https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: 🙏 “ सत्य " और फिर चुप हो गये , ज्यादा बोलना ही बंधन है...* 🙏

🙏 “ सत्य " और फिर चुप हो गये , ज्यादा बोलना ही बंधन है...* 🙏

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

🙏 “ सत्य " और फिर चुप हो गये  , ज्यादा बोलना ही बंधन है...* 🙏

🙏 ज्यादा बोलना ही बंधन है...* 🙏


एक राजा के घर एक राजकुमार ने जन्म लिया। 

राजकुमार स्वभाव से ही कम बोलते थे। 


राजकुमार जब युवा हुआ तब भी अपनी उसी आदत के साथ मौन ही रहता था। 

राजा अपने राजकुमार की चुप्पी से परेशान रहते थे कि आखिर ये बोलता क्यों नहीं है। 

राजा ने कई ज्योतिषियों,साधु - महात्माओं एवं चिकित्सकों को उन्हें दिखाया परन्तु कोई हल नहीं निकला। 

संतो ने कहा कि ऐसा लगता है पिछले जन्म में ये राजकुमार कोई साधु थे जिस वजह से इनके संस्कार इस जन्म में भी साधुओं के मौन व्रत जैसे हैं। 

राजा ऐसी बातों से संतुष्ट नहीं हुआ। 

एक दिन राजकुमार को राजा के मंत्री बगीचे में टहला रहे थे। 

उसी समय एक कौवा पेड़ की डाल पर बैठ कर काव - काव करने लगा। 

मंत्री ने सोचा कि कौवे कि आवाज से राजकुमार परेशान होंगे इस लिए मंत्री ने कौवे को तीर से मार दिया। 

तीर लगते ही कौवा जमीन पर गिर गया। 

तब राजकुमार कौवे के पास जा कर बोले कि यदि तुम नहीं बोले होते तो नहीं मारे जाते। 

इतना सुन कर मंत्री बड़ा खुश हुआ कि राजकुमार आज बोले हैं और तत्काल ही राजा के पास ये खबर पहुंचा दी। 

राजा भी बहुत खुश हुआ और मंत्री को खूब ढेर - सारा उपहार दिया। 

कई दिन बीत जाने के बाद भी राजकुमार चुप ही रहते थे। 

राजा को मंत्री कि बात पे संदेह हो गया और गुस्सा कर राजा ने मंत्री को फांसी पर लटकाने का हुक्म दिया। 

इतना सुन कर मंत्री दौड़ते हुए राज कुमार के पास आया और कहा कि उस दिन तो आप बोले थे परन्तु अब नहीं बोलते हैं। 

मैं तो कुछ देर में राजा के हुक्म से फांसी पर लटका दिया जाऊंगा। 

मंत्री की बात सुन कर राजकुमार बोले कि यदि तुम भी नहीं बोले होते तो आज तुम्हे भी फांसी का हुक्म नहीं होता। 

बोलना ही बंधन है। 

जब भी बोलो उचित और सत्य बोलो अन्यथा मौन रहो। 

जीवन में बहुत से विवाद का मुख्य कारण अत्यधिक बोलना ही है। 

एक चुप्पी हजारों कलह का नाश करती है। 

राजा छिप कर राजकुमार की ये बातें सुन रहा था,उसे भी इस बात का ज्ञान हुआ और राजकुमार को पुत्र रूप में प्राप्त कर गर्व भी हुआ। 

उसने मंत्री को फांसी मुक्त कर दिया।

🙏🌹🙏जय श्री कृष्ण🙏🌹🙏

।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन ।।

*🌷श्री तुलसीकृत रामायण से🌷*
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“ सत्य " और फिर चुप हो गये 


********कल से आगे*********

वर्णन आता है कि द्रोणाचार्य अपने शिष्यों को धर्म के दश लक्षण बताये । 

फिर एक दिन उन्होंने कौरवों तथा पाण्डवों की परीक्षा लेने के लिये उनसे पूछा कि धर्म के दश लक्षण क्या - 

क्या हैं ? 

अधिकांश छात्रों ने याद किये गये वे दशों लक्षण सुना दिये । 

द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर की ओर देखा - 

तुम कैसे चुप हो ? 

तुम भी बताओ । 

उन्होंने कहा- “ सत्य " और फिर चुप हो गये । 

सब उपस्थित विद्यार्थी हँसने लगे कि ये तो सबसे बड़े हैं पर लगता है कि सबसे बड़े फिसड्डी भी यही हैं । 

दश में से केवल एक ही याद रहा , शेष सब भूल गये । 

चुप देखकर द्रोणाचार्यजी ने कहा कि यह ठीक है कि दश लक्षणों में से एक ' सत्य ' भी है पर आगे के शेष लक्षण भी तो बताओ ! 

किन्तु वे बार - बार सत्य कहकर चुप हो जाते । 

अन्त में द्रोणाचार्यजी ने पूछा कि क्या आगे के लक्षण तुम्हें याद नहीं हैं ? 

युधिष्ठिर ने कहा- 

“ गुरुदेव ! 

अभी तो इस प्रथम शब्द ' सत्य ' के ही लक्षण को जीवन में उतारने की चेष्टा कर रहा हूँ , आगे नौ कौन - कौन से हैं , इसके बारे में बाद में विचार करूँगा । " 

ठीक इसी प्रकार एक ही शब्द ' राम ' की आवृत्ति की जो बात रामचरितमानस में कही गयी , उसका संकेत भी यही है । 

         भगवान् शंकर से कहा गया कि आप सौ करोड़ रामायण का बँटवारा कर दीजिये । 

भगवान् शंकर ने कार्य सम्पन्न कर दिया । 

उनसे पूछा गया कि इस बँटवारे के बदले में आप क्या लेंगे ? 


उन्होंने कहा कि बस एक ' राम ' शब्द हमें दीजिये और पूरी रामायण आप लोग ले लीजिये―

*ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि।*
*रामचरित सत कोटि महँ लिय महेस जियें जानि।।*

  ' राम ' का अर्थ रामायण भी है । 

क्योंकि भगवान राम के चरित की घटनाएँ ही तो में हैं । 

भगवान राम के गुणों का ही तो वर्णन रामायण में है । 

किन्तु राम शब्द को बार - बार दुहराने के पीछे क्या संकेत है , 

इस पर जरा विचार कीजिये ।

*******शेष कल**********
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🍿👏🍿जय राम राम सियाराम🍿👏🍿
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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