सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
" ढोल गंवार शुद्र पशु नारी, सकल तारणा के अधिकारी " विज्ञान_वनाम_शास्त्र_विधि , जीवन में सही फैसले लेने में विश्वास कीजिये।
" ढोल गंवार शुद्र पशु नारी, सकल तारणा के अधिकारी "
१. ढोल ( वाद्य यंत्र )
ढोल को हमारे सनातन संस्कृति में उत्साह का प्रतीक माना गया है इसके थाप से हमें नयी ऊर्जा मिलती है....!
इस से जीवन स्फूर्तिमय, उत्साहमय हो जाता है...!
आज भी विभिन्न अवसरों पर ढोलक बजाया जाता है. इसे शुभ माना जाता है....!
२. गंवार ( गांव के रहने वाले लोग )
गाँव के लोग छल - प्रपंच से दूर अत्यंत ही सरल स्वभाव के होते हैं....!
गाँव के लोग अत्यधिक परिश्रमी होते है....!
जो अपने परिश्रम से धरती माता की कोख अन्न इत्यादि पैदा कर संसार में सबका भूख मिटाते हैं...!
आदि - अनादि काल से ही अनेकों देवी - देवता और संत महर्षि गण गाँव में ही उत्पन्न होते रहे हैं....!
सरलता में ही ईश्वर का वास होता है।
Acer SmartChoice Aspire Lite, AMD Ryzen 5-5625U Processor, 16 GB/512 GB, Full HD, 15.6"/39.62 cm, Windows 11 Home, Steel Gray, 1.59 kg, AL15-41, Metal Body, Thin and Light Laptop
https://amzn.to/42ywKqm
३. शुद्र ( जो अपने कर्म व सेवा भाव से इस लोक की दरिद्रता को दूर करे )
सेवा व कर्म से ही हमारे जीवन व दूसरों के जीवन का भी उद्धार होता है और जो इस सेवा व कर्म भाव से लोक का कल्याण करे वही ईश्वर का प्रिय पात्र होता है. कर्म ही पूजा है।
४. पशु ( जो एक निश्चित पाश में रहकर हमारे लिए उपयोगी हो )
प्राचीन काल और आज भी हम अपने दैनिक जीवन में भी पशुओं से उपकृत होते रहे हैं....!
पहले तो वाहन और कृषि कार्य में भी पशुओं का उपयोग किया जाता था.....!
आज भी हम दूध, दही. घी विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न इत्यादि के लिए हम पशुओं पर ही निर्भर हैं....!
पशुओ के बिना हमारे जीवन का कोई औचित्य ही नहीं....!
वर्षों पहले जिसके पास जितना पशु होता था उसे उतना ही समृद्ध माना जाता था....!
सनातन में पशुओं को प्रतीक मानकर पूजा जाता है।
५. नारी ( जगत - जननी, आदि - शक्ति, मातृ - शक्ति )
नारी के बिना इस चराचर जगत की कल्पना ही मिथ्या है नारी का हमारे जीवन में माँ, बहन बेटी इत्यादि के रूप में बहुत बड़ा योगदान है.....!
नारी के ममत्व से ही हम हम अपने जीवन को भली - भाँती सुगमता से व्यतीत कर पाते हैं...!
विशेष परिस्थिति में नारी पुरुष जैसा कठिन कार्य भी करने से पीछे नहीं हटती है....!
जब जब हमारे ऊपर घोर विपत्तियाँ आती है तो नारी दुर्गा, काली, लक्ष्मीबाई बनकर हमारा कल्याण करती है.....!
इस लिए सनातन संस्कृति में नारी को पुरुषों से अधिक महत्त्व प्राप्त है।
॥ सकल तारणा के अधिकारी से यह तात्पर्य है ॥
१. सकल = सबका
२. तारणा = उद्धार करना
३. अधिकारी = अधिकार रखना
उपरोक्त सभी से हमारे जीवन का उद्धार होता है....!
इस लिए इसे उद्धार करने का अधिकारी कहा गया है।
आप यह सब जानकारी / कथा / कहानी / मुहूर्त / पंचाग / हमारे ब्लॉग पोस्ट के समूह हिंदू संस्कार के माध्यम से पढ़ रहे हैं और भी ऐसी सभी जानकारियों के लिए हमारे हिंदू संस्कार आध्यात्मिक के रास्ते को लाइक करें और उसके सदस्य बने....!🙏🏻🙏
अब यदि कोई व्यक्ति या समुदाय विधर्मियों या पाखंडियों के कहने पर अपने ही सनातन को माध्यम बनाकर.....!
