https://www.profitablecpmrate.com/gtfhp9z6u?key=af9a967ab51882fa8e8eec44994969ec 2. आध्यात्मिकता का नशा की संगत भाग 1

।। दीपावली मनाने के ये हैं 15 खास कारण, होती है , राधे राधे...!।। जय श्री कृष्ण ।। राधे राधे...!।।

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश

 ।। दीपावली मनाने के ये हैं 15 खास कारण, होती है  , राधे राधे...!।। जय श्री कृष्ण ।। राधे राधे...!।। 


।। श्री विष्णुपुराण प्रवचन ।।

दीपावली मनाने के ये हैं 15 खास कारण, होती है ।


कालिका की पूजा
दीपावली का त्योहार या पर्व 5 दिनों तक मनाया जाता है।

इस मे आश्विन मास के तीन दिन और  कार्तिक मास के दो दिन की पूजन मतलब अश्विन कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितिया तक यह त्योहार मनाया जाता है ।



जिसमें आश्विन माह की अमावस्या को  कार्तिक अमवसिया भी कहा जाता है ।

ये ही मुख्य दीपावली पर्व होता है। 

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष पत्रिपदा से नया साल के नया दिन का शुभ मंगलमय शुरुआत होती है ।

*अर्थात धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है।* 

 *आओ जानते हैं कि आखिर यह त्योहार किन किन कारणों से मनाया जाता है।*

( 1 ) * इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी।

( 2 ) * इस दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।

( 3 ) * इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए थे। 

इसी दिन माता काली भी प्रकट हुई थी इसलिए बंगाल में दीपावली के दिन कालिका की पूजा का प्रचलन है।

( 4 ) * इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। 

कहते हैं कि श्रीराम रावण का वध करने के 21 दिन बाद अयोध्या लौटे थे। इसीलिए इस दिन राम विजयोत्सव के रूप में दीप जलाए जाते हैं।

( 5 ) * इस दिन के ठीक एक दिन पहले श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था।

इस खुशी के मौके पर दूसरे दिन दीप जलाए गए थे।

( 6.) * यह दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है।

जैन मंदिरों में निर्वाण दिवस मनाया जाता है।

( 7 ).* गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जला कर दीपावली मनाई थी।

( 8 ) * इसी दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था।

( 9 ) * इसी दिन गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने 'विक्रम संवत' की स्थापना करने के लिए धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर मुहूर्त निकलवाया था।

( 10 ) * इसी दिन अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था।

( 11 ) * दिवाली ही के दिन सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था।

( 12 ) * इसी दिन आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ था।

( 13 ) * इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है।

( 14 ) * भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धन्वंतरि का था। 

उन्हें आयुर्वेद का जन्मदाता और देवताओं का चिकित्सक माना जाता है।

धनतेरस के दिन उनका जन्म हुआ था। 

इस दिन यम पूजा भी होती है।

( 15 ) * भाई दूज को यम द्वीतीया भी कहते हैं। 

यम के निमित्त धन तेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पांचों दिन दीपक लगाना जाहिए। 

कहते हैं कि यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है ।

वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। 

इस दिन यम के मुंशी भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी प्रचलन है। 

इस दिन श्रीकृष्ण ने इंद्रोत्सव की जगह गोवर्धन पूजा को प्रारंभ किया था।

उक्त सभी कारणों से हमारी सांझा संस्कृति दीपावली का त्योहार मनाती हैं।
🙏जय श्री महालक्ष्मी नम:🙏

राधे राधे...!।। जय श्री कृष्ण ।। राधे राधे...!

