https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1

।। हनुमानजी की दिव्य उधारी / पूरा विश्व मे भगवान रामचन्द्रजी की महिमा ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। हनुमानजी की दिव्य उधारी /  पूरा विश्व मे भगवान रामचन्द्रजी की महिमा ।।


।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन ।।

*हनुमानजी की दिव्य उधारी !!!!!


*पढ़ कर आनन्द ही आनन्द होगा जी,*सब पर कर्जा हनुमान जी का,सब ऋणी हनुमानजी महाराज के।* 



*रामजी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो ।* 

*भगवान ने विभीषण जी, जामवंत जी, अंगद जी, सुग्रीव जी सब को अयोध्या से विदा किया।* 

*तो सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में बिदा करेंगे ।* 

*लेकिन रामजी ने हनुमानजी को विदा ही नहीं किया ।* 

*अब प्रजा बात बनाने लगी कि क्या बात सब गए हनुमानजी नहीं गए अयोध्या से!*

*अब दरबार में काना फूसी शुरू हुई कि हनुमानजी से कौन कहे जाने के लिए ।* 

*तो सबसे पहले माता सीता की बारी आई कि आप ही बोलो कि हनुमानजी चले जाएं।*

*माता सीता बोलीं मैं तो लंका में विकल पड़ी थी ।* 

*मेरा तो एक एक दिन एक एक कल्प के समान बीत रहा था ।* 

*वो तो हनुमानजी थे ।* 

*जो प्रभु मुद्रिका लेके गए, और धीरज बंधवाया कि...!*

*कछुक दिवस जननी धरु धीरा।*
*कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा।।*

*निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं।*
*तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं॥*

*मै तो अपने बेटे से बिल्कुल भी नहीं बोलूंगी अयोध्या छोड़कर जाने के लिए ।* 

*आप किसी और से बुलवा लो।*

*अब बारी आई लक्षमण जी की तो लक्ष्मण जी ने कहा, मै तो लंका के रणभूमि में वैसे ही मरणासन्न अवस्था में पड़ा था, पूरा रामदल विलाप कर रहा था।*

*प्रभु प्रलाप सुनि कान बिकल भए बानर निकर।*
*आइ गयउ हनुमान जिमि करुना महँ बीर रस।।*

*ये जो खड़ा है ना , वो हनुमानजी का लक्ष्मण है।* 

*मै कैसे बोलूं, किस मुंह से बोलूं कि हनुमानजी अयोध्या से चले जाएं!*

*अब बारी आई भरत जी की, अरे!* 

*भरत जी तो इतना रोए ।* 

*कि रामजी को अयोध्या से निकलवाने का कलंक तो वैसे ही लगा है ।* 

*मुझ पर, हनुमान जी का सब मिलके और लगवा दो!*

*और दूसरी बात ये कि...!*

*बीतें अवधि रहहिं जौं प्राना।* 
*अधम कवन जग मोहि समाना॥*

*मैंने तो नंदीग्राम में ही अपनी चिता लगा ली थी ।* 

*वो तो हनुमानजी थे जिन्होंने आकर ये खबर दी कि...!*

*रिपु रन जीति सुजस सुर गावत।*
*सीता सहित अनुज प्रभु आवत॥*

*मैं तो बिल्कुल न बोलूं हनुमानजी से अयोध्या छोड़कर चले जाओ ।* 

*आप किसी और से बुलवा लो।*

*अब बचा कौन..?* 

*सिर्फ शत्रुघ्न भैया।* 

*जैसे ही सब ने उनकी तरफ देखा ।* 

*तो शत्रुघ्न भैया बोल पड़े मैंने तो पूरी रामायण में कहीं नहीं बोला ।* 

*तो आज ही क्यों बुलवा रहे हो ।* 

*और वो भी हनुमानजी को अयोध्या से निकालने के लिए ।*

*जिन्होंने ने माता सीता, लक्षमण भैया, भरत भैया सब के प्राणों को संकट से उबारा हो!* 

