https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: ।। सुंदर कहानी ।।

।। सुंदर कहानी ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

 ।। सुंदर कहानी ।।

शब्द शब्द का निर्भय और निर्णय का ही सारा खेल है।

कभी आपने खुद से पूछा है क्या सच में मेरी बातें ब्रह्मांड तक पहुंचती हैं ? 

क्या आपकी कही गई बातें, अंदर से उठी हुई इच्छाएं, वो मासूम दुआएं कहीं गुम तो नहीं हो जाती या फिर ब्रह्मांड उन्हें सुनता है। 

हर बार हर शब्द, हर भाव, हर तरंग बिल्कुल सुनता है। 

लेकिन एक शर्त है आप कैसे बोलते हैं ? 

यही सारा खेल है। 

दोस्तों, स्वागत है आपका ध्यान चेतना में। 

जहां हम सिर्फ ज्ञान नहीं बांटते। 

हम आपको आपकी आत्मा की आवाज सुनाते हैं जो कहीं अंदर बहुत धीरे - धीरे फुसफुसा रही होती है। 




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मैं तैयार हूं। 

बस मुझे सही शब्द दो। 

यह जो शब्द है ना, यह सिर्फ बोलने का माध्यम नहीं। 

यह चेतना के दरवाजे खोलते हैं। 

यह ब्रह्मांड की गहराइयों में उतरते हैं और वहीं से जवाब लाते हैं। 

इस लिए आज की यह यात्रा बहुत खास है क्योंकि आज हम सिर्फ बातें नहीं करेंगे। 

हम वो तीन गुप्त तकनीक जानेंगे जिनसे आपकी हर इच्छा सीधी ब्रह्मांड तक पहुंचेगी। 

लेकिन उससे पहले आपसे एक आग्रह है अगर आपने कभी दिल से कुछ मांगा है....! 

अगर आपने कभी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) को पुकारा है तो क्योंकि शायद आज आपकी पुकार का जवाब मिल जाए। 

अब आइए शुरुआत करें उस यात्रा की जो शब्दों से चलकर ब्रह्मांड के केंद्र तक जाती है। 

सब से पहली बात समझिए। 

आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) शब्द नहीं सुनता। 

वह भाव सुनता है। 

लेकिन शब्दों के जरिए ही भाव प्रकट होते हैं। 

जब आप कहते हैं काश मेरे पास पैसा होता तो ब्रह्मांड क्या सुनता है? 

मेरे पास अभी पैसा नहीं है। 

जब आप कहते हैं काश मेरी नौकरी लग जाए तो ब्रह्मांड क्या सुनता है? 

मुझे यकीन नहीं कि मेरी नौकरी लग सकती है। 

देखा आपने ? 

आपके शब्द ही आपकी ऊर्जा को दिशा दे रहे हैं। 

शब्द एक बीज हैं। 

अगर बीज में संदेह होगा तो वृक्ष कभी नहीं उगेगा। 

अगर बीज में आशंका होगी तो फल कैसे मिलेगा ? 

इस लिए आपको तीन गहरी तकनीकें अपनानी होंगी ताकि आप जो कहें वह सीधे ब्रह्मांड के हृदय में समा जाए। 

पहली तकनीक आदेश मत दीजिए। संवाद कीजिए। 

ब्रह्मांड कोई मशीन नहीं है जहां आप सेंड का बटन दबा दें और ऑर्डर पहुंच जाए। 

ब्रह्मांड एक सजीव चेतना है जो आपके भीतर है जो आपके आसपास है जो हर क्षण आपकी भावना ओं से संवाद कर रही है। 

इस लिए जब आप उससे बात करें तो आदेश देने की मुद्रा छोड़िए। 

संवाद कीजिए। 

आभार के साथ बात कीजिए। 

उदाहरण के लिए हे ब्रह्मांड मैं आभारी हूं कि आपने मुझे आज इतना सिखाया। 

मैं तैयार हूं अगली सीख के लिए। 

मेरे रास्ते में जो भी आए मैं उसे स्वीकार करूंगा क्योंकि मैं जानता हूं हर अनुभव मुझे निखारने आया है। 