।। सुंदर कहानी ।।

पुराने जमाने में एक राजा हुए थे, भर्तृहरि। वे कवि भी थे। उनकी पत्नी अत्यंत रूपवती थीं।

 भर्तृहरि ने स्त्री के सौंदर्य और उसके बिना जीवन के सूनेपन पर 100 श्लोक लिखे, जो श्रृंगार शतक के नाम से प्रसिद्ध हैं।

उन्हीं के राज्य में एक ब्राह्मण भी रहता था, जिसने अपनी नि:स्वार्थ पूजा से देवता को प्रसन्न कर लिया। 

देवता ने उसे वरदान के रूप में अमर फल देते हुए कहा कि इससे आप लंबे समय तक युवा रहोगे।

ब्राह्मण ने सोचा कि भिक्षा मांग कर जीवन बिताता हूं, मुझे लंबे समय तक जी कर क्या करना है। 

हमारा राजा बहुत अच्छा है, उसे यह फल दे देता हूं। वह लंबे समय तक जीएगा तो प्रजा भी लंबे समय तक सुखी रहेगी।

वह राजा के पास गया और उनसे सारी बात बताते हुए वह फल उन्हें दे आया।


राजा फल पाकर प्रसन्न हो गया। फिर मन ही मन सोचा कि यह फल मैं अपनी पत्नी को दे देता हूं।
 वह ज्यादा दिन युवा रहेगी तो ज्यादा दिनों तक उसके सुख का लाभ मिलेगा। 

अगर मैंने फल खाया तो वह मुझ से पहले ही मर जाएगी और उसके वियोग में मैं भी नहीं जी सकूंगा। उसने वह फल अपनी पत्नी को दे दिया।

लेकिन, रानी तो नगर के कोतवाल से प्यार करती थी। 

वह अत्यंत सुदर्शन, हृष्ट-पुष्ट और बातूनी था।

 अमर फल उसको देते हुए रानी ने कहा कि इसे खा लेना, इससे तुम लंबी आयु प्राप्त करोगे और मुझे सदा प्रसन्न करते रहोगे।

फल ले कर कोतवाल जब महल से बाहर निकला तो सोचने लगा कि रानी के साथ तो मुझे धन - दौलत के लिए झूठ - मूठ ही प्रेम का नाटक करना पड़ता है। 

और यह फल खाकर मैं भी क्या करूंगा। 

इसे मैं अपनी परम मित्र राज नर्तकी को दे देता हूं। 

वह कभी मेरी कोई बात नहीं टालती।

 मैं उससे प्रेम भी करता हूं। और यदि वह सदा युवा रहेगी, तो दूसरों को भी सुख दे पाएगी।

 उसने वह फल अपनी उस नर्तकी मित्र को दे दिया।

राज नर्तकी ने कोई उत्तर नहीं दिया और चुपचाप वह अमर फल अपने पास रख लिया।

 कोतवाल के जाने के बाद उसने सोचा कि कौन मूर्ख यह पाप भरा जीवन लंबा जीना चाहेगा।

 हमारे देश का राजा बहुत अच्छा है,
उसे ही लंबा जीवन जीना चाहिए। 

यह सोच कर उसने किसी प्रकार से राजा से मिलने का समय लिया और एकांत में उस फल की महिमा सुना कर उसे राजा को दे दिया।

 और कहा कि महाराज, आप इसे खा लेना।

राजा फल को देखते ही पहचान गया और भौंचक रह गया। 

पूछताछ करने से जब पूरी बात मालूम हुई,

 तो उसे वैराग्य हो गया और वह राज - पाट छोड़ कर जंगल में चला गया।

 वहीं उसने वैराग्य पर 100 श्लोक लिखे जो कि वैराग्य शतक के नाम से प्रसिद्ध हैं।

यही इस संसार की वास्तविकता है।

 एक व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है और चाहता है 

कि वह व्यक्ति भी उसे उतना ही प्रेम करे। 

परंतु विडंबना यह कि वह दूसरा व्यक्ति किसी अन्य से प्रेम करता है। 

इसका कारण यह है कि संसार व इसके सभी प्राणी अपूर्ण हैं।

 सब में कुछ न कुछ कमी है। 

सिर्फ एक पुरषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण ही एक मात्र पूर्ण हैं ।

एक वही हैं जो हर जीव से उतना ही प्रेम करते हैं , जितना जीव उनसे करता है 

बल्कि उससे कहीं अधिक। 

बस हम ही उन्हें सच्चा प्रेम नहीं करते।।

राधे राधे।। जय श्री कृष्ण ।। राधे राधे
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science) 
" Opp. Shri Dhanlakshmi Strits , Marwar Strits, RAMESHWARM - 623526 ( TAMILANADU )
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

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