https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1: सबसे बडा रोग / विधि का विधान कोई टाल नहीं सकता / श्री राधा - माधव - प्रर्वचन :

सबसे बडा रोग / विधि का विधान कोई टाल नहीं सकता / श्री राधा - माधव - प्रर्वचन :

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

सबसे बडा रोग , विधि का विधान कोई टाल नहीं सकता ,  श्री राधा - माधव - प्रर्वचन


श्री राधा - माधव - प्रर्वचन

*वृषभानुनन्दी*

( श्रीराधाजी का भाव ) 

श्रीकृष्णको आह्वादित करती है...!

और उसी शक्तिके द्वारा उस सुखका आस्वाद स्वयं करते है....!

श्रीकृष्णको आह्वादित करके स्वयं आह्वादित होती है । 

'' *त्तसुखे सुखित्वम* " 

यह प्रेमका स्वरूप है, बड़ी सुन्दर चीज है । 

जहाँ अपने सुखकी बांछा है...!

किसीके द्वारा, भगवानके द्वारा भी; मोक्षकी भी प्रेम नहीं है, काम है ।

 "*निजेन्द्रिय प्रीती इच्छा, तार नाम काम* । " 

कामना और प्रेममें यही अन्तर है, कामना चाहती ही अपना सुख और प्रेम चाहता है प्रेमास्पदका सुख । 

यही भेद है । 

इसी लिये गोपियोंका ' काम ' शब्द प्रेमका ही वाचक है...!

      *प्रेमव गोपरामाणां काम इत्यगमतपरतथाम*

         गोपियों को काम - काम नहीं था । 

उसका नाम है, पर वहाँ काम - गन्ध-लेश भी नहीं है, यही दिव्य प्रेम है ।

           जो आह्वादीनि शक्ति है । 

वह श्रीकृष्ण को आह्वादित करती है और '*आह्वादनीर सार अंश प्रेम तार नाम*' जो उसका सार अंश है, उसका नाम प्रेम है । 

वह प्रेम आनन्द - चिन्मय रस है और  इस प्रेमका जो परम् सार है वह  महाभाव है । 

इसी महाभाव की मूर्तिमती प्रतिमा महाभावरूपा ये राधारानीजी है, एक मूर्तिमती प्रेम - देवी है । 






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कहते है कि यह प्रेमका जो सार है वही राधा बन गया है । 

ये श्रीकृष्णकी परमोत्कृष्ट प्रेयसी है, श्रीकृष्णवांछा पूर्ण करना ही इनके जीवनका कार्य है । 

इनमें काम-क्रोध, बन्ध - मोक्ष, भक्ति  - मुक्ति कुछ भी नही है । 

श्रीकृष्णकी इच्छा को पूर्ण करना यहीं इनका सबरूप -स्वभाव है । 

यह बडी भारी अनोखी चीज है भगवान इच्छारहित है, वे इच्छावाले बन जाते है ।

छोटे लोग....!
      
ऑफिस जाने के लिए मैं घर से निकला, तो देखा, कार पंचर थी....! 

मुझे बेहद झुंझलाहट हुई...! 

ठंड की वजह से आज मैं पहले ही लेट हो गया था...! 

11 बजे ऑफिस में एक आवश्यक मीटिंग थी, उस पर यह कार में पंचर…! 

मैं सोसायटी के गेट पर आ खड़ा हुआ, सोचा टैक्सी बुला लूं. तभी सामने से ऑटो आता दिखाई दिया...! 

उसे हाथ से रुकने का संकेत देते हुए मन में हिचकिचाहट-सी महसूस हुई...! 
     
इतनी बड़ी कंपनी का जनरल मैनेजर और ऑटो से ऑफिस जाए...! 

किंतु इस समय विवशता थी. मीटिंग में डायरेक्टर भी सम्मलित होनेवाले थे. देर से पहुंचा...! 

तो इम्प्रैशन ख़राब होने का डर था...! 