उसे गलत बताकर अपना स्वार्थ सिद्ध करता है तो ऐसे विकृत मानसिकता वालों को भगवान् सद्बुद्धि दे....!
तथा सनातन पर चलने की प्ररेणा दे....!
ज्ञात रहे सनातन सबके लिए कल्याणकारी था कल्याणकारी है और सदा कल्याणकारी ही रहेगा....!
सनातन सरल है इसे सरलता से समझे कुतर्क पर न चले. अपने पूर्वजों पर सदेह करना महापाप है।
इस लिए जो भी रामचरितमानस सुन्दरकाण्ड के चौपाई का अर्थ गलत समझाए तो उसे इसका अर्थ जरूर समझाए और अपने धर्म की रक्षा करे.........!"
विज्ञान_वनाम_शास्त्र_विधि
जब किसी की मृत्यु होती थी तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था।
यही #Isolation period था।
क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है।
यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का #quarantine_period बनाया गया।
जो शव को अग्नि देता था उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक।
उसका खाना पीना, भोजन, बिस्तर, कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे।
तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात, सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।
तब भी आप बहुत हँसे थे।
bloody indians कहकर मजाक बनाया था।
जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है....!
ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी।
और नारीवादियों को कौन कहे वो तो दिमागी तौर से अलग होती हैं.....!
उन्होंने जो जहर बोया कि उसकी कीमत आज सभी स्त्रियाँ तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर चुका रही हैं।
जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं....!
घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके....!
कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है....!
इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने।
आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं।
जब कोई भी बहू लड़की या कोई भी दूर से आता है....!
तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर....!
हल्दी डाल कर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों, तब तक।
खूब मजाक बनाया था न।
इन्हीं सवर्णों को और ब्राह्मणों को अपमानित किया था...!
जब ये गलत और गंदे कार्य करने वाले माँस और चमड़ों का कार्य करने वाले लोगों को तब तक नहीं छूते थे जब क वह स्नान से शुद्ध न हो जाय।
ये वही लोग थे जो जानवर पालते थे जैसे सुअर, भेड़, बकरी, मुर्गा, इत्यादि जो अनगिनत बीमारियाँ अपने साथ लाते थे।
ये लोग जल्दी उनके हाथ का छुआ जल या भोजन नहीं ग्रहण करते थे तब बड़ा हो हल्ला आपने मचाया और इन लोगों को इतनी गालियाँ दी कि इन्हें अपने आप से घृणा होने लगी।
यही वह गंदे कार्य करने वाले लोग थे जो प्लेग, टी बी, चिकन पॉक्स, छोटी माता, बड़ी माता, जैसी जानलेवा बीमारियों के संवाहक थे और जब आपको बोला गया कि बीमारियों से बचने के लिए आप इनसे दूर रहें...!
तो आपने गालियों का मटका इनके सिर पर फोड़ दिया और इनको इतना अपमानित किया कि इन्होंने बोलना छोड़ दिया और समझाना छोड़ दिया।
आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं।
Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं ।
पर शास्त्रों के उन्हीं वचनों को तो ब्राह्मणवाद / मनुवाद कहकर आपने गरियाया था और अपमानित किया था।
आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है।
याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को।
यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।
शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें।
लेकिन सब आपने भुला दिया।
आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और ब्राह्मणों को अपमानित करने में उनको भगाने में जो आनंद आता है शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता।
अरे समझो अपने शास्त्रों के level के जिस दिन तुम हो जाओगे न तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा।
तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति के मूर्ख 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए।
अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो।
उनको मानो।
बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है...!
तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है।
उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके।
लेकिन गाली मत दो उसको जलाने का दुष्कृत्य मत करो।
जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा...!
वह शास्त्र वेद पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है correlate कर सकता है और समझा भी सकता है।
Note it down Mark my words again
पता नहीं कि आप इसे पढ़ेंगे या नहीं लेकिन मेरा काम है...!
