https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: ।।।।। श्री राम स्तुति , *ब्राह्मण क्यों देवता ?* ।।।।।

।।।।। श्री राम स्तुति , *ब्राह्मण क्यों देवता ?* ।।।।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

🚩 *****!! *श्री विनय पत्रिका* !!*****🚩
                         🙏

।।।।। श्री राम स्तुति  , *ब्राह्मण क्यों देवता ?* ।।।।।


                 *श्रीराम स्तुति*
*पद-58*


*कुणप अभिमान सागर भयंकर घोर ,विपुल अवगाह ,दुस्तर अपारं।*
*नक्र रागादि संकुल मनोरथ सकल,संग संकल्प वीचीविकारं।।*
*मोह दशमौलि ,तद्भ्रात अंहकार,पाकारिजित काम विश्रामहारी।*
*लोभ अतिकाय ,मत्सर महोदर दुष्ट,क्रोध पापिष्ठ विबुधांतकारी।।*

*भावार्थ*-

देहाभिमान अत्यंत भयंकर,अथाह ,अपार समुद्र है ।जिसमें राग द्वेष और कामना आदि अनेक घड़ियाल भरे है और आसक्ति तथा संकल्प की लहरें उठ रही हैं। 

        इस लंका में मोह रुपी रावण ,अंहकार रुपी भाई कुम्भकर्ण और शांति नष्ट करने वाला कामरूपी मेघनाथ है।यहाँ लोभरुपी अतिकाय ,मत्सर रूपी दुष्ट महोदर ,क्रोध रुपी महापापी देवान्तक है।

                   🌹🙏🌹

            *जय श्री सीताराम*
क्रमशः

।। श्री ब्रह्मवैवर्तपुराण , श्री विष्णुपुराण , श्री यजुर्वेद और श्री रामचरित्रमानस के ग्रथों का प्रवचन ।।


*ब्राह्मण क्यों देवता ?*



*नोट--*_कुछ आदरणीय मित्रगण कभी -कभी मजाक में या 

कभी जिज्ञासा में, 

कभी गंभीरता से 

एक प्रश्न करते है कि_


 *ब्राम्हण को इतना सम्मान क्यों दिया जाय या दिया जाता है ?*


            _इस तरह के बहुत सारे प्रश्न 

समाज के नई पिढियो के लोगो कि भी जिज्ञासा का केंद्र बना हुवा है ।_


_*तो आइये 

देखते है हमारे 

धर्मशास्त्र क्या कहते है इस विषय में----*_

                *शास्त्रीय मत*

_पृथिव्यां यानी तीर्थानि तानी तीर्थानि सागरे ।_

_सागरे  सर्वतीर्थानि पादे विप्रस्य दक्षिणे ।।_


_चैत्रमाहात्मये तीर्थानि दक्षिणे पादे वेदास्तन्मुखमाश्रिताः  ।_

_सर्वांगेष्वाश्रिता देवाः पूजितास्ते तदर्चया  ।।_


_अव्यक्त रूपिणो विष्णोः स्वरूपं ब्राह्मणा भुवि ।_

_नावमान्या नो विरोधा कदाचिच्छुभमिच्छता ।।_


*•अर्थात पृथ्वी में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी समुद्र में मिलते हैं और समुद्र में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी ब्राह्मण के दक्षिण पैर में  है ।* 


*चार वेद उसके मुख में हैं  अंग में सभी देवता आश्रय करके रहते हैं इसवास्ते ब्राह्मण को पूजा करने से सब देवों का पूजा होती है ।* 


*पृथ्वी में ब्राह्मण जो है विष्णु रूप है इसलिए  जिसको कल्याण की इच्छा हो वह ब्राह्मणों का अपमान तथा द्वेष  नहीं करना चाहिए ।*


_•देवाधीनाजगत्सर्वं मन्त्राधीनाश्च देवता: ।_

_ते मन्त्रा: ब्राह्मणाधीना:तस्माद् ब्राह्मण देवता ।_


*•अर्थात् सारा संसार देवताओं के अधीन है तथा देवता मन्त्रों के अधीन हैं और मन्त्र ब्राह्मण के अधीन हैं इस कारण ब्राह्मण देवता हैं ।*    


_ऊँ जन्मना ब्राम्हणो, ज्ञेय:संस्कारैर्द्विज उच्चते।_

_विद्यया याति विप्रत्वं, त्रिभि:श्रोत्रिय लक्षणम्।।_


*ब्राम्हण के बालक को जन्म से ही ब्राम्हण समझना चाहिए।*

*संस्कारों से "द्विज" संज्ञा होती है तथा विद्याध्ययन से "विप्र" नाम धारण करता है।*