ऑटो रुका. कंपनी का नाम बताकर मैं फुरती से उसमें बैठ गया...! 

थोड़ी दूर पहुंचकर यकायक ऑटोवाले ने ब्रेक लगा दिए.

‘‘अरे क्या हुआ? 

रुक क्यों गए?" 

मैंने पूछा.

‘‘एक मिनट साहब, वह सोसायटी के गेट पर जो सज्जन खड़े हैं, उन्हें थोड़ी दूर पर छोड़ना है.’’ ऑटो चालक ने विनम्रता से कहा.

‘‘नहीं, तुम ऐसा नहीं कर सकते.’’ मैं क्रोध में चिल्लाया.

‘‘एक तो मुझे देर हो रही है, दूसरे मैं पूरे ऑटो के पैसे दे रहा हूं...! 

फिर क्यों किसी के साथ सीट शेयर करुंगा?"

‘‘साहब, मुझे इन्हें सिटी लाइब्रेरी पर उतारना है, जो आपके ऑफिस के रास्ते में ही पड़ेगी...! 

अगर आपको फिर भी ऐतराज़ है...! 

तो आप दूसरा ऑटो पकड़ने के लिए स्वतंत्र हैं...! 

मैं आपसे यहां तक के पैसे नहीं लूंगा...!’’ 

ऑटो चालक के स्वर की दृढ़ता महसूस कर मैं ख़ामोश हो गया...! 

यूं भी ऐसे छोटे लोगों के मुंह लगना मैं पसंद नहीं करता था....!

उसने सड़क के किनारे खड़े सज्जन को बहुत आदर के साथ अपने बगलवाली सीट पर बैठाया और आगे बढ़ गया...! 

उन सम्भ्रांत से दिखनेवाले सज्जन के लिए मेरे मन में एक पल को विचार कौंधा कि मैं उन्हें अपने पास बैठा लूं फिर यह सोचकर कि पता नहीं कौन हैं…! 

मैंने तुरंत यह विचार मन से झटक दिया...! 

कुछ किलोमीटर दूर जाकर सिटी लाइब्रेरी आ गई...! 

ऑटोवाले ने उन्हें वहां उतारा और आगे बढ़ गया...!

‘‘कौन हैं यह सज्जन?" 

उसका आदरभाव देख मेरे मन में जिज्ञासा जागी...!

उसने बताया, ‘‘साहब, ये यहां के डिग्री कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसिपल डॉक्टर खन्ना हैं...! 

सर के मेरे ऊपर बहुत उपकार हैं...! 

मैं कॉमर्स में बहुत कमज़ोर था...! 

घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण ट्यूशन फीस देने में असमर्थ था...! 

दो साल तक सर ने मुझे बिना फीस लिए कॉमर्स पढ़ाया...! 

जिसकी बदौलत मैंने बी काॅम 80 प्रतिशत मार्क्स से पास किया...! 

अब सर की ही प्रेरणा से मैं बैंक की परीक्षाएं दे रहा हूं.’’ ‘‘वैरी गुड,’’ मैं उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सका...!

‘‘तुम्हारा नाम क्या है?" 

मैंने पूछा...!

‘‘संदीप नाम है मेरा. तीन साल पूर्व सर रिटायर हो गए थे...! 

पिछले साल इनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया. 

हालांकि बेटे बहू साथ रहते हैं, फिर भी अकेलापन तो लगता ही होगा इसी लिए रोज सुबह दस बजे लाइब्रेरी चले जाते हैं...! 

साहब, मैं शहर में कहीं भी होऊं, सुबह दस बजे सर को लाइब्रेरी छोड़ना और दोपहर दो बजे वापिस घर पहुंचाना नहीं भूलता...! 

सर तो कहते भी हैं कि वह स्वयं चले जाएंगे, किंतु मेरा मन नहीं मानता...! 

जब भी वह साथ जाने से इंकार करते हैं...! 