देखिए इसमें आग्रह है, आदेश नहीं, इसमें आभार है, शिकायत नहीं, इसमें समर्पण है, डर नहीं। 

यही भाषा ब्रह्मांड को प्रिय है। 

दूसरी तकनीक ऑलरेडी रिसीव्ड की भाषा में बात कीजिए। 

आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) को फ्यूचर की भाषा समझ नहीं आती क्योंकि ब्रह्मांड के लिए अभी सब कुछ है। 

वो पास्ट और फ्यूचर नहीं जानता। 

वो सिर्फ आपकी वर्तमान ऊर्जा को पकड़ता है। 

अगर आप कहते हैं मुझे पैसा चाहिए तो आपकी ऊर्जा कह रही है मेरे पास नहीं है। 

और ब्रह्मांड उस ऊर्जा को ही लौट आता है। 

हां, तुम्हारे पास नहीं है। 

लेकिन अगर आप कहते हैं मैं आभारी हूं इस समृद्धि के लिए जो मेरे जीवन में है तो ब्रह्मांड सुनता है। 

इस आत्मा को समृद्धि का अनुभव है और देना जारी रखा जाए। यह कोई चमत्कार नहीं। 

यह ऊर्जा का नियम है। 

यह फिजिक्स है। 

जहां समान ऊर्जा समान ऊर्जा को आकर्षित करती है। 

आपका शब्द आपका वाइब्रेशन है। 

जैसे ही आप उस वाइब्रेशन को समृद्धि, प्रेम और आभार से भरते हैं, वैसे ही आपकी तरंगे ब्रह्मांड तक पहुंचती हैं। 

और जवाब में ब्रह्मांड आपके पास वापस वही ऊर्जा भेजता है। 

हजार गुना बढ़ाकर। 

तीसरी तकनीक विजुअलाइजेशन के साथ शब्दों का मेल। 

कभी आपने देखा है ? 

आप जो सोचते हैं वही बार - बार सामने आता है। 

अगर आप किसी डर को सोचते हैं तो डर ही आपको घेर लेता है। 

अगर आप किसी इच्छा को सोचते हैं लेकिन उसे काश ऐसा हो जाए के साथ कहते हैं तो वह इच्छा एक सपने की तरह रह जाती है। 

लेकिन अगर आप आंखें बंद करते हैं और उसी इच्छा को एक वर्तमान अनुभव की तरह महसूस करते हैं तो आपकी चेतना एक नया स्वरूप ले लेती है। 

मान लीजिए आप एक घर चाहते हैं तो हर रात आंखें बंद कीजिए और उस घर के दरवाजे पर खुद को खड़ा महसूस कीजिए। 

दीवारों की महक लीजिए। घर की खिड़कियों से आती रोशनी को देखिए। 

रसोई से आती खुशबू को महसूस कीजिए और कहिए धन्यवाद ब्रह्मांड यह मेरा है। 

जब शब्द और चित्र साथ मिलते हैं। 

तब चेतना का संदेश ब्रह्मांड को पूरी ताकत से जाता है। 

अब जरा ठहरिए। 

गहराई से सोचिए। 

क्या आपने अब तक ऐसे ही बात की थी आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) से या आप सिर्फ शिकायतें करते रहे। 

संशय में डूबे रहे या फिर डर के शब्दों में अपनी इच्छाएं बांधते रहे। 

यहां बदलाव की शुरुआत होती है। 

आपके शब्द आपके भाग्य की कुंजी हैं। 

यह सिर्फ जुबान से निकली ध्वनि नहीं। 

यह वह बीज हैं जो आपका भविष्य बनाते हैं। 

और जब आप इन तकनीकों के साथ बोलते हैं तो आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) आपको नजरअंदाज नहीं कर सकता क्योंकि उस क्षण आप और आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) एक तरंग पर आ जाते हैं और जहां तरंगे मिलती हैं वहीं चमत्कार होता है। 

