https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1

अतुलनीय संदेश

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

*अतुलनीय संदेश..*

एक आदमी, जो हमेशा अपने दोस्तों के साथ घुल मिल कर रहता था और उनके साथ बैठकें करता था, अचानक बिना किसी को बताए सबसे मिलना जुलना बंद कर दिया।


कुछ सप्ताह पश्चात् एक बहुत ही ठंडी रात में उस ग्रुप के एक सदस्य ने उससे मिलने का फैसला किया।

वह उस आदमी के घर गया और पाया कि आदमी घर पर अकेला ही था। एक गोरसी में जलती हुई लकड़ियों की लौ के सामने बैठा आराम से आग ताप रहा था। उस आदमी ने आगंतुक का बड़ी खामोशी से स्वागत किया।

दोनों चुपचाप बैठे रहे। केवल आग की लपटों को ऊपर तक उठते हुए ही देखते रहे।

कुछ देर के बाद आगंतुक ने बिना कुछ बोले, उन अंगारों में से एक लकड़ी जिसमें लौ उठ रही थी (जल रही थी) उसे उठाकर किनारे पर रख दिया। और फिर से शांत बैठ गया।

मेजबान हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था। लंबे समय से अकेला होने के कारण मन ही मन आनंदित भी हो रहा था कि वह आज अपने ग्रुप के एक मित्र के साथ है।   

लेकिन उसने देखा कि अलग की हुए लकड़ी की आग की लौ धीरे धीरे कम हो रही है। कुछ देर में आग बिल्कुल बुझ गई। उसमें कोई ताप नहीं बचा। उस लकड़ी से आग की चमक जल्द ही बाहर निकल गई।

कुछ समय पूर्व जो उस लकड़ी में उज्ज्वल प्रकाश था और आग की तपन थी वह अब एक काले और मृत टुकड़े से ज्यादा कुछ शेष न था।

इस बीच.. दोनों मित्रों ने एक दूसरे का बहुत ही संक्षिप्त अभिवादन किया, कम से कम शब्द बोले।
जानें से पहले उस सदस्य ने अलग की हुई  बेकार लकड़ी को उठाया और फिर से आग के बीच में रख दिया। वह लकड़ी फिर से सुलग कर लौ बनकर जलने लगी, और चारों ओर रोशनी और ताप बिखेरने लगी।

जब मित्र को छोड़ने के लिए मेजबान दरवाजे तक पहुंचा तो उसने मित्र से कहा : आप मेरे घर आकर मुलाकात करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

आज आपने बिना कुछ बात किए ही एक सुंदर पाठ पढ़ाया है। अब मैं अकेला नहीं हूं। जल्द ही ग्रुप में लौटूंगा।

प्रश्न..
उस सदस्य ने क्यों बुझाया उस एक लकड़ी की आग को..?

बहुत सरल है समझना..
ग्रुप का प्रत्येक सदस्य महत्वपूर्ण होता है। कुछ न कुछ विशेषताएं हर सदस्य में होती है। दूसरे सदस्य उनकी विशेषताओं से उर्जा प्राप्त करते हैं। आग और गर्मी के महत्त्व की सीख लेते हैं और देते हैं।

इस ग्रुप के सभी सदस्य भी लौ का हिस्सा हैं। कृपया.. एक दूसरे की लौ जलाए रखें ताकि एक मजबूत और प्रभावी ग्रुप बने।

 सफलता में एक दूसरे को बधाई संदेश आदि देना भी ग्रुप का एक  महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे अपनाएं। हम यहां मिलने, सीखने, विचारों का आदान-प्रदान करने या यह समझने के लिए हैं कि हम अकेले नहीं हैं। 

आइए लौ को और भी ज्यादा प्रज्वलित करें। इस ग्रुप के साथ जीवन को और भी सुंदर बनाए।
कोशिक करे केवल सकारात्मक पोस्ट ही डालें ।
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🙏 जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण 🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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