मैं उनसे कहता हूं कि यह मेरी उनके प्रति गुरुदक्षिणा है और सर की आंखें भीग जाती हैं...! 

न जाने कितने बहानों से वह मेरी मदद करते ही रहते हैं...! 

साहब, मेरा मानना है...! 








हम अपने मां - बाप और गुरु के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकते.’

मैं निःशब्द मौन संदीप के कहे शब्दों का प्रहार अपनी आत्मा पर झेलता रहा...! 

ज़ेहन में कौंध गए वे दिन जब मैं भी इसी डिग्री कॉलेज का छात्र था...! 

साथ ही डॉ. खन्ना का फेवरेट स्टूडेंट भी. एम एस सी मैथ्स में एडमीशन लेना चाहता था...! 

उन्हीं दिनों पापा को सीवियर हार्टअटैक पड़ा...! 

मैं और मम्मी बदहवास से हॉस्पिटल के चक्कर लगाते रहे...!

डॉक्टरों के अथक प्रयास के पश्चात् पापा की जान बची. इस परेशानी में कई दिन बीत गए और फार्म भरने की अंतिम तिथि निकल गई....! 

उस समय मैंने डा. खन्ना को अपनी परेशानी बताई और उनसे अनुरोध किया कि वह मेरी मदद करें...! 

डॉ. खन्ना ने मैनेजमैन्ट से बात करके स्पेशल केस के अन्तर्गत मेरा एडमीशन करवाया और मेरा साल ख़राब होने से बच गया था.....! 

कॉलेज छोड़ने के पश्चात् मैं इस बात को बिल्कुल ही भूला दिया. 

यहां तक कि आज जब डॉ. खन्ना मेरे सम्मुख आए, तो अपने पद के अभिमान में चूर मैंने उनकी तरफ़ ध्यान भी नहीं दिया.

आज मेरी अंतरात्मा मुझसे प्रश्न कर रही थी कि हम दोनों में से छोटा कौन था...! 

वह इंसान जो अपनी आमदनी की परवाह न करके गुरुदक्षिणा चुका रहा था या फिर एक कंपनी का जनरल मैनेजर...! 

जो अपने गुरु को पहचान तक न सका था.....!!

                   । श्री राधे राधे जी ।
                  । श्रीकृष्णम शरणम ।
                   । जय द्वारकाधीश ।।

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विधि का विधान कोई टाल नहीं सकता🔥*






*भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर गए।* 

*द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर खुद शिव से मिलने अंदर चले गए।* 

*तब कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी।*

*चिड़िया कुछ इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे विचार उसकी तरफ आकर्षित होने लगे।* 

*उसी समय कैलाश पर यम देव पधारे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा।* 

*गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से निकलते ही उसे अपने साथ यमलोक ले जाएँगे।*

 *गरूड़ को दया आ गई।* 

*इतनी छोटी और सुंदर चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे।* 

*उसे अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोश दूर एक जंगल में एक चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद वापिस कैलाश पर आ गया।* 

*आखिर जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ ही लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था।* 

*यम देव बोले....*

*" गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहाँ से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी।* 

*मैं सोच रहा था कि वो इतनी जलदी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब जब वो यहाँ नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी होगी।* 

*"गरुड़ समझ गये " मृत्यु टाले नहीं टलती चाहे कितनी भी चतुराई की जाए।"*

  *इस लिए प्रभु कहते है।* 

*करता तू वह है जो तू चाहता है परन्तु होता वह है जो में चाहता हूँ कर तू वह जो में चाहता हूँ फिर होगा वो जो तू चाहेगा ।*

*जीवन के 6 सत्य:-*

*1. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने खूबसूरत हैं ?* 

*क्योंकि..* 

*लँगूर और गोरिल्ला भी अपनी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं..*

*2. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका शरीर कितना विशाल और मज़बूत है ।*