जब इंसान अपने शब्दों को आत्मा से जोड़ लेता है तब वो शब्द सिर्फ बोल नहीं रहते। 

वो संकल्प बन जाते हैं। 

और संकल्प की एक खास बात होती है। 

वो कभी अकेले नहीं रहते। 

संकल्प के साथ जुड़ती है भावना। 

भावना के साथ जुड़ता है विश्वास और विश्वास के साथ आता है ब्रह्मांड की शक्ति। 

तो सोचिए जब आप अपनी हर इच्छा को इस श्रद्धा के साथ ब्रह्मांड तक भेजते हैं तो क्या वह इच्छा आपको वापस नहीं मिलेगी? 

मिलेगी? 

जरूर मिलेगी। 

लेकिन उसके लिए आपको अपनी भाषा बदलनी होगी। 

क्योंकि ब्रह्मांड आपकी भाषा नहीं सुनता। 

वो आपकी ऊर्जा की भाषा सुनता है और ऊर्जा बदलती है शब्दों से। 

अब आइए थोड़ा तार्किक होकर भी समझते हैं। 

मान लीजिए आप आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) को एक विशाल रेडियो टावर की तरह समझें जो हर पल आपकी चेतना से आ रही तरंगों को पकड़ रहा है। 

आपका मन, आपकी भावना और आपके शब्द यह सब मिलकर एक सिग्नल बनाते हैं और ब्रह्मांड उसी सिग्नल के अनुसार जवाब भेजता है। 

अब अगर आपने सिग्नल भेजा मुझे डर है कि मैं असफल हो जाऊंगा तो ब्रह्मांड उस डर को पकड़ लेगा और आपके रास्ते में और असफलताओं के अवसर भेजेगा लेकिन अगर आप सिग्नल भेजें मैं हर हाल में आगे बढूंगा क्योंकि मैं ईश्वर की संतान हूं और मेरे भीतर असीम शक्ति है। 

तो ब्रह्मांड कहेगा हां चलो इसे राह दिखाते हैं। 

शब्द बदलिए ऊर्जा बदल जाएगी। 

ऊर्जा बदलिए, दिशा बदल जाएगी। 

दिशा बदलिए, जीवन बदल जाएगा। 

यहां एक और रहस्य छिपा है। 

कभी आपने देखा है कि कुछ लोग बिना ज्यादा मेहनत के भी इच्छाएं पूरी कर लेते हैं और कुछ लोग दिन रात मेहनत करते हैं। 

फिर भी जीवन वहीं का वहीं क्यों ? 

क्योंकि पहले वाले अपने शब्दों को ऊर्जा में ढालना जानते हैं। 

वो आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) से वैसे ही बात करते हैं जैसे कोई आत्मीय मित्र से करता है। 

सच्चाई से, सम्मान से, प्रेम से जब आप ब्रह्मांड से बात करते हैं तो सिर्फ मुंह से नहीं हृदय से बात कीजिए। 

जैसे एक बच्चा अपनी मां से कुछ मांगता है। 

उसे पता होता है कि मां मना नहीं करेगी क्योंकि मां को उसकी सच्ची जरूरत समझ में आती है। 

ठीक वैसा ही रिश्ता आपका यूनिवर्स से भी है। वो आपकी जरूरत समझता है। 

लेकिन जब आप उलझी हुई भाषा में मांगते हैं तो यूनिवर्स भी उलझ जाता है। अब जानिए एक छुपी हुई शक्ति के बारे में। 

शब्दों का कंपन, वाइब्रेशन प्रत्येक शब्द की एक फ्रीक्वेंसी होती है। 

जैसे धन्यवाद शब्द की एक बहुत ऊंची फ्रीक्वेंसी होती है। 

जब आप दिल से धन्यवाद कहते हैं तो वह ऊर्जा आपके चारों ओर प्रकाश की एक परत बना देती है। 

वहीं जब आप कहते हैं मेरे साथ तो हमेशा बुरा ही होता है। 

तो यह शब्द एक नीची ऊर्जा का बुलावा भेजते हैं और ब्रह्मांड उन्हें स्वीकार करके वापस वही परिस्थितियां लाता है। 

इस लिए हर दिन अपने शब्दों की समीक्षा कीजिए। 

क्या आप जागते ही शिकायत करते हैं या आभार व्यक्त करते हैं ? 

