https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: ।। हिदी भाषा मे सांस्कृतिक दर्शन ।।

।। हिदी भाषा मे सांस्कृतिक दर्शन ।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

।। हिदी भाषा मे सांस्कृतिक दर्शन ।।

*विवाह उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया जाता है*

*1-अंग्रेजी में 'Divorce'*
*2-उर्दू में 'तलाक'
*3-और हिन्दी में....? कृपया हिन्दी का शब्द बताएँ..??*

कहानी आजतक के Editor संजय सिन्हा की लिखी है :

तब मैं जनसत्ता में नौकरी करता था।  

एक दिन खबर आई कि एक आदमी ने झगड़े के बाद अपनी पत्नी की हत्या कर दी।  

मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि पति ने अपनी बीवी को मार डाला।  

खबर छप गई।  

किसी को आपत्ति नहीं थी।  






Divine Hindu | Original White Conch Shell Shankh | for Pooja, Aarti, Vastu, Temple & Home | Natural Auspicious Sound for Positive Energy & Spiritual Rituals | Medium

https://amzn.to/46qMw7D




पर शाम को दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए प्रधान संपादक श्री प्रभाष जोशी जी सीढ़ी के पास मिल गए।  

मैंने उन्हें नमस्कार किया तो कहने लगे कि संजय जी, पति की बीवी नहीं होती। 

“पति की बीवी नहीं होती?” 

मैं चौंका था...!

“बीवी तो शौहर की होती है, मियाँ की होती है।  

पति की तो पत्नी होती है...!"

भाषा के मामले में प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था।  

हालाँकि मैं कहना चाह रहा था कि भाव तो साफ है न ?  

बीवी कहें या पत्नी या फिर वाइफ, सब एक ही तो हैं।  

लेकिन मेरे कहने से पहले ही उन्होंने मुझसे कहा कि "भाव अपनी जगह है, शब्द अपनी जगह"।  

कुछ शब्द कुछ जगहों के लिए बने ही नहीं होते, ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है। 

प्रभाष जी आमतौर पर उपसंपादकों से लंबी बातें नहीं किया करते थे।  

लेकिन उस दिन उन्होंने मुझे टोका था और तब से मेरे मन में ये बात बैठ गई थी कि शब्द बहुत सोच समझ कर गढ़े गए होते हैं। 

खैर, आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया।  

आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूँ।  

लेकिन इसके लिए आपको मेरे साथ निधि के पास चलना होगा। 

निधि मेरी दोस्त है।  

कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था।  

फोन पर उसकी आवाज़ से मेरे मन में खटका हो चुका था कि कुछ न कुछ गड़बड़ है।  

मैं शाम को उसके घर पहुँचा।  

उसने चाय बनाई और मुझसे बात करने लगी।  

पहले तो इधर - उधर की बातें हुईं, फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि नितिन से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है।

मैंने पूछा कि नितिन कहाँ है, तो उसने कहा कि अभी कहीं गए हैं, बता कर नहीं गए।  

उसने कहा कि बात - बात पर झगड़ा होता है, और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है, ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि अलग हो जाएँ, तलाक ले लें। 

निधि जब काफी देर बोल चुकी तो मैंने उससे कहा कि तुम नितिन को फोन करो और घर बुलाओ, कहो कि संजय सिन्हा आए हैं। 

निधि ने बताया कि उनकी तो बातचीत नहीं होती, फिर वो फोन कैसे करे?