*क्योंकि...*

*श्मशान तक आप अपने आपको नहीं ले जा सकते....!*

*3. आप कितने भी लम्बे क्यों न हों , मगर आने वाले कल को आप नहीं देख सकते....*

*4. कोई फर्क नहीं पड़ता कि , आपकी त्वचा कितनी गोरी और चमकदार है ।*

*क्योंकि...* 

*अँधेरे में रोशनी की जरूरत पड़ती ही है...*

*5 . कोई फर्क नहीं पड़ता कि " आप " नहीं हँसेंगे तो सभ्य कहलायेंगे ?* 

*क्यूंकि ...* 

*" आप " पर हंसने के लिए दुनिया खड़ी है ?*

*6. कोई फर्क नहीं पड़ता कि , आप कितने अमीर हैं ?*

*और दर्जनों गाड़ियाँ आपके पास हैं ?*

*क्योंकि...*

*घर के बाथरूम तक आपको चल के ही जाना पड़ेगा इस लिए संभल के चलिए ज़िन्दगी का सफर छोटा है , हँसते हँसते काटिये , आनंद आएगा ।।*
जय जय श्री कृष्ण...!!!!

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*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*

💐💐सबसे बडा रोग, क्या कहेंगे लोग :💐💐

बौद्ध भिक्षुक किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया। 

पनघट पर पनिहारिन आती - जाती रहती हैं तो तीन - चार पनिहारिनें पानी के लिए आईं तो एक पनिहारिन ने कहा, आहा! 

साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया। 

पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है। 

पनिहारिन की बात साधु ने सुन ली। 

उसने तुरंत पत्थर फेंक दिया। 

दूसरी बोली, साधु हुआ, लेकिन खीज नहीं गई। 

अभी रोष नहीं गया, तकिया फेंक दिया। 

तब साधु सोचने लगा, अब वह क्या करें?

तब तीसरी पनिहारिन बोली, बाबा! 

यह तो पनघट है, यहां तो हमारी जैसी पनिहारिनें आती ही रहेंगी...! 

बोलती ही रहेंगी, उनके कहने पर तुम बार - बार परिवर्तन करोगे तो साधना कब करोगे? 

लेकिन एक चौथी पनिहारिन ने बहुत ही सुन्दर और एक बड़ी अद्भुत बात कह दी...! 

साधु, क्षमा करना, लेकिन हमको लगता है...! 

तूने सब कुछ छोड़ा लेकिन अपना चित्त नहीं छोड़ा है...! 

अभी तक वहीं का वहीं बना हुआ है। 

दुनिया पाखण्डी कहे तो कहे, तू जैसा भी है, हरिनाम लेता रह।





सच है दुनिया का तो काम ही है कहना। 

ऊपर देखकर चलोगे तो कहेंगे…!

अभिमानी हो गए।

नीचे देखकर चलोगे तो कहेंगे…!

बस किसी के सामने देखते ही नहीं। 

आंखे बंद कर दोगे तो कहेंगे कि…! 

ध्यान का नाटक कर रहा है। 

चारो ओर देखोगे तो कहेंगे कि…! 

निगाह का ठिकाना नहीं। 

निगाह घूमती ही रहती है और परेशान होकर आंख फोड़ लोगे तो यही दुनिया कहेगी कि…! 

किया हुआ भोगना ही पड़ता है। 

ईश्वर को राजी करना आसान है, लेकिन संसार को राजी करना असंभव है। 

दुनिया क्या कहेगी, उस पर ध्यान दोगे तो भजन नहीं कर पाओगे। 

यह नियम है।

*🚩🚩जय श्री राम🚩🚩*
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!*
🙏🙏🙏🙏🙏🌳जय द्वारकाधीश🌳🙏🙏🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 25 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Ramanatha Swami Covil Car Parking Ariya Strits , Nr. Maghamaya Amman Covil Strits , V.O.C. Nagar , RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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