क्या आप रात को सोते समय डर के साथ सोचते हैं या ईश्वर में विश्वास के साथ ? 

यह छोटे - छोटे शब्द ही आपकी किस्मत की स्क्रिप्ट लिखते हैं। 

अब एक शक्तिशाली अभ्यास बताता हूं जिसे आप हर सुबह या रात को इस्तेमाल कर सकते हैं। 

इसे कहते हैं वाक्य संकल्प ध्यान यानी अफरमेटिव वर्ड मेडिटेशन। 

आंखें बंद कीजिए। 

शांत सांस लीजिए और धीरे - धीरे कहिए। 

मैं ब्रह्मांड से जुड़ा हूं। 

मेरी हर बात सुनी जाती है। 

मेरी हर भावना सम्मान पाती है। 

मैं जो चाहता हूं वही मुझे मिलता है। 

मैं आभारी हूं क्योंकि ब्रह्मांड मेरा साथी है। 

हर बार जब आप यह वाक्य दिल से कहते हैं तो आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) के भीतर एक हलचल होती है। 

वो सुनता है। 

वो रिसोंड करता है कभी लोगों के जरिए, कभी घटनाओं के जरिए, कभी अचानक आने वाले अवसरों के जरिए। 

लेकिन जवाब जरूर आता है। 

अब आपसे एक गहरी बात साझा करना चाहता हूं। 

ब्रह्मांड कोई बाहर की चीज नहीं है। 

आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) कोई तारामंडल नहीं, कोई सुदूर आकाशगंगा नहीं बल्कि आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) आपका खुद का ही हैं। 

आपका ही चेतन मन, अवचेतन मन और अतिचेतन मन तीनों मिलकर एक ब्रह्मांड बनाते हैं। 

जब आप आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) से बात करते हैं तो असल में आप अपने ही आपकी भगवान या कुलदेवी ( ईश्वर ) स्वरूप से बात कर रहे होते हैं। 

इस लिए जो भी कहिए पूर्ण श्रद्धा और सम्मान के साथ कहिए। 

मत कहिए मेरे पास कुछ नहीं है। कहिए मैं वह हूं जिससे सब कुछ आता है। 

मत कहिए मेरी किस्मत खराब है। 

कहिए मैं अपने भाग्य का निर्माता हूं। 

मत कहिए मुझे डर लग रहा है। 

कहिए मेरे साथ आपकी भगवान या कुलदेवी ( ईश्वर ) है और मैं अजय हूं। 

यही है वह ब्रह्म वाक्य जो आपकी आत्मा को ब्रह्मांड से जोड़ते हैं। 

अब थोड़ा और गहराई में चलते हैं। 

आपके बोले गए शब्द, आपके विचार और आपके अंदर के भाव यह तीनों मिलकर एक आंतरिक खाका बनाते हैं। 

यही ब्लूप्रिंट आपकी जीवन वास्तविकता बन जाती है। 

अगर आपने अपने अंदर बार - बार बोला, मेरे लिए सफलता मुश्किल है तो ब्रह्मांड उसी नक्शे को फॉलो करता है। 





लेकिन अगर आपने अपने ही शब्दों से कहा मेरे लिए सफलता स्वाभाविक है क्योंकि मैं योग्य हूं तो ब्रह्मांड उस नए ब्लूप्रिंट को स्वीकार करके आपके लिए नए रास्ते खोल देता है। 

