https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: ।। स्नान‘ और ‘नहाने’ में बहुत अंतर है। / संतोष कैसे मिलता है.... ? ।।

।। स्नान‘ और ‘नहाने’ में बहुत अंतर है। / संतोष कैसे मिलता है.... ? ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। स्नान‘ और ‘नहाने’ में बहुत अंतर है। /  संतोष कैसे मिलता है.... ? ।।


💢‘स्नान‘ और ‘नहाने’ में बहुत अंतर है।💢


क्या आप जानते हैं कि स्नान  और नहाने में क्या अन्तर है :-



एक बार देवी सत्यभामा ने  देवी रुक्मणि से पूछा कि दीदी  क्या आपको मालुम है कि श्री  कृष्ण जी बार बार द्रोपदी                     

से मिलने क्यो जाते है। 

कोई  

अपनी बहन के घर बार बार  मिलने थोड़ी ना जाता है, मुझे तो लगता है कुछ गड़बड़                      
है, ऐसा क्या है ?

जो बार बार द्रोपदी के घर  जाते है । 

तो देवी रुक्मणि ने  कहा :  बेकार की बातें मत  करो ये बहन भाई का पवित्र  सम्बन्ध है जाओ जाकर  अपना काम करो।

ठाकुर जी सब समझ ग्ए ।  

और कहीं जाने लगे तो देवी  सत्यभामा ने पूछा कि प्रभु  आप कहां जा रहे हो ठाकुर  जी ने कहा कि मैं द्रोपदी के  घर जा रहा हूं । 

अब तो  सत्यभामा जी और बेचैन हो  गई और तुरन्त देवी रुक्मणि  से बोली, 'देखो दीदी फिर  वही द्रोपदी के घर जा रहे हैं ‘। 

कृष्ण जी ने कहा कि क्या तुम  भी हमारे साथ चलोगी तो   सत्यभामा जी  फौरन  तैयार  हो गई और देवी रुक्मणि से बोली कि दीदी आप भी मेरे साथ चलो और द्रोपदी को ऐसा मज़ा चखा के आएंगे कि वो जीवन भर याद रखेगी। देवी रुक्मणि भी तैयार हो गई।

जब दोनों देवियां द्रोपदी के  घर पहुंची तो देखा कि द्रोपदी अपने केश संवार रही थी जब द्रोपदी केश संवार रही थी तो             

भगवान श्री कृष्ण ने पूछा :  द्रोपदी क्या कर रही हो तो  द्रोपदी बोली : 

भैया केश  संवार के अभी आई तो  भगवान बोले तुम काहे को केश संवार रही हो, तुम्हारी तो दो दो भाभी आई है ये तुम्हारे केश संवारेगी फिर कृष्ण जी  ने देवी सत्यभामा से कहा कि तुम जाओ और द्रोपदी के सिर  में तेल लगाओ और देवी  रूक्मिणी तुम जाकर द्रोपदी  की चोटी करो।

सत्याभाम जी ने रुक्मणि  जी से कहा बड़ा अच्छा मौका मिला है ऐसा तेल लगाऊंगी कि इसकी खोपड़ी के एक - एक बाल तोड़ के रख दूंगी। 

और जैसे ही सत्यभामा जी ने द्रोपदी के सिर में तेल लगाना शुरु किया और एक बाल को तोड़ा तो बाल तोड़ते ही आवाज आई : 

“हे  कृष्ण” फिर दूसरा बाल तोड़ा फिर आवाज आई  :

“हे कृष्ण” फिर तीसरा बाल तोड़ा तो फिर आवाज आई : “हे  कृष्ण

”सत्यभामा जी को समझ  नहीं आया और देवी रुक्मणि से पूछा, “दीदी आखिर ऐसी क्या बात है द्रोपदी के मस्तक से जो भी बाल तोड़ती हूं तो कृष्ण का नाम क्यों निकल कर आता है,”रुक्मणि जी बोली ,” मैं तो  नहीं जानती “, पीछे से भगवान बोले : 