आप लोगों को जगाना जिसको जगना है या लाभ लेना है वह पढ़ लेगा।
यह भी अनुरोध है कि आप भले ही किसी भी जाति / समाज से हों धर्म के नियमों का पालन कीजिये इससे इहलोक और परलोक दोनों सुधरेगा।
॥सर्वे भवन्तु सुखिनः सवेँसनतु निरामया:॥
🔱 जय सत्य सनातन 🔱
जीवन में सही फैसले लेने में विश्वास कीजिये।
ऐसा न हो कि नादान फैसले
लेकर आप फिर उन्हें जीवन
भर सही साबित करने का
असफल प्रयत्न करते रहें।
ग़लत फ़ैसले प्रायः तभी होते
हैं, जब बिना किसी संकल्प
के ही बहुत ज़्यादा विकल्प
प्राप्त हों। सही, संतुलित एवं
सटीक फ़ैसला लेने के लिये
मात्र एक दृढ़ संकल्प की ही
आवश्यकता होती है।
अपना विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित
कीजिये, उसे प्राप्त करने का
दृढ़ निश्चय करिये, फिर उसके
लिए ईमानदारी से एकाग्रचित्त
होकर अपना शत - प्रतिशत देते
हुए प्रयास कीजिये।
प्लम्बर कितना भी एक्सपर्ट क्यों न हो ?
पर वो आँखों से टपकता पानी बंद नहीं कर सकता...!
उनके लिये तो दोस्त ही चाहिय...!
जीवन मे दो तरह के दोस्त ज़रूर बनाएं...!
एक ' कृष्ण ' के जैसे, जो आपके लिए लड़ेंगे नहीं, पर ये सुनिश्चित करेंगे की जीत आप की ही हो ।
*और ....!*
✌🏼दुसरा ' कर्ण ' की तरह जो आप के लिए तब भी लड़े जब आपकी हार सामने दिख रही हो।
🙏🏽🕉🙏🏽
जीभ का रस
अगर इंसान अपनी जीभ पर नियंत्रण न रखे तो जीभ का रस न सिर्फ उसका तिरस्कार करवाता है बल्कि हंसी भी उड़वाता है।
☝एक बूढ़ा राहगीर थक कर कहीं टिकने का स्थान खोजने लगा।
एक महिला ने उसे अपने बाड़े में ठहरने का स्थान बता दिया।
बूढ़ा वहीं चैन से सो गया।
सुबह उठने पर उसने आगे चलने से पूर्व सोचा कि यह अच्छी जगह है...!
यहीं पर खिचड़ी पका ली जाए और फिर उसे खाकर आगे का सफर किया जाए।
बूढ़े ने वहीं पड़ी सूखी लकड़ियां इकठ्ठा कीं और ईंटों का चूल्हा बनाकर खिचड़ी पकाने लगा।
बटलोई उसने उसी महिला से मांग ली।
बूढ़े राहगीर ने महिला का ध्यान बंटाते हुए कहा, 'एक बात कहूं.?
बाड़े का दरवाजा कम चौड़ा है।
अगर सामने वाली मोटी भैंस मर जाए तो फिर उसे उठाकर बाहर कैसे ले जाया जाएगा.?'
महिला को इस व्यर्थ की कड़वी बात का बुरा तो लगा...!
पर वह यह सोचकर चुप रह गई कि बुजुर्ग है और फिर कुछ देर बाद जाने ही वाला है...!
इसके मुंह क्यों लगा जाए।
उधर चूल्हे पर चढ़ी खिचड़ी आधी ही पक पाई थी कि वह महिला किसी काम से बाड़े से होकर गुजरी।
इस बार बूढ़ा फिर उससे बोला:
'तुम्हारे हाथों का चूड़ा बहुत कीमती लगता है।
यदि तुम विधवा हो गईं तो इसे तोड़ना पड़ेगा।
ऐसे तो बहुत नुकसान हो जाएगा.?'
इस बार महिला से सहा न गया।
वह भागती हुई आई और उसने बुड्ढे के गमछे में अधपकी खिचड़ी उलट दी।
चूल्हे की आग पर पानी डाल दिया। अपनी बटलोई छीन ली और बुड्ढे को धक्के देकर निकाल दिया।
तब बुड्ढे को अपनी भूल का एहसास हुआ।
उसने माफी मांगी और आगे बढ़ गया।
उसके गमछे से अधपकी खिचड़ी का पानी टपकता रहा और सारे कपड़े उससे खराब होते रहे।
रास्ते में लोगों ने पूछा...!
'यह सब क्या है.?'
बूढ़े ने कहा..!
'यह मेरी जीभ का रस टपका है, जिसने पहले तिरस्कार कराया और अब हंसी उड़वा रहा है।'
तात्पर्य यह है के पहले तोलें फिर बोलें...!
चाहे कम बोलें मगर जितना भी बोलेन मधुर बोलें और सोच समझ कर बोलें।
🙏🙏🙏🙏जय श्री कृष्ण🙏🙏🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Ramanatha Swami Covil Car Parking Ariya Strits , Nr. Magjhamaya Amman Covil Strits , V.O.C. Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें