सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
*🙏🏻🚩गुरु और भगवान में अंतर🚩🙏🏻*
*गुरु और भगवान में- एक अंतर है।*
*एक आदमी के घर भगवान और गुरु दोनो पहुंच गये, वह बाहर आया और चरणों में गिरने लगा।*
*वह भगवान के चरणों में गिरा तो भगवान बोले- रुको-रुको पहले गुरु के चरणों में जाओ।*
*वह दौड़ कर गुरु के चरणों में गया। गुरु बोले- मैं भगवान को लाया हूँ,*
*पहले भगवान के चरणों में जाओ।*
*वह भगवान के चरणों में गया तो भगवान बोले- इस भगवान को गुरु ही लाया है न,*
*गुरु ने ही बताया है न, तो पहले गुरु के चरणों में जाओ।*
*फिर वह गुरु के चरणों में गया।*
*गुरु बोले- नहीं-नहीं मैंने तो तुम्हें बताया ही है न, लेकिन तुमको बनाया किसने?*
*भगवान ने ही तो बनाया है न, इसलिये पहले भगवान के चरणों में जाओ।*
*वो फिर वह भगवान के चरणों में गया।*
*भगवान बोले- रुको मैंने तुम्हें बनाया, यह सब ठीक है। तुम मेरे चरणों में आ गये हो।*
*लेकिन मेरे यहाँ न्याय की पद्धति है। अगर तुमने अच्छा किया है,*
*अच्छे कर्म किये हैं, तो तुमको स्वर्ग मिलेगा।*
*फिर अच्छा जन्म मिलेगा, अच्छी योनि मिलेगी।*
*लेकिन अगर तुम बुरे कर्म करके आए हो,*
*तो मेरे यहाँ दंड का प्रावधान भी है, दंड मिलेगा।*
*चौरासी लाख योनियों में भटकाए जाओगे, फिर अटकोगे, फिर तुम्हारी आत्मा को कष्ट होगा।*
*फिर नरक मिलेगा, और अटक जाओगे।*
*लेकिन यह गुरु है ना, यह बहुत भोला है।*
*इनके पास, इसके चरणों में पहले चले गये तो तुम जैसे भी हो,* *जिस तरह से भी हो*
*यह तुम्हें गले लगा लेगा।*
*और तुमको शुद्ध करके मेरे चरणों में रख जायेगा। जहाँ ईनाम ही ईनाम है।*
*यही कारण है कि गुरु कभी किसी को भगाता नहीं।*
*गुरु निखारता है, जो भी मिलता है उसको गले लगाता है।*
*उस पतित को पावन करता है और सदा के लिए जन्म-मरण के आवागमन से मुक्ति दिलाकर भगवान के चरणों में भेज देता है*
===========
।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन ।।
क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मी जी उनके पैर दबा रही हैं।
विष्णु जी के एक पैर का अंगूठा शैया के बाहर आ गया और लहरें उससे खिलवाड़ करने लगीं।
.
क्षीरसागर के एक कछुवे ने इस दृश्य को देखा और मन में यह विचार कर कि मैं यदि भगवान विष्णु के अंगूठे को अपनी जिव्ह्या से स्पर्श कर लूँ तो मेरा मोक्ष हो जायेगा उनकी ओर बढ़ा।
.
उसे भगवान विष्णु की ओर आते हुये शेषनाग जी ने देख लिया और कछुवे को भगाने के लिये जोर से फुँफकारा।
फुँफकार सुन कर कछुवा भाग कर छुप गया।
.
कुछ समय पश्चात् जब शेष जी का ध्यान हट गया तो उसने पुनः प्रयास किया।
इस बार लक्ष्मी देवी की दृष्टि उस पर पड़ गई और उन्होंने उसे भगा दिया।
.
इस प्रकार उस कछुवे ने अनेकों प्रयास किये पर शेष जी और लक्ष्मी माता के कारण उसे कभी सफलता नहीं मिली।
यहाँ तक कि सृष्टि की रचना हो गई और सत्युग बीत जाने के बाद त्रेता युग आ गया।
.
इस मध्य उस कछुवे ने अनेक बार अनेक योनियों में जन्म लिया और प्रत्येक जन्म में भगवान की प्राप्ति का प्रयत्न करता रहा।
अपने तपोबल से उसने दिव्य दृष्टि को प्राप्त कर लिया था।
.
कछुवे को पता था ।
कि त्रेता युग में वही क्षीरसागर में शयन करने वाले विष्णु राम का वही शेष जी लक्ष्मण का और वही लक्ष्मी देवी सीता के रूप में अवतरित होंगे ।
तथा वनवास के समय उन्हें गंगा पार उतरने की आवश्यकता पड़ेगी।
इसी लिये वह भी केवट बन कर वहाँ आ गया था।
.
एक युग से भी अधिक काल तक तपस्या करने के कारण उसने प्रभु के सारे मर्म जान लिये थे ।
इसी लिये उसने राम से कहा था ।
कि मैं आपका मर्म जानता हूँ।
.
संत श्री तुलसी दास जी भी इस तथ्य को जानते थे ।
इस लिये अपनी चौपाई में केवट के मुख से कहलवाया है ।
कि
.
“कहहि तुम्हार मरमु मैं जाना”।
.
केवल इतना ही नहीं ।
इस बार केवट इस अवसर को किसी भी प्रकार हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।
उसे याद था ।
कि शेषनाग क्रोध कर के फुँफकारते थे और मैं डर जाता था।
.
अबकी बार वे लक्ष्मण के रूप में मुझ पर अपना बाण भी चला सकते हैं पर इस बार उसने अपने भय को त्याग दिया था ।
लक्ष्मण के तीर से मर जाना उसे स्वीकार था पर इस अवसर को खो देना नहीं।
.
इसीलिये विद्वान संत श्री तुलसी दास जी ने लिखा है -
.
( हे नाथ !
मैं चरणकमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा;
मैं आपसे उतराई भी नहीं चाहता।
हे राम !
मुझे आपकी दुहाई और दशरथ जी की सौगंध है ।
मैं आपसे बिल्कुल सच कह रहा हूँ।
भले ही लक्ष्मण जी मुझे तीर मार दें ।
पर जब तक मैं आपके पैरों को पखार नहीं लूँगा ।
तब तक हे ।
तुलसीदास के नाथ !
हे कृपालु !
मैं पार नहीं उतारूँगा। )
.
तुलसीदास जी आगे और लिखते हैं -
.
केवट के प्रेम से लपेटे हुये अटपटे वचन को सुन कर करुणा के धाम श्री रामचन्द्र जी जानकी जी और लक्ष्मण जी की ओर देख कर हँसे।
जैसे वे उनसे पूछ रहे हैं ।
कहो अब क्या करूँ ।
उस समय तो केवल अँगूठे को स्पर्श करना चाहता था और तुम लोग इसे भगा देते थे ।
पर अब तो यह दोनों पैर माँग रहा है।
.
केवट बहुत चतुर था।
उसने अपने साथ ही साथ अपने परिवार और पितरों को भी मोक्ष प्रदान करवा दिया।
तुलसी दास जी लिखते हैं -.
चरणों को धोकर पूरे परिवार सहित उस चरणामृत का पान करके उसी जल से पितरों का तर्पण करके ।
अपने पितरों को भवसागर से पार कर ।
फिर आनन्दपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्र को गंगा के पार ले गया।
उस समय का प्रसंग है ...
जब केवट भगवान् के चरण धो रहे है ।
.
बड़ा प्यारा दृश्य है ।
भगवान् का एक पैर धोकर उसे निकलकर कठौती से बाहर रख देते है ।
और जब दूसरा धोने लगते है,...
.
तो पहला वाला पैर गीला होने से जमीन पर रखने से धूल भरा हो जाता है ।
.
केवट दूसरा पैर बाहर रखते है।
फिर पहले वाले को धोते है ।
एक-एक पैर को सात-सात बार धोते है ।
फिर ये सब देखकर कहते है, प्रभु एक पैर कठौती मे रखिये दूसरा मेरे हाथ पर रखिये ।
ताकि मैला ना हो ।
.
जब भगवान् ऐसा ही करते है।
तो जरा सोचिये ...
क्या स्थिति होगी ।
यदि एक पैर कठौती में है दूसरा केवट के हाथो में,
.
भगवान् दोनों पैरों से खड़े नहीं हो पाते बोले -
केवट मै गिर जाऊँगा ?
.
केवट बोला -
चिंता क्यों करते हो भगवन् !.
दोनों हाथो को मेरे सिर पर रख कर खड़े हो जाईये ।
फिर नहीं गिरेगे ।
.
जैसे कोई छोटा बच्चा है ।
जब उसकी माँ उसे स्नान कराती है ।
तो बच्चा माँ के सिर पर हाथ रखकर खड़ा हो जाता है ।
भगवान् भी आज वैसे ही खड़े है।
.
भगवान् केवट से बोले -
भईया केवट !
मेरे अंदर का अभिमान आज टूट गया...
.
केवट बोला -
प्रभु !
क्या कह रहे है ?.
भगवान् बोले -
सच कह रहा हूँ केवट,
अभी तक मेरे अंदर अभिमान था, कि ....
मै भक्तो को गिरने से बचाता हूँ पर..
.
आज पता चला कि, भक्त भी भगवान् को गिरने से बचाता है।।
🚩🚩🚩जय श्री राम राम राम सीताराम🚩🚩🚩
#धर्मो_रक्षति_रक्षितः
🙏🏼
*🙏🏻🚩जय जय श्री राज 🚩🙏🏻*
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
Suoer
जवाब देंहटाएं