*जो वेद,मन्त्र तथा पुराणों से शुद्ध होकर तीर्थस्नानादि के कारण और भी पवित्र हो गया है ।* 

*वह ब्राम्हण परम पूजनीय माना गया है।*


ऊँ पुराणकथको नित्यं, धर्माख्यानस्य सन्तति:।_

_अस्यैव दर्शनान्नित्यं ,अश्वमेधादिजं फलम्।।_


*जिसके हृदय में गुरु,देवता,माता-पिता और अतिथि के प्रति भक्ति है।* 

*जो दूसरों को भी भक्तिमार्ग पर अग्रसर करता है ।* 


*जो सदा पुराणों की कथा करता और धर्म का प्रचार करता है ऐसे ब्राम्हण के दर्शन से ही अश्वमेध यज्ञों का फल प्राप्त होता है।*


पितामह भीष्म जी ने पुलस्त्य जी से पूछा--


*गुरुवर!मनुष्य को देवत्व, सुख, राज्य, धन, यश, विजय, भोग, आरोग्य, आयु, विद्या, लक्ष्मी, पुत्र, बन्धुवर्ग एवं सब प्रकार के मंगल की प्राप्ति कैसे हो सकती है?*


यह बताने की कृपा करें।*


*पुलस्त्यजी ने कहा--*


राजन!


इस पृथ्वी पर ब्राम्हण सदा ही विद्या आदि गुणों से युक्त और श्रीसम्पन्न होता है।


तीनों लोकों और प्रत्येक युग में विप्रदेव नित्य पवित्र माने गये हैं।


ब्राम्हण देवताओं का भी देवता है।

संसार में उसके समान कोई दूसरा नहीं है।

वह साक्षात धर्म की मूर्ति है और सबको मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाला है।

ब्राम्हण सब लोगों का गुरु,पूज्य और तीर्थस्वरुप मनुष्य है।

*पूर्वकाल में नारदजी ने ब्रम्हाजी से पूछा था--*


ब्रम्हन्!


किसकी पूजा करने पर भगवान लक्ष्मीपति प्रसन्न होते हैं?"


ब्रम्हाजी बोले--


जिस पर ब्राम्हण प्रसन्न होते हैं,उसपर भगवान विष्णुजी भी प्रसन्न हो जाते हैं।

अत: ब्राम्हण की सेवा करने वाला मनुष्य निश्चित ही परब्रम्ह परमात्मा को प्राप्त होता है।

*ब्राम्हण के शरीर में सदा ही श्रीविष्णु का निवास है।*

_जो दान,मान और सेवा आदि के द्वारा प्रतिदिन ब्राम्हणों की पूजा करते हैं ।

उसके द्वारा मानों शास्त्रीय पद्धति से उत्तम दक्षिणा युक्त सौ अश्वमेध यज्ञों का अनुष्ठान हो जाता है।_

*जिसके घरपर आया हुआ ब्राम्हण निराश नही लौटता,उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है।*

_पवित्र देशकाल में सुपात्र ब्राम्हण को जो धन दान किया जाता है वह अक्षय होता है।_

*वह जन्म जन्मान्तरों में फल देता है,उनकी पूजा करने वाला कभी दरिद्र, दुखी और रोगी नहीं होता है।* 

*जिस घर के आँगन में ब्राम्हणों की चरणधूलि पडने से वह पवित्र होते हैं वह तीर्थों के समान हैं।*


_ऊँ  न विप्रपादोदककर्दमानि,_

_न वेदशास्त्रप्रतिघोषितानि!_

_स्वाहास्वधास्वस्तिविवर्जितानि,_

_श्मशानतुल्यानि गृहाणि तानि।।_


*जहाँ ब्राम्हणों का चरणोदक नहीं गिरता,जहाँ वेद शास्त्र की गर्जना नहीं होती।* 

*जहाँ स्वाहा,स्वधा,स्वस्ति और मंगल शब्दों का उच्चारण नहीं होता है।* 

*वह चाहे स्वर्ग के समान भवन भी हो तब भी वह श्मशान के समान है।*


_भीष्मजी!