आप इस पल जहां बैठे हैं वहां तक आप अपने ही बोले गए शब्दों से पहुंचे हैं। 

अब आगे जाना है तो नए शब्दों का चयन कीजिए। उच्च ऊर्जा वाले, प्रेम और आभार से भरे हुए, सत्य और श्रद्धा से जुड़े हुए क्योंकि ब्रह्मांड कोई तर्क नहीं मांगता। 

वो बस आपकी ऊर्जा सुनता है और आपकी ऊर्जा आपके शब्दों से निकलती है। 

अब बात करते हैं उन तीन अद्भुत तकनीकों की जो आपके शब्दों को ब्रह्मांड तक सीधा और स्पष्ट पहुंचा सकती हैं। 

पहली तकनीक है भावना संरेख तकनीक इमोशनल अलाइनमेंट मेथड। 

आप जो भी आपकी भगवान या कुलदेवी कहना चाहते हैं ब्रह्मांड से उसे तब तक मत कहिए जब तक उसमें भावनाओं की अग्नि ना हो। 

कोई भी अफमेशन या प्रार्थना तब तक निष्क्रिय रहती है जब तक उसमें भावना का संचार नहीं होता। 

उदाहरण के लिए अगर आप कहें मैं समृद्ध हूं। 

लेकिन अंदर से सोचें कहां हूं ? 

मेरे पास तो कुछ भी नहीं। 

तो यह शब्द ब्रह्मांड तक पहुंचते ही छिन्न - भिन्न हो जाते हैं क्योंकि उनकी भावनात्मक ऊर्जा नकारात्मक थी। 

इस लिए जब भी आप कोई वाक्य बोले उसके पहले अपने भीतर उस भाव को जीवंत कीजिए जैसे वह पहले से सच हो चुका हो। 

अपने शरीर में उसकी ऊष्मा महसूस कीजिए। 

अपने हृदय में उसकी सच्चाई को अनुभूत कीजिए। 

फिर कहिए मैं पूर्ण हूं। 

मैं ईश्वर की कृपा से समृद्ध जीवन जी रहा हूं। 

तब यूनिवर्स उसे एक आदेश की तरह लेगा ना कि एक संदेह की तरह। दूसरी तकनीक है शब्द संयम अभ्यास। दिन भर में हम हजारों शब्द बोलते हैं। 

लेकिन उनमें से अधिकांश शब्द या तो डर से उपजते हैं या आदतों से। 

आपका पहला काम है हर शब्द को जागरूकता से चुनना। मत कहिए। 

अब तो कोई उम्मीद नहीं। 

कहिए हर क्षण नया अवसर लेकर आता है। 

मत कहिए मेरे भाग्य में यही लिखा है। 

कहिए मैं अपने भाग्य को पुनर्लेखित कर रहा हूं। 

मत कहिए मैं नहीं कर पाऊंगा। 

कहिए मैं सीख रहा हूं और आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) मेरी राह सरल कर रहा है। 

जब आप हर बात को सकारात्मक ढंग से कहने की कला सीख जाते हैं तो आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) भी आपके हर शब्द में प्रकाश भर देता है। 

आपका एक - एक शब्द मंत्र बन जाता है। 

आपका मौन भी ऊर्जा बन जाता है और तब जीवन में चमत्कार होने लगते हैं। 

तीसरी और सबसे शक्तिशाली तकनीक है श्रद्धा संवाद विधि। 

यह विधि आप दिन में कभी भी खासकर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या रात सोने से पहले करें। 

अपनी आंखें बंद करें और आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) को एक जीवंत दयालु सुनने वाले चेतन अस्तित्व के रूप में देखें। 

फिर अपनी बात कहिए जैसे आप अपने पिता से कह रहे हो या एक आत्मीय मित्र से कहिए हे ब्रह्मांड तू मेरी हर भावना को जानता है। 

