https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1

।। श्री यजुर्वेद श्री ऋगवेद और श्री विष्णु पुराण आधारित अधिक मास दैनिक नित्यकर्म ओर मूहर्त शास्त्र ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। श्री यजुर्वेद श्री ऋगवेद और श्री विष्णु पुराण आधारित अधिक मास दैनिक नित्यकर्म ओर मूहर्त शास्त्र ।।


श्री यजुर्वेद श्री ऋगवेद और श्री विष्णु पुराण आधारित अधिक मास में खरीदारी और शुभ कामों के मुहूर्त, जानिए इन दिनों में क्या करें और क्या नहीं..!

अधिक मास को हिन्दू धर्म में बहुत ही खास माना गया है।

रामेश्वम तमिलनाडु  के ज्योतिषाचार्य पं. प्रभु राज्यगुरु का कहना है कि भारत में खगोलीय गणना के मुताबिक हर तीसरे साल एक अधिक मास होता है।

इसे अधिमास, मलमास या पुरुषोत्तममास भी कहा जाता है। 

हिंदू कैलेंडर में हर महीने के स्वामी देवता बताए गए हैं।

लेकिन इस तेरहवें महीने का स्वामी कोई नहीं है।




इस लिए इस महीने में हर तरह के मांगलिक कामों को करने की मनाही है। 

देवी भागवत पुराण का कहना है कि इस महीने में तीर्थ स्नान का बहुत ही महत्व होता है। 

साथ ही मल मास में किए गए सभी शुभ कामों का कई गुना फल मिलता है। 

इस महीने में भागवत कथा सुनने का भी बहुत महत्व है। 

इस महीने में सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। 

योग और ध्यान करना चाहिए। 

स्नान - दान, व्रत और पूजा - पाठ करनी चाहिए। 

ऐसा करने से पाप खत्म हो जाते हैं और किए गए पुण्यों का भी कई गुना फल मिलता है।

मंदिर और व्रत - उपवास के बिना भी कर सकते हैं विशेष पूजा पं. प्रभु राज्यगुरु  बताते हैं कि अधिक मास के दौरान अगर किसी खास वजह से व्रत या उपवास नहीं कर पा रहे और मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर ही भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की मानस पूजा कर सकते हैं।

विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक भगवान का ध्यान कर के मन ही मन पूजा की जा सकती है। 

इसे मानसिक पूजा कहा जाता है। 

ऐसा करने से भी उतना ही फल मिलता है जितना अन्य तरह से पूजा करने पर मिलता है।

मानस पूजा में भगवान को मन ही मन या कल्पनाओं में ही आसन, फूल, नैवेद्य, आभूषण और अन्य चीजें चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है। 

इसके लिए किसी भौतिक चीज की जरूरत नहीं होती है। 

बस साफ और निश्छल मन होना जरूरी है।

जिससे पूजा का हजार गुना फल मिलता है। 

इस लिए पुराणों में भी मानस पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है।

मानस पूजा के मंत्र और उनका अर्थ :

मानस पूजा करते समय भगवान का ध्यान करना चाहिए और मन ही मन मंत्र बोलकर उनके अर्थ के मुताबिक भावना से भगवान की पूजा करनी चाहिए।

ऊं लं पृथिव्यात्मकं गन्धं परिकल्पयामि। 

हे प्रभो ! 

मैं आपको पृथ्वी रूप गंध यानी चंदन अर्पित करता हूं। 

ऊं हं आकाशात्मकं पुष्पं परिकल्पयामि। 

हे प्रभो ! 

मैं आपको आकाश रूप पुष्प अर्पित करता हूं। 

ऊं यं वाय्वात्मकं धूपं परिकल्पयामि। 

हे प्रभो ! 

मैं आपको वायुदेव के रूप में धूप अर्पित करता हूं। 

ऊं रं वह्नयान्तकं दीपं दर्शयामि। 

हे प्रभो ! 


 

मैं आपको अग्निदेव के रूप में दीपक अर्पित करता हूं। 

ऊं वं अमृतात्मकं नैवेद्यं निवेदयामि। 

हे प्रभो ! 

मैं आपको अमृत के समान नैवेद्य अर्पित करता हूं। 

ऊं सौं सर्वात्मकं सर्वोपचारं समर्पयामि। 

हे प्रभो ! 

मैं आपको सर्वात्मा के रूप में संसार के सभी उपचारों को आपके चरणों में अर्पित करता हूं।

अधिक मास में क्या करना चाहिए...!

हर दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए

तीर्थ स्नान करना चाहिए।

आंवले और तिल का उबटन लगाकर नहाना चाहिए पानी में तिल मिलाकर नहाना चाहिए।

सूर्य को जल चढ़ाकर योगा और ध्यान करना चाहिए।

आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाना चाहिए।

भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के नामों का जाप करना चाहिए।

जरूरतमंद लोगों को खाने की चीजें और मौसमी फलों का दान करें।

शाम के समय दीपदान करना चाहिए।

अधिक मास में क्या करने से बचें...!

इस महीने में शारीरिक और मानसिक रूप से अपवित्र होने से बचना चाहिए।

तामसिक चीजें यानी लहसुन-प्याज और मांसाहार जैसी चीजें नहीं खानी चाहिए।

आलस्य और हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए। 

देर तक नहीं सोना चाहिए।

खास तरह के व्यक्तिगत संस्कार और विशेष कामना से अनुष्ठान नहीं पूर्ण परिवार के लिए करना चाहिए 
जय श्री कृष्ण.....!!!
==================

जिस प्रकार आप किसी वस्तु को लेने बाजार जाते हो 


जिस प्रकार आप किसी वस्तु को लेने बाजार जाते हो तो उसका एक उचित मूल्य अदा करने पर ही उसे प्राप्त करते हो। 

इसी प्रकार जीवन में भी हम जो प्राप्त करते हैं सबका कुछ ना कुछ मूल्य चुकाना ही पड़ता है। 

🌼विवेकानन्द जी कहा करते थे कि महान त्याग के बिना महान लक्ष्य को पाना संभव नहीं। 

अगर आपके जीवन का लक्ष्य महान है तो यह ख्याल तो भूल जाओ कि बिना त्याग और समर्पण के उसे प्राप्त कर लेंगे।
 
🌼बड़ा लक्ष्य बड़े त्याग के बिना नहीं मिलता। 

कई प्रहार सहने के बाद पत्थर के भीतर छिपा हुआ ईश्वर का रूप प्रगट होता है।

अगर चोटी तक पहुँचना है तो रास्ते के कंकड़ पत्थरों से होने वाले कष्ट को भूलना ही होगा।

जय द्वारकाधीश !
जय श्री राधे कृष्ण !!
🌹🙏🌹🙏🌹
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Web :https://sarswatijyotish.com/
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

aadhyatmikta ka nasha

महाभारत की कथा का सार

महाभारत की कथा का सार| कृष्ण वन्दे जगतगुरुं  समय नें कृष्ण के बाद 5000 साल गुजार लिए हैं ।  तो क्या अब बरसाने से राधा कृष्ण को नहीँ पुकारती ...

aadhyatmikta ka nasha 1