पूर्वकाल में विष्णु भगवान के मुख से ब्राम्हण, बाहुओं से क्षत्रिय, जंघाओं से वैश्य और चरणों से शूद्रों की उत्पत्ति हुई।_

(  श्री अगत्यरूषी भगवान श्री रामचन्द्र जी को लंका युद्ध के विजय के बाद ब्रह्म हत्या दोष के निवारण पूजन के लिए शिवलिंग पूजन और छबीस कुंड के स्थापन पूजन  )


पितृयज्ञ ( श्राद्ध - तर्पण ), विवाह, अग्निहोत्र, शान्तिकर्म और समस्त मांगलिक कार्यों में सदा उत्तम माने गये हैं।


*ब्राम्हण के मुख से देवता हव्य और पितर कव्य का उपभोग करते हैं।* 

*ब्राम्हण के बिना दान,होम तर्पण आदि सब निष्फल होते हैं।*

_जहाँ ब्राम्हणों को भोजन नहीं दिया जाता,वहाँ असुर,प्रेत,दैत्य और राक्षस भोजन करते हैं।_

*ब्राम्हण को देखकर श्रद्धापूर्वक उसको प्रणाम करना चाहिए।*

_उनके आशीर्वाद से मनुष्य की आयु बढती है,वह चिरंजीवी होता है।


ब्राम्हणों को देखकर भी प्रणाम न करने से,उनसे द्वेष रखने से तथा उनके प्रति अश्रद्धा रखने से मनुष्यों की आयु क्षीण होती है,धन ऐश्वर्य का नाश होता है तथा परलोक में भी उसकी दुर्गति होती है।_


*चौ- पूजिय विप्र सकल गुनहीना।*

      *शूद्र न गुनगन ग्यान प्रवीणा।।*


*कवच अभेद्य विप्र गुरु पूजा।*

*एहिसम विजयउपाय न दूजा।।*


       *------ रामचरित मानस......*


ऊँ नमो ब्रम्हण्यदेवाय,

       गोब्राम्हणहिताय च।

जगद्धिताय कृष्णाय, दल

        गोविन्दाय नमोनमः।।


*जगत के पालनहार*


*गौ,ब्राम्हणों के रक्षक भगवान श्रीकृष्ण जी कोटिशःवन्दना करते हैं।*

_जिनके चरणारविन्दों को परमेश्वर अपने वक्षस्थल पर धारण करते हैं।

उन ब्राम्हणों के पावन चरणों में हमारा कोटि-कोटि प्रणाम है।।_

*ब्राह्मण जप से पैदा हुई शक्ति का नाम है,*

*ब्राह्मण त्याग से जन्मी भक्ति का धाम है।*

*ब्राह्मण ज्ञान के दीप जलाने का नाम है,*

*ब्राह्मण विद्या का प्रकाश फैलाने का काम है।*

*ब्राह्मण स्वाभिमान से जीने का ढंग है,*

*ब्राह्मण सृष्टि का अनुपम अमिट अंग है।*

*ब्राह्मण विकराल हलाहल पीने की कला है,*

*ब्राह्मण कठिन संघर्षों को जीकर ही पला है।*

*ब्राह्मण ज्ञान, भक्ति, त्याग, परमार्थ का प्रकाश है,* 

*ब्राह्मण शक्ति, कौशल, पुरुषार्थ का आकाश है।*

*ब्राह्मण न धर्म, न जाति में बंधा इंसान है,*

*ब्राह्मण मनुष्य के रूप में साक्षात भगवान है।*

*ब्राह्मण कंठ में शारदा लिए ज्ञान का संवाहक है,*

*ब्राह्मण हाथ में शस्त्र लिए आतंक का संहारक है।*

*ब्राह्मण सिर्फ मंदिर में पूजा करता हुआ पुजारी नहीं है,*

*ब्राह्मण घर-घर भीख मांगता भिखारी नहीं है।*

*ब्राह्मण गरीबी में सुदामा-सा सरल है,* 

*ब्राह्मण त्याग में दधीचि-सा विरल है।*

*ब्राह्मण विषधरों के शहर में शंकर के समान है,* 

*ब्राह्मण के हस्त में शत्रुओं के लिए बेद कीर्तिवान है।*

*ब्राह्मण सूखते रिश्तों को संवेदनाओं से सजाता है,* 

*ब्राह्मण निषिद्ध गलियों में सहमे सत्य को बचाता है।*

*ब्राह्मण संकुचित विचारधारों से परे एक नाम है,* 

*ब्राह्मण सबके अंत:स्थल में बसा अविरल राम है..* 

        🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

aadhyatmikta ka nasha

सूर्योदय सूर्यास्त , श्रद्धा और विश्वास :

सूर्योदय सूर्यास्त , श्रद्धा और विश्वास : सूर्योदय सूर्यास्त की पौरिणीक रोचक कथा : स्कंद महापुराण के काशी खंड में एक कथा वर्णित है कि त्रैलो...

aadhyatmikta ka nasha 1