहिए...

🙏🙏 पति-पत्नी अपने जीवन में अपनी गाड़ी के दो चक्के  होते हैं। 

 हमारे सनातन संस्कृति में आपसी प्रेम ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। 

एक कहावत है कि 

# जो विंध्य गया वो मोती # । 

🙏🙏हमारे सनातन संस्कृति में डाइभोस एवं तलाक की कोई जगह नही है। 

माता-पिता अपने बच्चों का संबंध बहुत सोच समझकर ही करते हैं। 

विवाह होने के बाद माता पिता का फ़र्ज़ कुशल क्षेम जानने का होता है। 

छोटी-मोटी बातों को अपने अभिभावकों तक नहीं पहुंचनी चाहिए। 

क्योंकि हम उच्च कुल के ( ऋषि-मुनीयों ) की संतान हैं।

 विशेष आप खुद समझदार है। धन्यवाद।
🙏🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏🙏

*मैं ही कृष्ण मैं ही कंस हुँ।*

(दिल को छूने वाली कहानी)

एक चित्रकार था, जो अद्धभुत चित्र बनाता था।
*लोग उसकी चित्रकारी की तारीफ़ करते थे।*

एक दिन कृष्ण मंदिर के भक्तों ने उनसे कृष्ण और कंस का एक चित्र बनाने की इच्छा प्रगट की।

चित्रकार तैयार हो गया आखिर भगवान् का काम था, पर उसने कुछ शर्ते रखी।

उसने कहा _कृष्ण के चित्र लिए नटखट बालक और कंस के लिए एक क्रूर भाव वाला व्यक्ति लाकर दे,_
*मुझे योग्य पात्र चाहिए, अगर वे मिल जाए तो में आसानी से चित्र बना दूंगा।*


क्त एक सुन्दर बालक ले आये।
चित्रकार ने *उस बालक को सामने रख बाल कृष्ण का एक सुंदर चित्र बनाया।*

अब बारी कंस की थी पर क्रूर भाव वाले व्यक्ति को ढूंढना थोडा मुस्किल था।
*जो व्यक्ति कृष्ण मंदिर वालो को पसंद आता वो चित्रकार को पसंद नहीं आता उसे वो भाव मिल नहीं रहे थे...*

वक्त गुजरता गया।
आखिरकार थक-हार कर सालों बाद वो अब जेल में चित्रकार को ले गए, जहा उम्र कैद काट रहे अपराधी थे।
*उन अपराधीयों में से एक को चित्रकार ने पसंद किया और उसे सामने रखकर उसने कंस का चित्र बनाया।*

कृष्ण और कंस की वो तस्वीर आज सालों के बाद पूर्ण हुई।

*कृष्ण मंदिर के भक्त वो तस्वीरे देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।*

उस अपराधी ने भी वह तस्वीरे देखने की इच्छा व्यक्त की।
*उस अपराधी ने जब वो तस्वीरे देखी तो वो फुट-फुटकर रोने लगा।*

सभी ये देख अचंभित हो गए।
चित्रकार ने उससे इसका कारण पूछा,

तब वह अपराधी बोला *"शायद आपने मुझे पहचाना नहीं,*
मैं वो ही बच्चा हुँ जिसे सालों पहले आपने बालकृष्ण के चित्र के लिए पसंद किया था।
*मेरे कुकर्मो से आज में कंस बन गया, इस तस्वीर में मैं ही कृष्ण, मैं ही कंस हुँ।*

*हमारे कर्म ही हमे अच्छा*
*और बुरा इंसान बनाते है।*

*_🙏🏻जय श्री कृष्णा🙏🏻_*
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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