सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। *प्रेम की संपदा अपार* ।।
।। आज का भगवद् चिन्तन ।।
🐂 सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य भगवान् ही दे सकते हैं इंसान नहीं।
जगत से अपेक्षा रखकर कोई सेवा की गई है तो वो एक ना एक दिन निराशा का कारण जरूर बनेगी।
इस लिए अच्छा यही है कि अपेक्षा रहित होकर सेवा की जाए।
🐂 अगर सेवा का मूल्य ये दुनिया अदा कर दे, तो समझ जाना वो सेवा नहीं हो सकती।
सेवा कोई वस्तु थोड़ी है जिसे खरीदा - बेचा जा सके।
सेवा पुण्य कमाने का साधन है, प्रसिद्धि नहीं।
🐂 दुनियां की नजरों में सम्मानित होना बड़ी बात नहीं।
गोविन्द की नजरों में सम्मानित होना बड़ी बात है।
सुदामा के जीवन की सेवा - समर्पण का इससे ज्यादा और श्रेष्ठ फल क्या होता, दुनियां जिन ठाकुर के लिए दौड़ती है वो उनके लिए दौड़े।
प्रभु के हाथों से एक ना एक दिन सेवा का फल जरूर मिलेगा।
जय मुरलीधर!
जय श्री राधे कृष्ण !!
एक ही बात खयाल रखना कि जब से मेरे प्रेम में पड़ो, तब से अपने प्रियजनों को और भी ज्यादा प्रेम करना, बस इतना ही तुम कर सकते हो।
मेरे प्रेम के कारण कमी मत पड़ने देना, नहीं अन्यथा उनका भय सच हो जाएगा।
मेरे प्रेम के कारण तुम्हारा प्रेम बढ़े तो कितनी देर तक वे अपने भय को पालकर रख सकेंगे, आज नहीं कल उनकी आंख खुलेगी, आज नहीं कल वे देखेंगे कि यह मां थी, और भी ज्यादा प्यारी हो गई है, पत्नी थी और भी ज्यादा प्यारी हो गई, इतनी तो इसने देख- भाल कभी न की थी।
लेकिन कहीं ऐसा न हो कि तुम भी उनकी भूल को सही सिद्ध करनेवाले बन जाओ, ताकि वे पीछे कहें, हमने पहले ही कहा था!
मैं किसी को किसी से तोड़ने को यहां नहीं हूं।
मेरा तो सारा पाठ ही प्रेम का है–
और प्रेम यानी जोड़ना।
तो तुम अगर पति हो, तो और भी प्रेमपूर्ण पति हो जाना।
तुम्हारा संन्यास तुम्हारे पति होने में किसी तरह की कमी न करे।
तुम अगर पत्नी हो तो तुम पति के प्रति और भी लगाव से भर जाना।
अपने स्नेह को चारों तरफ बरसा देना।
अपने प्रेम के फूल पति के चारों तरफ उगा देना।
तो तुम पति को भी ले आओगी मेरे पास।
क्योंकि तब उसे एक नया अर्थशास्त्र दिखाई पड़ेगा जो प्रेम का है, काम का नहीं।
कामवासना वही प्रेम है जो क्षुद्र है और बांटे बंट जाता है, छोटा हो जाता है।
प्रेम की संपदा तो अपार है।
*🌹जय श्री कृष्ण🌹*
*🌹 जय श्री लक्ष्मीनारायण...✍🏻♥️*
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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