”देवी सत्यभामा तुम देवी  रुक्मणि से पूछ रही थी कि मैं दौड़ – दौड़ कर इस  द्रोपदी के घर क्यो जाता हूं“, 

क्योंकि पूरे भूमण्डल पर, पूरी पृथ्वी पर कोई सन्त, कोई साधु, कोई संन्यासी, कोई तपस्वी, कोई साधक, कोई उपासक ऐसा नहीं हुआ जिसने एक दिन में साढ़े तीन करोड़ बार मेरा नाम लिया हो और द्रोपदी केवल ऐसी है जो एक दिन में साढ़े तीन करोड़ बार मेरा नाम लेती है।

प्रति दिन स्नान करती है इसलिए उसके हर रोम में  कृष्ण नजर आता है और  इसलिए मैं रोज इसके पास  आता हूं ।”

इसे कहते हैं ‘स्नान‘ जो देवी  द्रोपदी प्रतिदिन किया करती  थी ।

हम जो हर रोज साबुन, शैम्पू और तेल लगा कर अपने तन को स्वच्छ कर  लिया, इसको केवल‘ नहाना ‘कहा गया है ।

स्नान का मतलब है : हमारे  शरीर में साढ़े तीन करोड़ रोम छिद्र है जब नारायण से पूछा गया :  

ये साढ़े तीन करोड़ रोम छिद्र कर्मों के दिए गए हैं तो नारायण ने कहा :  

जब मनुष्य साढ़े तीन करोड़ बार भगवान का नाम ले लेता है तब जीवन में एक बार उसका स्नान हो पाता है “।

“इसको कहते हैं स्नान”

श्री कृष्ण का नाम तब तक जपते रहिए जब तक साढ़े तीन करोड़ बार भगवान का नाम ना जाप लें।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण। कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
हरे राम हरे राम । राम राम हरे हरे।। 🙌🏻
जय श्री श्याम जी 🙏🏻🙏🏻

।। संतोष कैसे मिलता है.... ? ।।


एक राजा का जन्मदिन था। 

सुबह जब वह घूमने निकला, तो उसने तय किया कि वह रास्ते मे मिलने वाले पहले व्यक्ति को पूरी तरह खुश व संतुष्ट करेगा। 

रास्ते में उसे एक भिखारी मिला। 

भिखारी ने राजा से भीख मांगी तो राजा ने भिखारी की तरफ एक तांबे का सिक्का उछाल दिया। 

सिक्का भिखारी के हाथ से छूट कर नाली में जा गिरा। 

भिखारी नाली में हाथ डाल तांबे का सिक्का ढूंढ़ने लगा। 

राजा ने उसे बुला कर दूसरा तांबे का सिक्का दिया। 

भिखारी ने खुश होकर वह सिक्का अपनी जेब में रख लिया और वापस जाकर नाली में गिरा सिक्का ढूंढ़ने लगा। 

राजा को लगा की भिखारी बहुत गरीब है, उसने भिखारी को चांदी का एक सिक्का दिया। 

भिखारी राजा की जय जयकार करता फिर नाली में सिक्का ढूंढ़ने लगा। 

राजा ने अब भिखारी को एक सोने का सिक्का दिया।

भिखारी खुशी से झूम उठा और वापस भाग कर अपना हाथ नाली की तरफ बढ़ाने लगा। 

राजा को बहुत खराब लगा। 

उसे खुद से तय की गयी बात याद आ गयी कि पहले मिलने वाले व्यक्ति को आज खुश एवं संतुष्ट करना है। 

उसने भिखारी को बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें अपना आधा राज - पाट देता हूं, अब तो खुश व संतुष्ट हो? 

भिखारी बोला, मैं खुश और संतुष्ट तभी हो सकूंगा जब नाली में गिरा तांबे का सिक्का मुझे मिल जायेगा।

*हमारा हाल भी उस भिखारी जैसा ही है। 

हमें भगवान ने आध्यात्मिकता रूपी अनमोल खजाना दिया है और हम उसे भूलकर संसार रूपी नाली में तांबे के सिक्के निकालने के लिए जीवन गंवाते जा रहे हैं।*
          *🙏जय श्री कृष्णा🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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