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जय द्वारकाधीश
🦃 स्वास्तिक के 11 चमत्कारिक प्रयोग / मयूर पंख 🦃
।। श्री ऋग्वेद प्रवचन ।।
*🌹स्वास्तिक के 11 चमत्कारिक प्रयोग🌹*
💐जय द्वारकाधीश💐
*⭕ ऋग्वेद में स्वस्तिक के देवता सवृन्त का उल्लेख है।
स्वस्तिक का आविष्कार आर्यों ने किया और पूरे विश्व में यह फैल गया।*
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*भारतीय संस्कृति में इसे बहुत ही शुभ कल्याणकारी और मंगलकारी माना गया है।*
*स्वस्तिक शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है।*
*'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्तिका' अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वही स्वस्तिक है।*
*आओ जानते हैं इसके 11 चमत्कारिक प्रयोग।*
*🚩1. द्वार पर स्वास्तिक :-*
द्वार पर और उसके बाहर आसपास की दोनों दीवारों पर स्वास्तिक को चिन्न लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ मंगल होता है।
इसे दरिद्रता का नाश होता है।
घर के मुख्य द्वार के दोनों और अष्ट धातु और उपर मध्य में तांबे का स्वास्तिक लगाने से सभी तरह का वास्तुदोष दूर होता है।
पंच धातु का स्वास्तिक बनवा के प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद चौखट पर लगवाने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।
चांदी में नवरत्न लगवाकर पूर्व दिशा में लगाने पर वास्तु दोष दूर होकर लक्ष्मी प्रप्ति होती है।
वास्तुदोष दूर करने के लिए 9 अंगुल लंबा और चौड़ा स्वास्तिक सिंदूर से बनाने से नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मकता में बदल जाती है।
*🚩2. घर आंगन में बनाएं स्वास्तिक :-*
घर या आंगन के बीचोबीच मांडने के रूप में स्वास्तिक बनाया जाता है।
इसे बनाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है।
स्वास्तिक के चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है।
पितृ पक्ष में बालिकाएं संजा बनाते समय गोबर से स्वास्तिक बनाती है।
इससे घर में शुभता, शांति और समृद्धि आती है और पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है।
*🚩3. मांगलिक कार्यों में लाल पीले रंग का स्वास्तिक :-*
अधिकतर लोग स्वास्तिक को हल्दी से बनाते हैं।
ईशान या उत्तर दिशा की दीवार पर पीले रंग का स्वास्तिक बनाने से घर में सुख और शांति बनी रहती है।
यदि कोई मांगलिक कार्य करने जा रहे हैं तो लाल रंग का स्वास्तिक बनाएं।
इसके लिए केसर, सिंदूर, रोली और कुंकुम का इस्तेमाल करें।
धार्मिक कार्यों में रोली, हल्दी या सिंदूर से बना स्वास्तिक आत्मसंतुष्टी देता है।
त्योहारों पर द्वार के बाहर रंगोली के साथ कुमकुम, सिंदूर या रंगोली से बनाया गया स्वास्तिक मंगलकारी होता है।
इसे बनाने से देवी और देवता घर में प्रवेश करते हैं।
गुरु पुष्य या रवि पुष्य में बनाया गया स्वास्तिक शांति प्रदान करता है ।
*🚩4. देवता होंगे प्रसन्न :-*
स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर जिस भी देवता की मूर्ति रखी जाती है वह तुरंत प्रसन्न होता है।
यदि आप अपने घर में अपने इष्टदेव की पूजा करते हैं तो उस स्थान पर उनके आसन के ऊपर स्वास्तिक जरूर बनाएं।
प्रत्येक त्योहार जैसे नवरात्रि में कलश स्थापना, दीपावली पर लक्ष्मी पूजा आदि अवसरों पर स्वास्तिक बनाकर ही देवी की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है।
देव स्थान पर स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर पंच धान्य या
दीपक जलाकर रखने से कुछ ही समय में इच्छीत कार्य पूर्ण होता है।
इसके अलावा मनोकामना सिद्धी हेतु मंदिर में गोबर या कंकू से उलटा स्वास्तिक बनाया जाता है।
फिर जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वहीं जाकर सीधा स्वास्तिक बनाया जाता है।
*🚩5. देहली पूजा :-*
प्रतिदिन सुबह उठकर विश्वासपूर्वक यह विचार करें कि लक्ष्मी आने वाली हैं।
इसके लिए घर को साफ-सुथरा करने और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद सुगंधित वातावरण कर दें।
फिर भगवान का पूजन करने के बाद अंत में देहली की पूजा करें।
देहली ( डेली ) के दोनों ओर स्वास्तिक बनाकर उसकी पूजा करें।
स्वास्तिक के ऊपर चावल की एक ढेरी बनाएं और एक-एक सुपारी पर कलावा बांधकर उसको ढेरी के ऊपर रख दें।
इस उपाय से धनलाभ होगा।
*🚩6. व्यापार वृद्धि हेतु :-*
यदि आपके व्यापार या दुकान में बिक्री नहीं बढ़ रही है तो 7 गुरुवार को ईशान कोण को गंगाजल से धोकर वहां सुखी हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और उसकी पंचोपचार पूजा करें।
इसके बाद वहां आधा तोला गुड़ का भोग लगाएं।
इस उपाय से लाभ मिलेगा।
कार्य स्थल पर उत्तर दिशा में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से बहुत लाभ प्राप्त होता है।
*🚩7. सुख की नींद सोने हेतु :-*
यदि आप रात में बैचेन रहते हैं।
नींद नहीं आती या बुरे बुरे सपने आते हैं तो सोने से पूर्व स्वास्तिक को तर्जनी से बनाकर सो जाएं।
इस उपाय से नींद अच्छी आएगी।
*🚩8. मंगल कलश :-*
एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है।
कलश पर रोली, स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसके गले पर मौली बांधी जाती है।
इसे मंगल कलश कहते हैं।
यह घर में रखने से धन, सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
घर स्थापना के समय भी मिट्टी के घड़े पर स्वास्तिक बनाया जाता है।
*🚩9. तिजोरी पर बनाएं स्वास्तिक :-*
अक्सर लोग तिजोरी पर स्वास्तिक बनाते हैं क्योंकि स्वास्तिक माता लक्ष्मी का प्रतीक है।
तिजोरी में हल्दी की कुछ गांठ एक पीले वस्त्र में बांधकर रखें।
साथ में कुछ कोड़ियां और चांदी, तांबें आदि के सिक्के भी रखें।
कुछ चावल पीले करके तिजोरी में रखें।
*🚩10. उल्टा स्वास्तिक :-*
बहुत से लोग किसी देव स्थान, तीर्थ या अन्य किसी जागृत जगह पर जाते हैं तो मनोकामना मांगते वक्त वहां पर उल्टा स्वास्तिक बना देते हैं ।
और जब उनकी उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो पुन: उक्त स्थान पर आकर सीधा स्वास्तिक मनाकर धन्यवाद देते हुए प्रार्थना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं।
ध्यान रखें कभी भी मंदिर के अलावा कहीं और उल्टा स्वास्तिक नहीं बनाना चाहिए।
*🚩11. अन्य लाभ :-*
वैवाहिक जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वास्तिक बनाना चाहिए।
सभी प्रकार की सामान्य पूजा या हवन में कुमकुम या रोली से स्वास्तिक बनाया जाता है।
घर को बुरी नजर से बचाने के लिए घर के बाहर गोबर से स्वास्तिक बनाया जाता है।
💐💐जय श्री कृष्ण💐💐💐जय श्री कृष्ण💐💐💐जय श्री कृष्ण💐💐
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*🦃 मयूर पंख 🦃*
"वनवास के दौरान माता सीताजी को
प्यास लगी, तभी श्रीरामजी ने
चारों ओर देखा, तो उनको दूर-दूर तक
जंगल ही जंगल दिख रहा था.
कुदरत से प्रार्थना की ~ हे वन देवता !
आसपास जहाँ कहीं पानी हो,
वहाँ जाने का मार्ग कृपा कर सुझाईये.
तभी वहाँ एक मयूर ने आकर
श्रीरामजी से कहा कि आगे थोड़ी दूर पर
एक जलाशय है. चलिए मैं आपका
मार्ग पथ प्रदर्शक बनता हूँ, किंतु
मार्ग में हमारी भूल चूक होने की
संभावना है.
श्रीरामजी ने पूछा ~ वह क्यों ?
तब मयूर ने उत्तर दिया कि ~
मैं उड़ता हुआ जाऊंगा और आप
चलते हुए आएंगे, इसलिए मार्ग में
मैं अपना एक-एक पंख बिखेरता हुआ
जाऊंगा. उस के सहारे आप
जलाशय तक पहुँच ही जाओगे.
इस बात को हम सभी जानते हैं कि
मयूर के पंख, एक विशेष समय एवं
एक विशेष ऋतु में ही बिखरते हैं.
अगर वह अपनी इच्छा विरुद्ध
पंखों को बिखेरेगा, तो
उसकी मृत्यु हो जाती है.
और वही हुआ. अंत में जब मयूर
अपनी अंतिम सांस ले रहा होता है,
तब उसने मन में ही कहा कि
वह कितना भाग्यशाली है, कि
जो जगत की प्यास बुझाते हैं,
ऐसे प्रभु की प्यास बुझाने का उसे
सौभाग्य प्राप्त हुआ.
मेरा जीवन धन्य हो गया.
अब मेरी कोई भी इच्छा शेष नहीं रही.
तभी भगवान श्रीराम ने मयूर से कहा कि
मेरे लिए तुमने जो मयूर पंख बिखेरकर, अपने जीवन का त्यागकर
मुझ पर जो ऋणानुबंध चढ़ाया है,
मैं उस ऋण को अगले जन्म में
जरूर चुकाऊंगा ....
*★आपके पंख अपने सिर पर धारण करके★*
तत्पश्चात अगले जन्म में
श्री कृष्ण अवतार में उन्होंने
अपने माथे(मुकुट)पर मयूर पंख को
धारण कर वचन अनुसार
उस मयूर का ऋण उतारा था.
🔅🔅🦃🔅🔅
📍 तात्पर्य यही है कि 📍
अगर भगवान को ऋण उतारने के लिए
पुनः जन्म लेना पड़ता है, तो
हम तो मानव हैं. न जाने हम कितने ही
ऋणानुबंध से बंधे हैं.
उसे उतारने के लिए हमें तो
कई जन्म भी कम पड़ जाएंगे.
~~ अर्थात ~~
जो भी भला हम कर सकते हैं,
इसी जन्म में हमें करना है.
💐जयश्रीराम💐
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
सेल नंबर: . + 91- 7010668409 / + 91- 7598240825 WHATSAPP नंबर : + 91 7598240825 ( तमिलनाडु )
Skype : astrologer85
Email: prabhurajyguru@gmail.com
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏




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