मैं आज संकल्प लेता हूं कि अपने शब्दों से तुझसे गहरा संवाद करूंगा। 

मैं जो भी बोलूंगा सच्चे प्रेम और आस्था से बोलूंगा। 

मेरी हर इच्छा तेरे पास भेज रहा हूं। 

आभार के साथ विश्वास के साथ और तेरे उत्तर की प्रतीक्षा में नहीं उसके आगमन के स्वागत में बैठा हूं। 

जब आप आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) से इस श्रद्धा और नम्रता से बात करते हैं तो ब्रह्मांड आपकी हर बात को पकड़ता है। 

जैसे कोई पिता अपने बच्चे की पुकार सुनता है। 

यह संवाद आपको भीतर से शुद्ध करता है। 

आपके शब्दों में दिव्यता आ जाती है। 

आपके संकल्प में सामर्थ्य उतर आती है। 

अब सोचिए अगर आपने अपने जीवन के हर दिन हर सुबह और हर रात सिर्फ 10 मिनट इस तरह आपकी भगवान या कुलदेवी (  यूनिवर्स ) से बात की तो कैसा बदलेगा आपका जीवन ? 

आपका आत्मबल बढ़ेगा। 

आपका मार्ग स्पष्ट होगा। 

अवसर स्वयं आपके द्वार खटखटाएंगे। 

क्योंकि अब आप मांगने वाले नहीं आज्ञा देने वाले बन गए हैं। 

आप अब प्रार्थना में गिड़गिड़ाने वाले नहीं। संपूर्ण विश्वास के साथ कहने वाले बन गए हैं। 

और यही है सच्ची साधना। 

अब एक अंतिम बात कहूं। 

ध्यान से सुनिए। 

ब्रह्मांड आपकी भाषा समझता है। 

लेकिन और भी ज्यादा समझता है आपका दृष्टिकोण। 

अगर आप कहें मुझे नौकरी चाहिए लेकिन भीतर से सोें कहीं मिलेगा भी या नहीं तो यह विरोधाभास ब्रह्मांड तक भी ऐसे ही पहुंचता है। 

आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) सोचता है यह इंसान खुद ही निश्चित नहीं है कि क्या चाहता है तो हम क्या भेजें ? 

लेकिन जब आप अपने शब्दों में स्पष्टता, श्रद्धा और प्रेम भर देते हैं तो आपकी भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) के पास कोई विकल्प नहीं रहता। 

वह आपके आदेश को स्वीकार करता है। 

तो आइए अब इस पूरी साधना का सार याद कर लें। 

भावनाओं से जुड़कर बोलें। 

हर शब्द को चेतन होकर बोलें। 

ब्रह्मांड से श्रद्धा के साथ सीधी बातचीत करें। 

आपके शब्द अब केवल शब्द नहीं आपकी आत्मा की शक्ति हैं। 

जिन्हें आपने ब्रह्मांडीय ऊर्जा में रूपांतरित करना सीख लिया तो अब कुछ भी असंभव नहीं रहेगा। 

अब अगर यह बात आपके हृदय को छू गई हो। 

अगर आपने इस मेरे ब्लॉग पोस्ट में वह जाना जो जीवन की दिशा बदल सकता है तो एक विनम्र अनुरोध है अगर आपने अभी तक आध्यात्मिकता का नशा की संगत को सब्सक्राइब नहीं किया है तो अभी कर लीजिए क्योंकि हम यहां सिर्फ बातें नहीं करते हम आत्मा को ब्रह्म से जोड़ने की साधना करते हैं। 

हर ब्लॉग पोस्ट हर वाक्य हर भावना आपके जागरण के लिए समर्पित है। 

ब्लॉग पोस्ट को लाइक कीजिए और नीचे कमेंट में अपना संकल्प जरूर लिखिए क्योंकि जब आप कोई बात लिखते हैं तो भगवान या कुलदेवी ( यूनिवर्स ) उसे और गंभीरता से सुनता है। धन्यवाद दोस्तों।

*जय श्री कृष्ण*

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Ramanatha Swami Covil Car Parking Ariya , Nr. Maghamaya Amman Covil Strits , V.O.C. Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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