*किसी अच्छे काम के लिए कहते तो बोल भी देता।* 

*मै तो बिल्कुल भी न बोलूं।*

*अब बचे तो मेरे राघवेन्द्र सरकार,* 
*माता सीता ने कहा प्रभु!*

*आप तो तीनों लोकों ये स्वामी है, और देखती हूं आप हनुमानजी से सकुचाते है।* 

*और आप खुद भी कहते हो कि...!*

*प्रति उपकार करौं का तोरा।* 
*सनमुख होइ न सकत मन मोरा॥*

*आखिर आप के लिए क्या अदेय है प्रभु!* 

*राघवजी ने कहा देवी कर्जदार जो हूं, हनुमान जी का, इसीलिए तो*

*सनमुख होइ न सकत मन मोरा*

*देवी!* 

*हनुमानजी का कर्जा उतारना आसान नहीं है, इतनी सामर्थ्य राम में नहीं है, जो "राम नाम" में है।* 

*क्योंकि कर्जा उतारना भी तो बराबरी का ही पड़ेगा न...!* 

*यदि सुनना चाहती हो तो सुनो हनुमानजी का कर्जा कैसे उतारा जा सकता है।*

*पहले हनुमान विवाह करें*,
*लंकेश हरें इनकी जब नारी।*

*मुदरी लै रघुनाथ चलै,निज पौरुष लांघि अगम्य जे वारी।*

*अायि कहें, सुधि सोच हरें, तन से, मन से होई जाएं उपकारी।*
*तब रघुनाथ चुकायि सकें, ऐसी हनुमान की दिव्य उधारी।।*

*देवी!* 

*इतना आसान नहीं है, हनुमान जी का कर्जा चुकाना। मैंने ऐसे ही नहीं कहा था कि...!*

*"सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं"*

*मैंने बहुत सोच विचार कर कहा था।* 

*लेकिन यदि आप कहती हो तो कल राज्य सभा में बोलूंगा कि हनुमानजी भी कुछ मांग लें।*

*दूसरे दिन राज्य सभा में सब एकत्र हुए,सब बड़े उत्सुक थे कि हनुमानजी क्या मांगेंगे, और रामजी क्या देंगे।*

*रामजी ने हनुमान जी से कहा!* 

*सब लोगों ने मेरी बहुत सहायता की और मैंने, सब को कोई न कोई पद दे दिया।*

*विभीषण और सुग्रीव को क्रमशः लंका और किष्कन्धा का राजपद,अंगद को युवराज पद।* 

*तो तुम भी अपनी इच्छा बताओ...?*

*हनुमानजी बोले!* 

*प्रभु आप ने जितने नाम गिनाए, उन सब को एक एक पद मिला है, और आप कहते हो...!*

*"तैं मम प्रिय लछिमन ते दूना"*

*तो फिर यदि मै दो पद मांगू तो..?*

*सब लोग सोचने लगे बात तो हनुमानजी भी ठीक ही कह रहे हैं।* 

*रामजी ने कहा!* 

*ठीक है, मांग लो, सब लोग बहुत खुश हुए कि आज हनुमानजी का कर्जा चुकता हुआ।*

*हनुमानजी ने कहा!* 

*प्रभु जो पद आप ने सबको दिए हैं, उनके पद में राजमद हो सकता है ।* 

*तो मुझे उस तरह के पद नहीं चाहिए, जिसमे राजमद की शंका हो, तो फिर...!* 

*आप को कौन सा पद चाहिए...?*

*हनुमानजी ने रामजी के दोनों चरण पकड़ लिए, प्रभु ..!*

*हनुमान को तो बस यही दो पद चाहिए।*

*हनुमत सम नहीं कोउ बड़भागी।*
*नहीं कोउ रामचरण अनुरागी।।*

*जानकी जी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए राघवजी बोले, लो उतर गया हनुमानजी का कर्जा!*

*और अभी तक जिसको बोलना था, सब बोल चुके है, अब जो मै बोलता हूं ।* 

*उसे सब सुनो, रामजी भरत भैया की तरफ देखते हुए बोले...!*

*"हे! भरत भैया' कपि से उऋण हम नाही"*........