अज़ीब संकट था।  

निधि को मैं बहुत पहले से जानता हूँ।  

मैं जानता हूँ कि नितिन से शादी करने के लिए उसने घर में कितना संघर्ष किया था।  

बहुत मुश्किल से दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे, फिर धूमधाम से शादी हुई थी, ढेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं।  

ऐसा लगता था कि ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है।  

पर शादी के कुछ ही साल बाद दोनों के बीच झगड़े होने लगे दोनों एक - दूसरे को खरी - खोटी सुनाने लगे और आज उसी का नतीज़ा था कि संजय सिन्हा निधि के सामने बैठे थे उनके बीच के टूटते रिश्तों को बचाने के लिए। 

खैर, निधि ने फोन नहीं किया मैंने ही फोन किया और पूछा कि तुम कहाँ हो,  मैं तुम्हारे घर पर हूँ, आ जाओ।  

नितिन पहले तो आनाकानी करता रहा, पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया। 

अब दोनों के चेहरों पर तनातनी साफ नज़र आ रही थी, ऐसा लग रहा था कि कभी दो जिस्म - एक जान कहे जाने वाले ये पति - पत्नी आँखों ही आँखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे।  

दोनों के बीच कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी। 

नितिन मेरे सामने बैठा था।  

मैंने उससे कहा कि सुना है कि तुम निधि से तलाक लेना चाहते हो। 

उसने कहा, “हाँ, बिल्कुल सही सुना है, अब हम साथ नहीं रह सकते....!"

मैंने कहा कि "तुम चाहो तो अलग रह सकते हो, पर तलाक नहीं ले सकते"

“क्यों?"

“क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है...!”

अरे यार, हमने शादी तो की है...!

हाँ, शादी तो की है।  

लेकिन, शादी में पति - पत्नी के बीच इस तरह अलग होने का कोई प्रावधान नहीं है।  

अगर तुमने "मैरिज़" की होती तो तुम "डाइवोर्स" ले सकते थे....! 

अगर तुमने "निकाह" किया होता तो तुम "तलाक" ले सकते थे।  

लेकिन क्योंकि तुमने शादी की है....! 

इस का मतलब ये हुआ कि हिंदू धर्म और हिंदी में कहीं भी पति - पत्नी के एक हो जाने के बाद अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं....!

मैंने इतनी - सी बात पूरी गंभीरता से कही थी, पर दोनों हँस पड़े थे।  

दोनों को साथ - साथ हँसते देख कर मुझे बहुत खुशी हुई थी...! 

मैंने समझ लिया था कि रिश्तों पर पड़ी बर्फ अब पिघलने लगी है।  

वो हँसे, लेकिन मैं गंभीर बना रहा....!

मैंने फिर निधि से पूछा कि ये तुम्हारे कौन हैं?  

निधि ने नज़रे झुका कर कहा कि पति हैं।  

मैंने यही सवाल नितिन से किया कि ये तुम्हारी कौन हैं? 

उसने भी नज़रें इधर - उधर घुमाते हुए कहा कि बीवी हैं। 

मैंने तुरंत टोका ये तुम्हारी बीवी नहीं हैं।  

ये तुम्हारी बीवी इस लिए नहीं हैं क्योंकि तुम इनके शौहर नहीं।  

तुम इनके शौहर नहीं, क्योंकि तुमने इनसे साथ निकाह नहीं किया।  

तुमने शादी की है शादी के बाद ये तुम्हारी पत्नी हुईं।  

हमारे यहाँ जोड़ी ऊपर से बन कर आती है।  

तुम भले सोचो कि शादी तुमने की है, पर ये सत्य नहीं है...! 

तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ...! 

मैं सब कुछ अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा...!

बात अलग दिशा में चल पड़ी थी।  मेरे एक - दो बार कहने के बाद निधि शादी का एलबम निकाल लाई।  

अब तक माहौल थोड़ा ठंडा हो चुका था....! 

एलबम लाते हुए उसने कहा कि कॉफी बना कर लाती हूँ...!

मैंने कहा कि अभी बैठो, इन तस्वीरों को देखो।  

कई तस्वीरों को देखते हुए मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई जहाँ निधि और नितिन शादी के जोड़े में बैठे थे, और पांव - पूजन की रस्म चल रही थी।  

मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली और उनसे कहा कि इस तस्वीर को गौर से देखो...!

उन्होंने तस्वीर देखी और साथ - साथ पूछ बैठे कि इसमें खास क्या है?

मैंने कहा कि ये पैर-पूजन का रस्म है।  

तुम दोनों इन सभी लोगों से छोटे हो....! 

जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं....!


“हाँ, तो?"

“ये एक रस्म है, ऐसी रस्म संसार के किसी धर्म में नहीं होती, जहाँ छोटों के पांव बड़े छूते हों।  

लेकिन हमारे यहाँ शादी को ईश्वरीय विधान माना गया है।  

इस लिए ऐसा माना जाता है कि शादी के दिन पति - पत्नी दोनों विष्णु और लक्ष्मी के रूप हो जाते हैं, दोनों के भीतर ईश्वर का निवास हो जाता है।  

अब तुम दोनों खुद सोचो कि क्या हज़ारों - लाखों साल से विष्णु जी और लक्ष्मी जी कभी अलग हुए हैं...! 

दोनों के बीच कभी झिकझिक हुई भी हो तो क्या कभी तुम सोच सकते हो कि दोनों अलग हो जाएंगे?  

नहीं होंगे।  

हमारे यहाँ इस रिश्ते में ये प्रावधान है ही नहीं।  

"तलाक" शब्द हमारा नहीं है, और "डाइवोर्स" शब्द भी हमारा नहीं है...!

यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि : 

बताओ कि हिंदी में "तलाक" को क्या कहते हैं?

दोनों मेरी ओर देखने लगे...! 

उनके पास कोई जवाब था ही नहीं।  

फिर मैंने ही कहा कि दरअसल हिंदी में "तलाक" शब्द  का कोई विकल्प है ही नहीं।  

हमारे यहाँ तो ऐसा माना जाता है कि एक बार एक हो गए तो कई जन्मों के लिए एक हो गए।  

तो प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता, उसे करने की कोशिश भी मत करो, या फिर पहले एक दूसरे से निकाह कर लो...!, 

फिर तलाक ले लेना...!

अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ काफी पिघल चुकी थी...!

निधि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी फिर उसने कहा कि...!

भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूँ....!  

वो कॉफी लाने गई, मैंने नितिन से बातें शुरू कर दीं।  

बहुत जल्दी पता चल गया कि बहुत ही छोटी - छोटी बातें हैं, बहुत ही छोटी - छोटी इच्छाएँ हैं...! 

जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं...!

खैर, कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली...! 

नितिन के कप में चीनी डाल ही रहा था कि निधि ने रोक लिया...! 

“भैया इन्हें शुगर है, चीनी नहीं लेंगे...!"

लो जी, घंटा भर पहले ये इनसे अलग होने की सोच रही थीं और अब इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं...!

मैं हँस पड़ा।  

मुझे हँसते देख निधि थोड़ा झेंपी।  

कॉफी पी कर मैंने कहा कि अब तुम लोग अगले हफ़्ते निकाह कर लो...! 

फिर तलाक में मैं तुम दोनों की मदद करूँगा...!

लेकिन, शायद अब दोनों समझ चुके थे........!

*🙏 कृपया ध्यान रखिए.......!*

*हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है*
*इसी तरह हिन्दू भी धर्म नहीं - सभ्यता है...!*

उपरोक्त लेख मुझे बहुत ही अच्छा लगा, तो में आपके सामने दे रहा हु ।

जो सनातन धर्म और संस्कृति से जुड़ा है।  

आप सभी से निवेदन है कि समय निकाल कर इसे पढ़ें, गौर करें।  

अच्छा लगे तो आप अपने मित्रों व आपके पास जो भी ग्रुप हैं उनमें प्रेषित करे👏👏
जय श्री कृष्ण.....!!!

पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science
" Opp. Shri Ramanatha Swami Covil Car Parking Ariya Strits , Nr. Maghamaya Covil Strits , V.O.C. Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

aadhyatmikta ka nasha

भगवान शिव ने एक बाण से किया था :

भगवान शिव ने एक बाण से किया था : तारकासुर के तीन पुत्रों को कहा जाता है त्रिपुरासुर, भगवान शिव ने एक बाण से किया था तीनों का वध : तीनों असुर...

aadhyatmikta ka nasha 1