https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: ।। कार्तिक मास महात्म्य / कभी सत्य सुन्ना भी बुरा लग जाता है ।।

।। कार्तिक मास महात्म्य / कभी सत्य सुन्ना भी बुरा लग जाता है ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। कार्तिक मास महात्म्य / कभी सत्य सुन्ना भी बुरा लग जाता है ।।


।। श्री स्कंद पुराण प्रवचन ।।

*⛳🕉️🦚ॐ श्री गणेशाय नमः🦚🕉️⛳*

 *कार्तिक मास महात्म्य* 


📚 _*संदर्भ:- स्कंद पुराण-वैष्णवखण्ड*_

👉🏻 *भाग- ५*



_*( विभिन्न देवताओं के संतोष के लिये कार्तिक स्नान की विधि तथा स्नान के लिये श्रेष्ठ तीर्थो का वर्णन )*_

कुछ रात बाकी रहे तभी स्नान किया जाय तो वह उत्तम और भगवान् विष्णु को सन्तुष्ट करने वाला है। 

सूर्योदयकाल में किया हुआ स्नान मध्यम श्रेणी का है ।

जब तक कृत्तिका अस्त नहो ।

तभी तक स्नान का उत्तम समय है ।

अन्यथा बहुत विलम्ब करके किया हुआ स्नान कार्तिक स्नान की श्रेणी में नहीं आता। 

स्त्रियों को पति की आज्ञा लेकर कार्तिक स्नान करना चाहिये। 

क्योंकि पति से बिना पूछे जो धर्मकार्य किया जाता है ।

वह पति की आयु को क्षीण कर देता है। 

स्त्रियों के लिये पति की सेवा छोड़कर दूसरा कोई धर्म नहीं है?। 

जो पति की आज्ञा का पालन करे । 

वही इस संसार में धर्मवती है ।

केवल व्रत आदि से धर्मवती नहीं होती। 

पति यदि दरिद्र, पतित,मुर्ख अथवा दीन भी हो ।

तो वह वैसा होता हुआ भी स्त्री का आश्रय है। 

उसके त्याग से स्त्री नरक में गिरती है। 

जिसके दोनों हाथ, दोनों पैर, वाणी और मन - ये काबू में रहें तथा जिसमें विद्या, तप एवं कीर्ति हो ।

वही मनुष्य तीर्थ के फल का भागी होता है। 

जिसकी तीर्थो में श्रद्धा न हो ।

जो तीर्थ में भी पाप की ही बात सोचता हो ।

नास्तिक हो ।

जिसका मन दुविधा में पड़ा हो तथा जो कोरा तर्कवादी हो -

ये पाँच प्रकार के मनुष्य तीर्थफल के भागी नहीं होते। 

जो ब्राह्मण प्रतिदिन प्रात:काल उठकर तीर्थ में स्नान करता है ।

वह सब पापों से मुक्त हो परब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होता है। 

स्नान का तत्त्व जानने वाले मनीषी पुरुषों ने चार प्रकार के स्नान बतलाये हैं -

वायव्य, वारुण, ब्राह्म और दिव्य। 

गोधूलि से किया हुआ स्नान वायव्य कहलाता है। 

समुद्र आदि के जल में जो स्नान किया जाता है ।

उसे वारुण कहते हैं। 

वेद मन्त्रों कि उच्चारणपूर्वक जो स्नान होता है।

उसका नाम ब्राह्म है ।

तथा मेघों अथवा सूर्य की किरणों द्वारा जो जल अपने शरीर पर गिरता है ।

उसे दिव्य स्नान कहा गया है। 

इन सभी स्नानों में वारुण स्नान सबसे उत्तम है। 

ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य को  मन्त्रोच्चारणपूर्वक स्नान करना चाहिये। 

स्त्री और शूद्र के लिये बिना मन्त्र के ही स्नान का विधान है। 

प्राचीन समय में श्रेष्ठ तीर्थ पुष्कर में जहाँ नन्दा-संगम है ।

वहीं नन्दा के कहने से राजा प्रभंजन कार्तिक मास में पुष्कर स्नान करके व्याघ्रयोनि से मुक्त हुए थे और नन्दा भी कार्तिक में पुष्कर का स्पर्श पाकर परम धाम को प्राप्त हुई थी।

_*क्रमशः........*_ ▶️
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*🙏🏻ॐ जय श्री कृष्ण🚩:*
_*⛳⚜️*जय द्वारकाधीश*_⚜⛳

।। कभी सत्य सुन्ना भी बुरा लग जाता है ।।


आप पसीने से तर बतर हैं।  बहुत प्यासे, पर कहीं भी पानी नहीं मिल सकता है।  ऐसे में तुम वृक्ष की छाया में थकान मिटाने के लिए खड़े होते हो!

 तभी सामने की एक इमारत की पहली मंजिल की खिड़की खुलती है और आपकी  उस व्यक्ति से आंखों मिलती है।  आपकी स्थिति देखकर, वह व्यक्ति हाथ के इशारे से आपको पानी के लिए पूछता है।  अब आप उस व्यक्ति के बारे में कैसी राय होगी?

यह आपकी पहली राय है!

आदमी  नीचे आने का इशारा करता है और खिड़की बंद कर देता है।  नीचे का दरवाजा 15 मिनट बाद भी नहीं खुलता।  अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय है?

 यह आपकी दूसरी राय है!

थोड़ी देर बाद दरवाजा खुलता है और आदमी कहता है: 'मुझे देरी के लिए खेद है, लेकिन आपकी हालत देखकर, मैंने आपको पानी के बजाय नींबू पानी देना सबसे अच्छा समझा!  इसलिए थोड़ा लंबा समय लगा! '

अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय है?

 याद रखें कि आपको अभी तक कोई पानी या शर्बत नहीं मिला है और अपनी तीसरी राय को ध्यान में रखें।

अब जैसे ही आप शर्बत को अपनी जीभ पर लगाते हैं, आपको पता चलता है कि इसमें चीनी नहीं है।


अब आप उस व्यक्ति के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

आपके चेहरे को खट्टेपन से भरा हुआ देखकर, व्यक्ति धीरे से चीनी का एक पाऊच निकालता है और कहता है, आप जितना चाहें उतना डाल लें।

अब उसी व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय होगी?

एक सामान्य स्थिति में भी, अगर हमारी राय इतनी खोखली है और लगातार बदलती जा रही है, तो क्या हमें किसी भी बारे में राय देने के लायक है या नहीं!

*वास्तव में, दुनिया में इतना समझ आया कि अगर कोई व्यक्ति आपकी अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करता है तो वह अच्छा है अन्यथा वह बुरा है!*

दिलचस्प बिंदु है स्वयं विचार करें...🌹                                                                        
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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