*हम चारों भाई चाहे जितनी बार जन्म लेे लें, हनुमानजी से उऋण नही हो सकते।* 

*जय श्री हनुमान जी महाराज की जय*

।। पूरा विश्व मे भगवान रामचन्द्रजी की महिमा ।।

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लोमश संहिता में रामायण 
हनुमत् संहिता में रामायण 
शुक संहिता, 
बृहत्कौशल खंड, 
भुशुण्डी रामायण, 
अद्भुत रामायण, 
विलंका रामायण(सारलादास कृतं उड़िया), 
के साथ साथ 

दशरथ जातकम्, अनामक जातकम्, दशरथ कहानम् आदि (बौद्ध ग्रन्थों में रामायण), 

पउमचरिउ(21 ई.), विमलसूरि कृत रामायण(प्राकृत में), रविवेषणाचार्य कृत रामचरित(संस्कृत में), स्वयं भू कृत पउमचरिउ अपभ्रंश (नवम्, 21ई. ), अभिनव पम्पकृत(कन्नड़), रामचन्द्र चरित पुराण(11, 21ई.), गुणभद्र कृत रामायण (संस्कृत) तथा उत्तर पुराण (नवम् -21 ई. ) आदि (जैन ग्रन्थों में रामायण) के साथ साथ-

हिंदी भाषा में 11, मराठी भाषा में 8, बांग्ला भाषा में 25, तमिल भाषा में 12, तेलगू भाषा में 12 तथा उड़िया लिपि में 6 रामायण प्राप्त हैं। 

"राम चरित शतकोटि अपारा" ----
सहस्रों करोड़ बार रामायण लिखी-गाई गई है। 

 अन्य देशों के उदाहरण देखें तो-

नेपाल में भानुभक्त कृत 'नेपाली रामायण', 

भूटान में पदमपाहुस रामायण

श्री लंका में कुमार दास रचित "जानकी हरण" रामायण है (512-521ई.) तथा सिंहली भाषा में राम कथा "मलेराज़ की कथा" नाम से  700 bc)थी।  

बर्मा में 'रामवत्थु' रामायण है। 

चीन में यूतोकी रामयागन, इंडोचीन क्षेत्र में खमैर रामायण प्राप्त हुई। 

तुर्की में खोतानी रामायण, 

जावा में रामकैलिंग,  सेरतराम, सैरीराम नाम से रामायण। 

थाईलैंड में रामकियैन रामायण। 

फिलीपींस की मारनव भाषा मे संकलित 'मसलादिया लाबन' है जो विकृत रामायण है। 


इंडोनेशिया में सबसे प्राचीन शास्त्रीय भाषा कावी मे काकावीन द्वारा रचित 'रामायण काकावीन'है।  

कतर के दोहा में मुगल रामायण नाम से रामायण का अरेबिक अनुवाद जिसे हमीदा बानो ने अनुवाद कराया था, जो 16 मई 1594 को पूर्ण हुआ था। 

मलेशिया के इस्लामीकरण के बाद 1633 में मलय रामायण की सबसे प्राचीन पांडुलिपि बोडलियन पुस्तकालय में संरक्षित कर दी गई थी। मलेशिया में 'हिकायत सेरीराम' रामायण है। 

जापान में कथा संग्रह ग्रन्थ 'होबुत्सुशू' में राम कथा संकलित है। 

मंगोलिया में अनेक रामायण प्राप्त हुई हैं। मंगोलियन भाषा मे लिखित चार रामायण दम्दिन सुरेन ने खोजी थीं। इनमें 'राजा जीवक की कथा' सबसे प्रसिद्ध है। वर्तमान में लेनिनगार्द में मंगोलियन रामायण सुरक्षित हैं। 

तिब्बत में "किंरस-पुंस-पा"  नाम से रामायण । 

इनके अतिरिक्त संसार भर से तीन सौ से अधिक रामायण प्राप्त हुई हैं। 
अन्त में पुनः 

"राम चरित शतकोटि अपारा।
श्रुति सारदा न बरने पारा  ।।"
 

विध विध रूपों में, अनेकों देशों, अनेकों भाषाओं में राम कथा का प्राप्त होना ही ये सिद्ध करता है कि राम पूरे विश्व के है और उनकी कीर्ति अपार है।
प्रेम से बोलिए जय जय श्री राम। 
राजा राम चन्द्र भगवान की जय। 
ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव।। राधे राधे...! ।।
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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